🔹 *दीक्षाभूमी नागपुर में धम्म चक्र प्रवर्तन दिन पर कोरोना की रोक छाया : बडा सवाल यह है कि, हम कार्यक्रम ले या ना लें....!!!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल ऑफिसर
मो.न. ९३७०९८४१३८, ९८९०५८६८२२
समस्त विश्व में *"कोरोना संक्रमण वा कोविड* के संदर्भ में, बडा ही विवाद चल रहा है. *"यह कोई घातक बिमारी नहीं है."* इस तरह की बडी चर्चा भी, कई डॉक्टरों ने मिडिया से की है. यह एक बहुत बडा आंतरराष्ट्रीय षडयंत्र है. और *World Health Organization"* (WHO) को आरोपी के कटघरे में खडा किया गया है...! WHO के बयान भी, हर बार बदलते रहने से, संदिग्धता बढती जा रही है. और WHO के विश्वासनियता पर, आंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बडा प्रश्नचिन्ह लगाया जा चुका है. *"कोरोना के षडयंत्र का संचालन, अमेरिका से होने की बातें,"* चर्चा में जोर पकड रही है. अमेरिका, इस्त्रायल, युरोप इन देशों में *"झायोनिस्ट ज्यु अर्थात यहुदी"* वर्ग के १३ राजघराणे तथा गर्भश्रीमंत *"कॅथलिक ख्रिश्चन"* वर्ग की एक *"गुप्त समुह संघटन"* (Secret Society), जो *"इलुमिनाटी"* इस नाम से जानी जाती है, उन गुप्त समुह के समस्त विश्व में, बडे राजनेता - अभियंता - लेखक - व्यापारी - बॅंकर्स - डॉक्टर - वैज्ञानिक - विचारविद - शस्त्र उत्पादक - औषध उद्योजक - तंत्रज्ञान कंपनी से बहुत गहरे संबंध बने है. *"उन यहुदी समुहों ने पगान, रोमुआ, पारसी, ब्राम्हण इन वरिष्ठ जाती समुहों को भी, अपने साथ जोडने की बडी चर्चा है...!"* "झायोनिस्ट यहुदी" यह एक ऐसा समुह है कि, जो समस्त विश्व पर, अपना बडा दबदबा बनाना चाहता है...! और उस में भारत का *"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ"* (RSS) भी जुडे होने की बातें, कही जा रही है. वही भविष्य में, उन झायोनिस्ट हो या, भारत में ब्राम्हणशाही की, समस्त औषधी कंपनीयों पर, कही एकाधिकार शाही ना दिखाई दे...!!!
मित्रों, यह महत्त्वपुर्ण भावना लेख लिखने का कारण यह कि, दीक्षाभूमी नागपुर में हर साल *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* कार्यक्रम का, बहुत बडे पैमाने पर आयोजन होता है. यही नहीं *"१४ अक्तुबर"* को भी, बहुल मात्रा में बौध्द समुदाय अभिवादन करने के लिये, दीक्षाभूमी जाते है. *"परंतु इस साल, कोरोना संक्रमण के कारण, धम्म चक्र प्रवर्तन दिन - २५ अक्तुबर २०२० पर, समस्त कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है."* और उस संदर्भ में एक पत्रक, "प.पु. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिती" द्वारा, सचिव डॉ. सुधिर फुलझेले इनके सही से निकाला गया है. और वह पत्रक समस्त मिडिया में, व्हायरल भी हो चुका है. स्मारक समिती के सचिव डॉ. सुधिर फुलझेले ने, मुझे व्यक्तीश: भी वह पत्र, व्हाट्सअप के माध्यम से २५ सितंबर २०२० को भेजा है. मै पिछले दो दिन से, उस पत्र पर विचार मंथन कर रहा हुं. क्यौं कि, हर साल दीक्षाभूमी नागपुर में, मेरे संघटन द्वारा तिन दिनों तक, *"मुफ्त मेडिकल शिबिर"* लगाया जाता है. हजारो बौध्द बंधुओं का हम इलाज करते है. सबसे महत्त्वपुर्ण विषय यह कि, *"उस मेडिकल शिबिर की नींव, हम डॉक्टर साथियों ने ही रचीं है. इस लिये, वहां हमारी बडी भावना भी जुडी है."* यही कारण है कि, वह मेडिकल विंग हमारे नाम में भी परिचीत है. और बहुत से हमारे चिंतक, वहा हमें मिलने आते रहे है. हमारे शिबिर स्थल पर बैठते भी है. उस दिन को हमारा *"भावना मिलन दिन"* भी कह सकते हैं.
