Saturday, 6 September 2025

 ✍️ *भारत की खस्ता आर्थिक व्यवस्था में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनकी आर्थिक नीति चेतावणी एवं रिझर्व्ह बँक का गठण !*

       *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु मप्र 

मो‌. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


              भारत का *"मुद्रा अविष्कार"* यह सिंधु घाटी सभ्यता में दिखाई देता है. सिंधु घाटी सभ्यता यह विश्व का *"सब से बडा व्यापारी केंद्र"* रहा था. वही *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* के राजव्यवस्था में, *"भारत की बडी समृद्ध अर्थव्यवस्था"* हमें दिखाई देती है. तब *"अखंड विशाल भारत"* रहा था. जब हम भारत के *"मुद्रा प्रणाली व्यवस्था"* का अध्ययन करते है, तब भारत की प्राचीन अर्थव्यवस्था यह *"चांदी"* पर आधारित दिखाई देती है. अर्थात *"धातु का शिक्का"* अविष्कार का बोध होता है. उसके पहले *"वस्तु के वस्तु बाजार व्यवहार"* रहा था. परंतु उस *"विनिमय"* में कुछ समस्या भी रहती थी. *"वस्तु के बदले आवश्यक वस्तु की खोज"* उतनी सहजता नहीं होती थी. यही कारणवश *"धातु का शिक्का"* प्रचलन व्यवस्था शुरु हुयी. इस संदर्भ का एक लंबा इतिहास है. परंतु *"अंग्रेज कालखंड"* में रुपया की किंमत *"चांदी"*(Silver) से तय होना, वही इस विनिमय को बदल कर *"सोना"*(Gold) में परावर्तित किया गया. कारण *"वैश्विक अर्थव्यवस्था"* को दिया जाता है. तब ब्रिटन की अर्थव्यवस्था यह *"सोना"* पर आधारित थी. ब्रिटन में *"पौंड"* तो भारत में *"रुपया"* मुद्रा थी. *"सोना - चांदी की खदाने खोज"* होती रही. *"आपुर्ती की अधिकता, मांग की कमी"* का परिणाम, भारत के *"रुपया"* पर पडते गया. *"चांदी"* में गिरावट दिखाई देने लगी. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर इन्होने *"भारत की इस अर्थव्यवस्था"* का सखोल अध्ययन किया. और बाबासाहेब डॉ आंबेडकर इन्होने *"The problem of Rupees : it's origin and its solution "* यह प्रबंध लिखकर *"लंडण विद्यापीठ"* को १९२२ को सादर कर, *"डी.एस.सी."* डिग्री हासिल की थी. बाबासाहेब आंबेडकर वह प्रबंध १९२३ में *"पी. एस. किंग एंड सन्स"* लंडन से प्रकाशित होने पर, *"ब्रिटिश भारत में तहलका"* मच गया. अत: *"रुपया पर नियंत्रण"* रखने के लिये, ब्रिटिश सरकार को एक *"आर्थिक संंस्था"* की जरुरत होने लगी. और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर इनके *"प्राब्लेम ऑफ रुपया"* इस आर्थिक विषयक ग्रंथ के आधार पर, *"रिझर्व्ह बँक ऑफ इंडिया"* की स्थापना १ एप्रील १९३५ में की गयी.

               ब्रिटीश *"पौंड"* की तुलना में भारतीय *"रुपया"* गिरने का प्रमुख कारण *"सोना"* पर आधारीत मुद्रा व्यवस्था थी. भारतीय *"चांदी"* आधारीत मुद्रा व्यवस्था का भारत में प्रचलन रहा था. ब्रिटीश सरकार *"सोना"* आधारीत विश्व अर्थव्यवस्था को स्थिर मानते रहे थे. भारत में आम लोग / मजुर / किसान आदि को *"चांदी"* का स्वस्त होन से, व्यवहार में सरल था. *"सोना"* यह आम लोगों के सहज नहीं था. *"रुपया का कमजोर होने का फायदा निर्यातक को होता रहा."* उन का ही माल ज्यादातर बिकता रहा. भारतीय किसानों का क्या ? भारत में *"आर्थिक विद्रोह"* की बडी स्थिती होती रही थी. *"भारत राष्ट्रवाद"* की चिंगारी उठना शुरु हुयी. भारत समान गरिब देश में प्रचुर मात्रा में, *"सोना"* प्राप्त करना इतना सहज भी नहीं था. आम लोगों के लिये *"बचत"* करना कठिण हो रहा था. भारत के *"संप्रभुता"* का विषय भी रहा था. भारत की *"मुद्रा नीति"* को स्थिर रखना इसके साथ ही *"मंहगाई"* को स्थिर रखना यह एक द्वंद्व रहा था. ब्रिटीश सरकार *"Gold Exchange"* इसके साथ ही *"Gold Exchange Standard"* इन दो विनिमय नीति का, मायाजाल व्यवहार करता था. यह एक प्रकार का धोका था. लुट थी. *बाबासाहेब डॉ आंबेडकर* ने इन दोनो पध्दती को नकारा था. ब्रिटीश सरकार *"मंहगाई"* काल में भी अपनी मर्जी से ही *"नोट छापता"* था. भारतीय *"रुपया की बडी गिरावट"* होती रही. *"आर्थिक संस्थान"* ना होने से, इस पर *"नियंत्रण"* कौन करे ? यह प्रश्न था. *"मुद्रा का स्थिर होना / मंहगाई"* पर भी नियंत्रण जरूरी था. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर के *"Problem of Rupees : It's origin and it's solution"* यह ग्रंथ ब्रिटिशों को मार्गदर्शक रहा. ब्रिटीश सरकार ने *"६ मार्च १९३४ को संसद में रिझर्व्ह बँक बिल पारित"* किया. और १ एप्रिल १९३५ को *"Reserve Bank of India"* की स्थापना हुयी. *"मुद्रा समस्या का हल"* को निकाला गया. भारतीय *"रुपया को जारी करना"* यह *"सोना"* अनुपात में नियंत्रण आ गया.

