👌 *बुध्द के संग...!*
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर
मो. न. ९३७०९८४१३८
ये हवाओं तुम मोसम रंग बदलती हो
बुध्द के संग तुम युं ही चलती रहती हो
बुध्दं सरणं गच्छामी
धम्मं सरणं गच्छामी
संघं सरणं गच्छामी....
ये मानव जीवन का तुम उजाला हो
जीवन परछाई का ही तुम सावन हो
प्रेम विहार का भी तुम स्वयं दीप हो
अहिंसा सागर का ही तुम युं मोती हो...
करुणा मन का भी तुम युं ही प्यार हो
मन की शांती में भी तुम युं सखा हो
बंधुता प्रेम भाव में ही तुम युं दायाद हो
जीवन सफल राह में तुम युं ही छाया हो...
यें मंजिल पाने की तुम युं ही सिडी हो
भुले राहगीर की भी तुम युं ही दिशा हो
ना साथ छोड देना का युं ही वो हाथ हो
असली मंजिल पाने का तेरा अंदाज हो...
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नागपुर दिनांक १३ अक्तुबर २०२५
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