दीक्षाभूमी नागपुर का संचालन करनेवाली, प.पु. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिती का, *"दीक्षाभूमी में धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* पर *"किसी भी तरह का कार्यक्रम, ना लेने का स्मारक समिती का वह निर्णय, यह सही है या गलत...!"* इस पर भाष्य करने के पहले, *कोरोना संक्रमण काल* में, भारत में बहुलता से हुये, दो बडे हिंदु धर्मीय कार्यक्रमों का, मै जिक्र करुंगा चाहुंगा. एक है *"जगन्नाथ रथ यात्रा."* जो समस्त भारत भर निकाली गयी. भारत के *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी* ने हजारों की भीड में, अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा को झाडु भी लगाया. इसमें अहं विषय यह भी है कि, *मा. सर्वोच्च न्यायालय के सरन्यायाधीश शरद बोबडे, न्या. दिनेश माहेश्वरी, न्या. ए. एस. बोमन्ना इनके खंडपीठ ने, सदर जगन्नाथ रथ यात्रा के आयोजन को २२ जुनं २०२० को अपनी मंजुरी प्रदान की थी...!"* और संबंधित याचिकाकर्त्यां ने, वह भारत के करोडो हिंदु जनता का, बडा श्रद्धा का विषय बताया था. दुसरा है, *"अयोध्या का राम जन्म भुमी"* में, कोरोना संक्रमण काल में हुआ, भारत के प्रधानमंत्री द्वारा ही महापुजन. अगर हिंदु बहुल समुह वह *"भावना का प्रतिक"* विषय मानते हुये, कोरोना संक्रमण काल में सदर कार्यक्रम लेते हो तो, *"बौध्द धर्मीय लोगों ने, "धम्म चक्र प्रवर्तन दिन" पर, अपने घर में ही कार्यक्रम मनाने की किसी अपिल को, हम ने मानना चाहिए या नहीं...?"* यह बहुत बडे सोंच का विषय है. या हिंदु धर्मीयों ने जिस अंदाज से, बडे कार्यक्रम का आयोजन किया है, उस तरह ही हमने मनाना चाहिए...??? क्यौं कि, इसके पहले हमे *"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनके जन्म दिन - १४ अप्रेल २०२० को,"* कोरोना संक्रमण में, सामुहिक कार्यक्रम को, ना मनाने की सरकार द्वारा अपिल थी. जिसे हम लोगों ने पालन किया था...!!! क्या वही नियम या अपिल, हिंदु बहुल समुदाय को लागु नहीं होना चाहिए था...?
अब हम *"कोरोना या कोविड"* के संदर्भ में, कुछ पहलीयों पर भी चर्चा करेंगे. Indian Council Of Medical Research (ICMR) द्वारा, भारत के समस्त हॉस्पिटल को गाईड लाईन भेजी है कि, *"जो व्यक्ती हार्ट अॅटक, न्युमोनिया, टी.बी. समान बिमारी से मरता भी हो तो, उसे कोरोना ट्रीट करते हुये, उसे "कोरोना मॄत्यु" घोषित करे...!"* और यही कारण है कि, कोरोना मॄत्यु के आकडे, हमें दिनों दिन बढते दिखते है. लोगों के मन में, *"कोरोना डर की छाया"* भरी जा रही है. मुंबई के एक डॉक्टर दंपत्ती ने, *"कोविड हॉस्पिटल में भरती कुछ कोविड घोषित पेशंट को, केवल तिनं दिन में ही, केवल डाईट से ही ठिक किया."* और उन डॉक्टर दाम्पत्ती ने, वह मेडिकल रिपोर्ट जाहिर करने पर, हमारे Maharashtra Medical Council ने, उस डॉक्टर दंपत्ती को नोटीस भेजकर, उन्हे उनका मेडिकल लायसन्स रद्द करने की धमकी दी है. अमेरिका में भी, इस तरह का ही प्रयोग किया जा रहा है. और कोरोना का इलाज करनेवाले डॉक्टर को, १४ लाख डॉलर दिये जाने की चर्चा है. यही नहीं, एक ही आदमी की चार - चार - पाच पांच बार कोरोना टेस्ट करने पर, *"कोरोना रोगी की संख्या बढाई जा रही है."* वही *"कोरोना टेस्ट"* पर भी, अहं सवाल उठाये गये है. कोरोना रिपोर्ट पाझीटिव्ह हो या निगेटिव्ह, वह संदेहजनक रहा है. सबसे अहमं सवाल यह कि, *"रोगी की Autopsy या Biopsy किये बिना, कोरोना वा कोविड इस व्हायरस का निदान, कैसे किया जा सकता है...?"* यही नहीं *"Human Organs"* के चोरी / स्मगलींग का भी आरोप, इस दरम्यान लगाया गया है. चायना के *वुहान* में *१ दिसंबर २०१९ को,* कोरोना संक्रमण की पहिली केस मिलने की बात कही गयी है. *भारत में ३० जानेवारी २०२०* को, पहिली केस मिलने का संदर्भ है. परंतु भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, *तब्बल ११४ दिन* के बाद अर्थात *२४ मार्च २०२०* को, समस्त देश में *"लॉक डाऊन"* लागु किया. इस बिच भारत के तमाम हिंदु मंदिरो में, बडे पैमाने पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. यही नहीं. अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष *डोनाल्ड ट्रम्प एवं नरेंद्र मोदी* इनकी उपस्थिती में, लाखों की संख्या में गुजरात में, भीड़ इकठ्ठा की गयी थी. तब कहां गया था कोरोना संक्रमण..??? जब हमारी मिडिया, चायना के वुहान प्रांत को, कोरोना संक्रमण का उगम स्थान मानती है...! और वह कोरोना संक्रमण, ये समस्त विश्व में फैल गया, कहां जा रहा हैं. तो फिर चायना के *वुहान* से ११७५ कि.मी. दुरी पर, उनका दुसरा शहर *बिजिंग* है, वहां कोरोना संक्रमण का फैलाव, क्यौं नहीं दिखाई दिया...? जब कि, समस्त विश्व, कोरोना संक्रमण हे ग्रस्त है. वहीं चायना में अब तो, सभी उद्योगधंदे सही रुप से चल रहे है. जन जीवन सामान्य है. यह बात तो हमें, समज से परे है...!!!