             उपरोक्त *"ब्रिटिश काल का आर्थिक इतिहास"* बताने का कारण, भारत के आज के *"आर्थिक कु-स्थिती"* की जानकारी कराना है. रिझर्व्ह बँक / शासन बॅंक / वित्तीय संस्था द्वारा रिझर्व्ह बँक खातों में, *"२.३ लाख करोड का डिव्हिडंट"* मिलने का अनुमान लगाया गया है. सन २०२३ - २४ तथा २०२२ - २३ में, रिझर्व्ह बँक ने नरेंद्र मोदी सरकार को क्रमशः *"२१ लाख करोड / ८७.४२० लाख करोड"* का डिव्हिडंट दिया है. सन २०२५ में नरेंद्र मोदी सरकार ने कुल *"२.६९ लाख करोड"* का डिव्हिडंट लिया है. जो आज तक का एक बडा इतिहास है. जो आज तक के इतिहास में,*"किसी सरकार"* ने नहीं लिया. सन २०१९ से २०२४ तक रिझर्व्ह बँक ने, *"७६००० किलो सोना"* गिरवी रखा है. वही सन २०२५ में रिझर्व्ह बँक ने *"विदेशी ट्रेझरी"* जमा गोल्ड में से, *"१००.३२ मेट्रिक टन सोना"* वापस मंगाया है. अब विदेशी ट्रेझरी में केवल *"३६७.६० मेट्रिक टन सोना"* शेष है. भारत के हर व्यक्ती के नाम *"४.८ लाख का कर्ज"* का बोजा है. भारत को *"रशिया"* से पिछले ६ माह में *"२३१ मिलियन बैरल कच्चा तैल आयात"* हुआ है. और वह कच्चा तैल *"अंबानी ग्रुप / नायरा एनर्जी"* इन दो निजी कंपनी के पास आने के बाद, उस पर *"प्रक्रिया होने"* के बाद, सारा तैल *"विदेशों में निर्यात"* किया जाता है. उपर से *अमेरिका"* ने रशिया से कच्चा तैल लेने के कारण, भारत पर *"५०% टेरिफ"* लगाया है. रशिया से आया *"कच्चे तैल"* का, हम *"भारतीय जनता को क्या लाभ"* मिला ? क्या *"पेट्रोल के दाम कम"* हुये हे ? अमेरिका टेरिफ का परिणाम *"भारतीय अर्थव्यवस्था"* पर होगा. भारत में *"महंगाई"* बढती जा रही है. अत: *"भारतीय अर्थ नीति"* को समझना, हमारे लिये बहुत जरुरी है.

