Sunday, 5 October 2025

 ‌✍️ *रिपब्लिकन विचारों का मारक (?) तथा रिपब्लिकन विघटीकरण का कारण कांग्रेस है या संघ है ? कांग्रेसी यशवंतराव चव्हाण / शरद पवार से लेकरं डॉ नितिन राऊत तक रिपब्लिकन के झार शुक्राचार्य !*

       *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु मध्य प्रदेश 

आंतरराष्ट्रीय परिषद के संशोधन पेपर परिक्षक 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


           भारत के किसी भी क्षेत्र मे जाएंं तो, आंबेडकर विचारधारी हमारे बंधु *"राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ"* (RSS) को हमारा शत्रु मानते है. RSS का गठन दिवंगत *डॉ केशव हेडगेवार* जी ने, २७ सितंबर १९२५ को, *"विजया दशमी"* को किया था. *"अशोका विजया दशमी "* और संघ की *"विजया दशमी"* यह दो अलग अलग विचार प्रणाली है. इस विचार पर फिर कभी मैं चर्चा करुंगा. RSS का मुल नाम *"Royal Secret Service"* भी बताया जाता है, जो *"लाल झेंडे"* और इटली का शासक *"एडॉल्फ हिटलर"* इनके प्रभाव से बताया जाता है. और बाद उसका नाम *"राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ"* रखा गया. इस विषय पर भी चर्चा हम फिर कभी करेंगे. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी ने २० जुलै १९२४ को *"बहिष्कृत हितकारणी सभा"* का गठण, बहिष्कृत वर्ग के शिक्षा / सामाजिक - आर्थिक स्तर के सुधार प्रयास के किया था. और RSS इस *"दक्षिण पंथी हिंदुत्व स्वयंसेवक अर्ध सैनिक संगठण"* के बाद, १३ मार्च १९२७ को *"समता सैनिक दल"* (SSD) नामक सामाजिक संगठण का गठण, सभी बहिष्कृत वर्ग के *"अधिकारों की सुरक्षा"* के लिये किया था. RSS तथा SSD का कालखंड एकसा है. परंतु *"दोनों ही संघठनो की व्यापकता"* का हम आकलन करंना जरुरी है. दुसरा विषय संघ विचारधारी राजकीय संगठण *"जनसंघ"* का निर्माण २१ अक्तुबर १९५१ में किया गया. जो कालानुरूप *"जनता पार्टी > भारतीय जनता पार्टी"* हुआ है. *"रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया"* (RPI) की बडी बुनियाद बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी ने, ३० सितंबर १९५६ की रखी थी, जो उनके महापरिनिर्वाण के बाद *"३ अक्तुबर १९५७"* को मुर्त रुप में स्थापित किया गया. जनसंघ / भाजपा (BJP) तथा RPI का कालखंड भी एकसा है, परंतु *"राजकिय व्यापकता"* का भी हमे आकलन करना जरूरी है. ऐसा भी नहीं है कि, *"RPI की नामकरण अवस्था"* बदली नहीं है. सन १९३६ में *"स्वतंत्र मजुर संघ"* (ILO - Independent Labour Party) गठित राजकिय धरातल ने, सन १९३७ के चुनाव में *"१७ में में १४ सिटें"* हासिल की थी. सन १९४२ में ILO का बरखास्तीकरण / तथा *"शेड्युल कास्ट फेडरेशन "* (SCF) का गठण होना भी सहज विषय नहीं है. इस विषय पर भी फिर कभी मैं चर्चा करुंगा. *"RSS - BJP इतिहास"* के संलग्न *"SSD - RPI इतिहास"* के बिच ही, हम *"कांग्रेस"* को युं ही नहीं छोड सकते. वही *"डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का महापरिनिर्वाण"* होना भी, एक अन सुलझी गुत्थी रही है. उस *"अन सुलझी गुत्थी"*(?) के शिल्पकार, *"कांग्रेस है या संघ है,"* यह विषय मै संशोधन मान्यवरों पर छोडता हुं....! जब कि *"सत्ता की मलाई"* कांग्रेस खा रही थी. *"RSS - BJP"* तो कोसो दुर थी. मेरा यह आकलन करना, *"केवल एक को ही शत्रु मानना / दुसरों को छोड देना,"* इस का चिंतन करने से जुडा है.