अब हम विश्व के बौध्द राष्ट्रों का, कोरोना इतिहास देखेंगे. *मेकॉंग डेल्टा* इन भुभागों में, कोरोना का सक्रिय प्रभाव, जादा तर मात्रा में, आज भी नहीं दिखाई देता. *"आग्नेय आशिया की मेकॉंग नदी,"* जो आशिया खंड की बडी नदी है, *"जो म्यानमार, थायलंड, लाओस, कंबोडिया एवं व्हिएतनाम"* इन पांच बौद्ध देशों से गुजरती है. उन भुभागों में कोरोना संक्रमण की तिव्रता, ना दिखने का राज क्या है..? *व्हिएतनाम* इस देश में, मुहंपर मास्क बांधना, यह जरूरी नहीं है. वही *तेंझायीन* इस देश में तो, मास्क लगाने पर, फाईन देना होता है. *और महत्त्वपुर्ण विषय यह है कि, क्या हम जो मास्क लगाते है या N95 मास्क, क्या वह कोरोना संक्रमण व्हायरस को, फिल्टर करने में सक्षम है...?* मुझे *आचार्य रजनीश* का एक कथन याद आ रहा है. किसी ने आचार्य रजनीश से पुछा, *"क्या कोई आदमी, महामारी से मरता है...?"* आचार्य रजनीश बोले कि, *"आप का यह सवाल ही गलत है. महामारी के कारण, हमारे अपने मन में, डर पैदा होता है. व्हायरस से बचना तो, बहुत ही आसान है. परंतु डर बना हो तो, बचना मुस्किल है...!"* मित्रो, पहले तो हमारे मन में, देववाद प्रकोप का डर बिठाया गया था. और वह देव प्रकोप डर आज भी कायम है. और हम उसी डर के कारण, देव - देवताओं को पुजने लगे है. *"जो एक मानसिक बिमारी है. और मानसिक बिमारी से बाहर निकलना, इतना सहज नहीं है. इस लिये व्यक्ती के बुध्दी को, मजबुत करना होता है."* भारतीय ब्राम्हणशाही ने, हमारे उसी मानसिक डर का फायदा उठाकर, अपनी रोटी शेकनी सुरू की. *"कोरोना का डर ही, मौत का बहुत बडा कारण है...!"* अच्छा आहार - विहार - व्यायाम करो...! कोरोना से मत डरो...!!! आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे...!!! अत: आप को ही, यह निर्णय लेना है कि, *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन पर, दीक्षाभूमी जाए या नहीं जाएं...!"* हां, प.पु. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिती ने, *"१४ अक्तुबर २०२० को एवं धम्म चक्र प्रवर्तन दिन - २५ अक्तुबर २०२० को, दीक्षाभूमी के समस्त दरवाजे खुले रखना चाहिए...!"* उस दिन, कार्यक्रम का आयोजन करना या ना करना..! यह समिती का, अपना निर्णय हो सकता है. समस्त बौद्ध जन मन का नहीं. अगर उस दिन, जो बौद्ध बांधव, दीक्षाभूमी पर अभिवादन करने आयेंगे, उन्हे रोकने का स्मारक समिती को, कोई भी नैतिक अधिकार नहीं है. क्यौं कि, *"दीक्षाभूमी यह बौध्द समाज की धरोहर है...!"* वह धरोहर किसी के बाप की, व्यक्तीगत जागिर नहीं...!!! अंत में, तथागत बुध्द ने *वैशाली* में दुष्काळ पडने पर, जो *रतन सुत्त* का उपदेश दिया था, उसी को दोहराते हुये, *"ऐतन सज्जेन सुबत्थी हो तु"* इस वचन के साथ, मेरे लिखाण को विराम देता हुं...!!!
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *
* *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य* नागपुर १७
* राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल ऑफिसर
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९८९०५८६८२२
No comments:
Post a Comment