             सन २०२४ साल में, *"आंतरराष्ट्रीय श्रम संगठण"* (International Labour Organization - ILO) ने, समस्त *"विश्व का बेरोजगारी दर (Unemployment) ४.८९%"* बताया है. सन २०२५ का दर उपलब्ध नहीं बताया है. सन २०२५ में भारत का *"बेरोजगारी दर ५.२%"* बताया है. जहां ग्रामीण क्षेत्र - ४.४% तथा शहरी क्षेत्र - ७.२% है. *"लिंग"* (Sex) के अनुपात में महिला - ८.७% तथा पुरुष - ४.६% है. भारत का *"भुखमरी दर"* (Global Hunger Index - GHI) *"सन २०२४ में २७.३ % तथा सन २०२३ में २८.७%"* है. विश्व के १२७ देशों में भारत *"१०५ वे स्थान"* पर है. हमें *"भुखमरी दर प्रमाण"* यह भी समजना जरुरी है. निम्न दर - ९.९% / मध्यम दर -१०.९ % से १९.९% / चिंताजनक दर - २०.००% से ३४.९% / अत्यंत चिंताजनक - ३५.००% ... *"सर्वोच्च न्यायालय"* के द्वय - न्या. विक्रमनाथ / न्या. संदिप मेहता खंडपीठ द्वारा अपने निर्णय ) Judgement) में कहा कि, *"Govt. is a constitutional employer not a market player."* It cannot use outsourcing as a means of exploitation. सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय हमारे लिये एक बडा संदेश है. भारत का सामान्य (Normal) *"सकल देशांतर्गत उत्पादन"* (GDP) सन २०२५ में अंदाजनं *"४.३ से ४.८ ट्रिलियन डॉलर"* बताया जाता है. और आर्थिक रॅंकिग में *"विश्व में चवथे नंबर"* (?) की अर्थव्यवस्था होने का बहुत डिंडोरा पिटा जाता है. वास्तविकत: भारत की *"अर्थव्यवस्था यह आठ - नौ नंबर"* पर है. *"अमेरिका"* की अर्थव्यवस्था विश्व में *"नंबर वन"* तथा *"चायना"* की अर्थव्यवस्था *"नंबर दो"* पर है. *"दरडोई उत्पन्न"* (Per Capita Income) में अमेरिका के बाद चायना / जर्मनी इन देशों का नाम आता है. उसका सुत्र है. *"दरडोई उत्पन्न = देश की जीडीपी ÷ कुल जनसंख्या."* भारत का दरडोई उत्पन्न अंदाजन *"२.४ लाख रुपये"* (?) वार्षिक है. *बिहार* यह राज्य बहुत पिछडा है. बिहारी का *"वार्षिक उत्पन्न रु. ९०,००० /-"* है. विश्व की *"जनसंख्या"* (Population)  माह अगस्त २०२५ तक *"८.२ अब्ज"* है. और हर साल *"७० दशलक्ष"* में बढ रही है. *चायना* की जनसंख्या - १४०.८ करोड है. जब की भारत की जनसंख्या - *"१४६ करोड"* बतायी जा रही है. भारत को आजादी १५ अगस्त १९४७ को / प्रजातंत्र २६ जनवरी १९५० में मिलने के बाद, हमारी आर्थिक स्थिती में बहुतसा सुधार भी हुआ था. सन २०१४ के बाद की *"आर्थिक स्थिती"* के बारे में क्या कहे ? भारत में संसद उपलब्ध होने के बाद  भी,*"नयी संसद भवन - ईस्टा"* के नाम पर भी *रु. ९७१ /- करोड* अंदाजनं  खर्च / प्रधानमंत्री का नया *"एयरक्राफ्ट"* खरेदी (?) *रू. ८८५८/- करोड* अंदाजन खर्च / प्रधानमंत्री की *"कार"* खरेदी *रु. १४०० /- करोड* अंदाजन आदि खर्च हमे क्या संदेश दे रहे है. कोई महाराजा का क्या यह खर्च होगा ? उपर से *"सांसद / विधायक"* वर्ग को पाच साल होने के बाद *पेंशन* भी !!! इधर कर्मचारी वर्ग की २५ - ३० साल सेवा देने के बाद भी, *"पेंशन बंद"* की जा रही है. भारत के *"उद्योग व्यवसाय"* की क्या स्थिती है ? *"शेती व्यवसाय"* की क्या भयाण स्थिती है ? लेकिन भारत की *"मंदिर अर्थनीति"* बहुत उफान पर है. नोबेल विजेत्या अर्थशास्त्री *डॉ अमर्त सेन* ने बाबासाहेब आंबेडकर को अपना *"आर्थिक गुरु"* माना. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री दिवंगत *मनमोहन सिंग* जी भी डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के *"आर्थिक ज्ञान"* को समजते थे. परंतु प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* इनकी अर्थनीति यह समज से परे है. भारत *"आर्थिक खस्ताहाली"* की ओर जा चुका है. भारत की अर्थव्यवस्था *"पाकिस्तान / बांगला देश / श्रीलंका"* इन देशों के बदतर स्थिती में हो तो, कल भारत की *"अर्थव्यवस्था"* क्या होगी ? हम फिर भी कहते हैं, *"मेरा भारत महान !"* जरा सोचो ....


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◼️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

        नागपुर दिनांक ६ सितंबर २०२५

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