           ‌हमारे चेतना महामानव *डॉ बाबासाहेब आंबेडकर* इनके महापरिनिर्वाण के बाद ही, *"रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया"*(RPI) की सन १९५७ में, *एन. शिवराज / दादासाहेब गायकवाड / यशवंतराव आंबेडकर / पी टी बोराले / ए जी पवार / दत्ता कट्टी / दादासाहेब रुपवते / आबा पी टी मधले* समान तत्कालीन हमारे मान्यवरों ने, RPI की बुनियाद रखी थी. बाद में *"दुरुस्त - नादुरुस्त"* रिपब्लिकन विचारों का बिखराव / तत्कालीन प्रधानमंत्री *इंदिरा गांधी* के विचाराधिन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री *यशवंतराव चव्हाण* द्वारा, *"रिपब्लिकन के दो फाड - दादासाहेब गायकवाड रिपब्लिकन पार्टी तथा बॅरिस्टर राजाभाऊ खोब्रागडे रिपब्लिकन पार्टी"* इसे भी हमें समझना बहुत जरुरी है. वही *बी सी कांबळे रिपब्लिकन पार्टी* का होना भी एक इतिहास है. रिपब्लिकन जनता के रेटा प्रभाव में, *"रिपब्लिकन नेताओं का एकत्रीकरण"* होना / कांग्रेसी नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री *शरदचंद्र पवार* द्वारा रिपब्लिकन नेते *रामदास आठवले* को अलग करना, यह भी एक इतिहास है. आज रामदास आठवले *नरेंद्र मोदी भाजपा शासन"* में सत्ता मलाई खा रहा है. और *"रिपब्लिकन अन्य अनगिनत धडों"* यादी बहुत लंबी है. कोई रिपब्लिकन घडा *"भाजपा"* से जुडा है तो, कोई *"कांग्रेस "* से जुडा है. *"रिपब्लिकन - बहुजन महासंघ - वंचित आघाडी"*  ऐसे नामकरण प्रवेश वादी *एड. प्रकाशराव आंबेडकर* इनके बारे में क्या कहे ? जब प्रकाश आंबेडकर ने *"वकिल"* की डिग्री हासिल की थी, तब *"हमारी टीम"* ने ही ४० - ४५ साल पहले, *एड. प्रकाश आंबेडकर* इन्हे नागपुर में, सबसे पहले *डॉ आनंद जीवने* इनकी अध्यक्षता में, *"धनवटे रंगमंदिर"* में परिचीत किया था. मैने प्रकाश आंबेडकर इनका स्वागत किया था. *"हाथी पर बिठाकर"* उनकी रॅली निकाली गयी थी. तब हमारी *एड. प्रकाश आंबेडकर* इनसे बहुत कुछ अपेक्षा रही थी. परंतु वह अपेक्षा पुरी दिखाई नहीं थी तो, आज से १५ - १६ साल पहले, *"रवि भवन नागपुर"* में एड प्रकाश आंबेडकर इनके साथ *"मेरी चर्चा"* में / समता सैनिक दल के दिवंगत *विमलसुर्य चिमणकर* / बाबासाहेब के धम्म दीक्षा समय के मोरे साऊंड सिस्टीम के *मोरे जी* साथ थे, तब मैने जो *एड. प्रकाश आंबेडकर* को बातें कही थी, प्रकाश जी मेरे सवाल पर खामोश हो गये थे. दो दिन के बाद *प्रा. रणजीत मेश्राम* वे भी चर्चा उपस्थित थे, उनका मुझे फोन आया. और प्रा रणजीत मेश्राम मुझे कहने लगे कि, *"धम्म मित्र, बाळासाहेब पर आप ने क्या जादु किया ? बाळासाहेब आप को याद कर रहे है."* मैने प्रा. रणजीत मेश्राम को उत्तर दिया कि, *"अगर बाळासाहेब और कुछ मेरे से जाणकारी हासिल करना चाहते हो तो, उनका मेरे घर स्वागत है."* उसके बाद मेरी एवं प्रकाश आंबेडकर इनकी भेट कभी हुयी नहीं. हां, दिवंगत *दादासाहेब रा सु गवई /;प्रा. जोगेंद्र कवाडे / मंत्री रामदास आठवले / एड. सुलेखाताई कुंभारे / डॉ. राजेंद्र गवई / विधायक दिवंगत उपेन्द्र शेंडे* इनकी भेट होती रही. कुछ चर्चा होना भी सहज विषय है.

