🇮🇳 *भारतीय संविधान की प्रास्ताविका - समाजवादी / धर्मनिरपेक्ष शब्द को ब्राह्मणी संघ (RSS) विरोध देश गद्दारीका परिपाक !*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य,* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म.प्र.
बुध्द आंबेडकरी लेखक, कवि, समिक्षक, चिंतक
मो न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२'
पिछले तिन - चार - पाच दिनों से, मैं *"ब्राह्मण्य संघ"* (RSS) राष्ट्रिय सरचिटणीस *दत्तात्रय होसबोळे* इनके *"भारत संविधान की प्रास्ताविका"* (Preamble) संदर्भ के *"समाजवादी - धर्मनिरपेक्ष शब्द विरोधी"* बयाण से, इस विषय पर लिखने का मेरा मन हुआ था. परंतु मेरी कुछ बडी व्यस्तता रही है. उसी दरम्यान भारत के उपराष्ट्रपती *जगदीश धनकड* इनका बडा बयाण - *"समाजवादी - धर्मनिरपेक्ष यह शब्द सनातन शब्द का विरोधी है"* आया है. साथ साथ केंद्रीय मंत्री *शिवराज सिंग चव्हान* / असम के बडेबोल मुख्यमंत्री *हेमंत बिसवा* समान भाजपा की ओर से, अन्य नेताओं का बयाण भी सामने आया है. सबसे पहले *"भाजपा की घटना"* में अटलबिहारी वाजपेयी / लालाकृष्ण आडवणी काल में, *"समाजवादी - धर्मनिरपेक्ष"* यह शब्द दिखाई देता है. तब भाजपा / संघ, क्या सोया हुआ था ? हमारी *मा. सर्वोच्च न्यायालय* मे, *"प्रास्ताविका से वह शब्द हटाने"* संदर्भ मे, बहुत सारी याचिका डाली गयी थी. परंतु मां. सर्वोच्च न्यायालय ने उन सारी *"याचिकाओं को खारिज"* किया है. फिर भी *संघवादी / भाजपा वादी बरसाती मेंडक"* समान ड्राव ड्राव चिल्लाते रहे है. वैसे इनके पुरखों का इतिहास *"भारत गद्दारी का"* ही रहा है. और *"गद्दार लहु"* यह देश गद्दारी की भाषा ही कहेगा. वही *"महाराष्ट्र की राजनीति"* के हमारे विरोधी दलों ने, *"मराठी भाषा"* मुद्दा उठाया है. *"भारत के संविधान प्रास्ताविका"*/ मराठी भाषा विषय उठना, यह एक गहरी साजीश का बोध कराता है. अर्थात इन शब्द विवादों में, भारत सरकार / महाराष्ट्र सरकार की ओर से *"लोगों को इन शब्द विरोधी"* बयाण से, कुछ बडी राजनीति खेली जा चुकी है. अर्थात वो दुसरा विवादीत बडा विषय भी हो सकता है. और हम केवल इन विवादों में ही उलझते रहे ! वैसे देखे जाए तो, भारतीय संविधान की प्रास्ताविका (Preamble) से, *"वह शब्द हटाना इतना सहज भी नहीं"* है. सर्वोच्च न्यायालय की ११ न्यायाधीश पीठ ने, *"केशवानंद भारती"* केस में, *"संविधान के मुल सरंचना"* (Basic Structure) में, किसी भी प्रकार के *"बदलाव करने की पाबंदी"* लगायी है.
संघवादी *दत्तात्रय होसबोळे* ये तो, उन गद्दार पुरखों का वंशज है. जो उनके पुरखे *भारत का संविधान / तिरंगा झेंडा"* इसका कडा विरोध करते रहे. उस को जलाते रहे है. *"अंग्रेजो के कुत्ते"* बने हुये थे. *"मनुस्मृती"* के पक्षधर रहे है. संघ का मुखपत्र - *"आर्गनायझर"* यह बातें बयाण कर देता है. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर का पुतला जलानेवाली औलाद है. तो उनसे *"देशभक्ती"* की, हम क्या अपेक्षा करे ? भारत का उपराष्ट्रपती *जगदीश धनकड* ये भारत के इतिहास में, सबसे बडा *"ना-लायक उपराष्ट्रपती"* दर्ज हो चुके हैं. जगदीश धनकड ने भारतीय *"संविधानिक पद की गरिमा"* को छिन्न छिन्न किया है. जगदीश धनकड को *"सनातन"* शब्द यह *"बुध्द धर्म "* से जुडा है, यह मालुम तक नहीं है. *"धम्म पद"* इस ग्रंथ के यमक वग्गो में गाथा है - *"न हि वेरेन वैरानि सम्मन्तीध कुदाचनं | अवेरेन च सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो ||"* (अर्थात - वैर से वैर कभी शांत नहीं होता. अवैर से वैर शान्त होता है. यही संसार का नियम है. यही सनातन धर्म है.) बुध्द काल में ना ही *"वैदिक धर्म"* था, ना ही *"ब्राह्मण धर्म"* था, ना *"हिंदु धर्म "* था. यह सभी *"इसवी १० वी शती"* के बाद बुध्द धर्म के *"हिनयान / तंत्रयान संप्रदाय"* के परिपाक से उत्पन्न हुआ है. *"आदि शंकराचार्य "* को तो, *"प्रछन्न बौध्द "* भी कहा जाता है. अन्य भाजपा / संघीयो के बारे में, हम क्या कहे ? यहाँ सवाल तो, उन उन मतदाता का भी है, जो उन्हे अपना मत देता है. भारत का संविधान यह *"सार्वभौम - समाजवादी - धर्मनिरपेक्ष - लोकतंत्र - सामाजिक / आर्थिक / राजकीय समानता - न्याय अभिव्यक्ती "* की बात करता है. हमारी *"सर्वोच्च न्यायालय"* यह भारतीय संविधान की *"कस्टोडियन"* है. *"वॉच डॉग "* है. परंतु पिछले ११ सालों में समाजवाद - धर्मनिरपेक्षता को ठेंगा दिखाकर, *"पुंजीवाद"* (Capitalism) को बढावा मिला है. *"लोकतंत्र"* (Democracy) यह केवल तो, नाम का ही रह गया है. *इंदिरा गांधी* इन्होने *"इमरजंसी"* यह भारत संविधान की तहत *(आर्टिकल ३५२)* लगायी हुयी थी. तत्कालीन राष्ट्रपती *फक्रुद्दीन अली अहमद* इन्होने अधिकारीक तौर पर *"इमरजंसी आदेश"* जारी किया था. *जयप्रकाश नारायण* इनसे जुडी पिलावळ, भारत में *"बेबंदशाही"* में लिप्त दिखाई देती थी. परंतु *नरेंद्र मोदी सरकार* ने पिछले ११ साल से, *"अघोषित इमरजंसी"* लादी है. इसका क्या ??? आज भारत में *"बेकारी - बेरोजगारी - गरिबी"* बढी है. फिर भी भारत की आवाम खामोश है. भारत की ७०% आवाम *"मुफ्त अनाज"* पर बसर कर रही है. अत: भारत में *"मुर्दे"* (Live Dead Body) बसते है. अर्थात भारत यह *"मुर्दो का देश"* (The Country of Live Dead Body) है.
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▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर दिनांक ३० जुन २०२५
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