👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २३ जुन २०२५ को झुम पर आयोजित, "विश्व शांती शिखर सम्मेलन" इस विषय पर, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*
* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें एक प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!
* प्रश्न - १ :
* *क्या आपके शास्त्रो में कोई चमत्कार वर्णित है ? चमत्कारों का अस्तित्व क्यो है और वेळ विश्वासियों के जीवन पर क्या प्रभाव डालते है ?*
* उत्तर : - भगवान बुध्द ने चमत्कार इस संकल्पना का पुर्णतः विरोध किया. बुध्द ने उनके परिनिर्वाण के बाद उनका मार्गदर्शक कौन होगा ? भंते आनंद के इस प्रश्न पर बुध्द ने कहा कि, "उनके महापरिनिर्वाण के बाद उनका (भिक्खु संघ) कोई शास्ता / मार्गदर्शक रहा नहीं, यह विचार मन में ना लाये. मैने आप को जो धर्म विनय पढाया है, वही मेरे महापरिनिर्वाण के बाद आप का शास्ता होगा."
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उपरोक्त विषय संदर्भ में पाली में एक गाथा भी है. "तुम्हेहि किच्चं आतप्पं अक्खातारो तथागता | पटिपन्ना पमोक्खन्ति झायिनो मारबंधना ||" अर्थात कार्य के लिये तुम्हे ही उद्योग करना है. तथागत का कार्य केवल मार्ग दिखाना है. उस मार्ग पर आरुढ होकर, ध्यानमग्न होकर तुम्हे ही मार के बन्धनो से मुक्त होना है
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बुध्द जब वेळुवन में तिव्र वेदना से ग्रस्त थे, तब उन्होने अपने भिक्खु संघ (भंते आनंद भी) को / अपने शिष्यों को कहा कि, "अत्त दीपो भव |" अर्थात भंते आनंदा, अपना दीप स्वयं बनो. स्वयं को शरण जाओ. दुसरे किसी के शरण नहीं जाना है.
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भगवान बुध्द एक बार वैशाली के कुटागार संकुल में ठहरे थे. तब कुछ लोग आने के बाद भद्दीय नामक लिच्छवी बुध्द से कहने लगा कि, "बुध्द ये जादुगर है. और जादुटोणा कर दुसरे शिष्यों का मत परिवर्तन करते है."* भद्दीय लिच्छवी के इस प्रश्न पर बुध्द ने कहा कि, "भद्दीय ! अफवा, परंपरा या लोकोपवाद इस पर विश्वास ना करे. एकादी बात धर्मग्रंथ में लिखी है या तर्कसिध्द या अनुमान पर आधारित है या बाह्यतः वह सही दिखती है या तुम्हे न्याय्य लगती है, इसलिए उसका स्वीकार ना करे. या आदरणीय व्यक्ती ने कहा है, इसलिए भी स्वीकार ना करे. अपने अनुभव से निरिक्षण करे. वह आप के बुध्दी से परिक्षण करे."
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बुध्द का सिंध्तात यह है कि - सभी वस्तु का निर्माण किसी कारणवश होता है / सभी वस्तु परिवर्तनशील है. कोई भी नित्य (Permanent) नहीं है / कोई आत्मा - ईश्वर नहीं है / वर्तमान जीवन अस्तित्व पुर्व जीवन - प्रवाह से है. और भावी जीवन अस्तित्व भी वर्तमान जीवन कर्मनियम पर आधारित है / संसार (जीवन - मृत्यू) दु:ख चक्र आर्य अष्टांग मार्ग पालन से रोका जा सकता है. निर्वाण प्राप्त किया जा सकता है. सुखपुर्वक जीवन जीया जा सकता है.
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मानवी डर के संदर्भ में भी पाली में एक गाथा है - "तण्हाय जायते सोको, तण्हाय जायते भयं | तण्हाय विप्पमंतस्स, नत्थि सोको कुतो भयं ||" अर्थात तृष्णा के कारण शोक उत्पन्न होता है. भय / डर उत्पन्न होता है. तृष्णा से मुक्त होने पर शोक नहीं रहेगा. ना कोई डर रहेगा.
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मृत्यु कैसे होती है. इस संदर्भ में विशुध्दीमग्ग ग्रंथ में एक गाथा है - "नामं च रुपं च इथ अत्थि सच्चतो, न हेत्थ सत्तो मनुजो इव अभिसंखात दुक्खस्स पुञ्ञो विणकट्ठसदिसो ||" अर्थात नाम - रुप यह जोडी एकमेक पर आश्रित होती है. जब एक भंग हो जाती है, तब दुसरी भी भंग हो जाती है. और मनुष्य की मृत्यु होती है.
बुध्द ने मानवी जीवन का सत्य उजागर किया है. चमत्कार आदी बातों का विरोध किया है. हमे सत्कर्म करना है. जो हमे निर्वाण देता है.
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* परिचय : -
* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
(बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब
* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)
* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५
* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)
* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर
* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी
* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर
* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०
* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०
* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन
* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)
* आगामी पुस्तक प्रकाशन :
* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)
* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)
* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)
* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)
* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)
* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*
* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*
* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७
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