          कांग्रेसी कार्यकर्ता से कांग्रेसी नेता बने विधायक / माजी मंत्री *डॉ नितिन राऊत* को, मै स्वयं जब सांंसद *सरोज खापर्डे* के नितीन राऊत कार्यकर्ता रहे थे, तब से जानता हुं. नितीन राऊत मेरे जिगरी दोस्त भले ही ना रहे हो, परंतु *"धम्म मित्र"* जरुर है. मैने वह कालखंड देखा है, जो भी कोई कांग्रेस में जाता था, *"उसे गद्दार"* कहते थे. आज *"कांग्रेस वासी होने पर गद्दार"* नहीं कहा जाता. हां, *"भाजपा वासी होने पर गद्दार"* कहा जाता है. शायद भविष्य में *"भाजपा वासी गद्दार"* यह समीकरण बदल भी सकता है...! खोरिपा नेता *बॅ. राजाभाऊ खोब्रागडे* से तमाम नेता लोग, नागपुर से *"भाजपा समर्थन"* में सांसद चुनाव लढे है. परंतु उन्हे *"गद्दार कहा गया है या नहीं ?"* यह संशोधन का विषय है. *"रिपब्लिकन स्टुडंट्स फेडरेशन"* के तत्कालीन राष्ट्रिय अध्यक्ष *वि. रा. वाशिमकर* मुझे आज भी याद आते है. उन्होंने पुरी जिंदगी कफल्लक गुजारी है. उनके *"निर्वाण की खबर"* मैने स्वयं बहुत से रिपब्लिकन नेताओं को दी थी. परंतु कोई नेता उनके निर्वाण संस्कार में नहीं आया था. जब *वाशिमकर* जी राष्ट्रिय नेता थे, तब वे *"मेरे मामा"* के घर आया करते थे. और मेरे उनसे अच्छे संबंध रहे थे. मैं तब स्कुल में पढाई करता था. उनके बडे बडे मोर्चे में *"बडे मामा के साथ"* जाया करता था. अत: मुझे मुव्हमेंट की शिक्षा तो, तब मिली थी. *वाशिमकर* जी से जब कभी *मेरी भेट* हुआ करती थी, तब वे मुझे कहते थे कि, *"मिलिन्द, तु बडे संभालकर ही नेतागिरी कर. नहीं तो तेरा हश्र भी मेरे समान बुरा ही होगा."* दुसरा अहं विषय यह कि, *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया"*(TBSI) है, जो कि बाबासाहेब डॉ आंबेडकर इनकी धार्मिक संघटन है. उसकी दशा - दिशा के बारे में क्या कहे ?  बाबासाहेब आंबेडकर इनके महापरिनिर्वाण के बाद, जो *"अकरा लोगों की ट्रस्टी"* बनी हुयी थी, उसमे *"मेरे मम्मी"* के आका के लडके (आत्या भाई) *हरिश मजगौरी* भी थे. आग्रा अधिवेशन में *हरिश मजगौरी / डॉ. स वि रामटेके* इनको TBSI की स्कीम (घटना - नियमावली) लिखने की जिम्मेदारी दी गयी थी. *मजगौरी* साहाब तो, अंगेज शासन काल से *"रेल में अधिकारी"* थे. रिटायरमेंट के बाद वे *"भारत सरकार आयोग"* भी रहे. मजगौरी साहाब / डॉ रामटेके जी महिने दो तिन बार, मेरे घर आया करते थे. और *"मेरे स्टडी रूम"* में *"TBSI"* की स्किम पर चर्चा कर, वे लिखा भी करते थे. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर साहाब इनके कार्यो को भी मैने मेरे चुलत मामा / बाबासाहेब के बॉडीगार्ड रहे *दिपकचंद फुलझेले* इनसे तथा दुसरे बॉडीगार्ड रहे *आकांत माटे जी* इनसे मेरी कही विषयों पर चर्चा होती रहती थी. बाबासाहेब के उन *"कार्यकर्ता वर्ग का त्याग"* मैने करिब से देखा है. तब मुझे हमारे रिपब्लिकन विचारी (?) प्राध्यापक / साहित्यिक / कार्यकर्ता वर्ग का विधायक *डॉ नितिन राऊत* इनके शरण में रहना, वेदना कर जाता है. *"उत्तर नागपूर"* यह रिपब्लिकन का गड रहा है. आज कभी वह *"कांग्रेस का तो कभी भाजपा गड"* होते हुये भी, हम देखा करते है. रिपब्लिकन विचारधारा यह *"कई फाडों में / बसपा फाडों"* में बिखरी हुयी दिखाई देती है. आंबेडकरी विचारों में भी *"मतभेद / मनभेद"* भी दिखाई देते है. रिपब्लिकन को *"स्वयं रहन सहन दर्जा"* भिकारीपन भी मान्य दिखाई देता है. *"दिक्षाभुमी"* - धम्म चक्र प्रवर्तन दिन समारोह में, *नितीन राऊत - गंदगी के शिल्पकार / भिकारवाद के जनक"* बननें में, गौरवान्वित मानते है. आंबेडकरी विचारधारा किस दिशा में बह रही है ??? एक अहं प्रश्न है.


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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

        नागपुर दिनांक ४ अक्तुबर २०२५

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