Thursday, 18 September 2025

 ✍️ *सरन्यायाधीश भुषण गवई इनके विरोध में खजुराहो के जावरा विष्णू मंदिर खंडित प्रकरण में उठे सवाल बनाम रामजन्मभूमी निर्णय में पाच न्यायाधीशों की बौध्दिक (?) क्षमता एवं प्रायमा फेसी !*

       *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु मप्र

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


         अभी अभी मा. सर्वोच्च न्यायालय के सरन्यायाधीश *भुषण गवई* तथा *न्या. आगस्तिन जार्ज मसिह* इनके खंडपीठ के सामने, *"जावरा मंदिर खजुराहो* (इसवी ९ - ११ वी शती) मध्य प्रदेश स्थित *"खंडित विष्णू प्रतिमा"* याचिका का प्रकरण सुनवाई के लिये था. वैसे *"मुर्तीकला" - गांधार शैली / मथुरा शैली"* यह बुद्ध धर्म की देण है. प्राचिन भारत में पहिली मुर्ती *"बुद्ध"* की ही बनी थी. *वैदिक धर्म या ब्राह्मण धर्म* पंडितो ने, *"बुध्द विहारो पर अधिपत्य"* कर ब्राह्मणी मंदिर बनाये थे. *"शैव पंथ / वैष्णव पंथ / शाक्त पंथ"* इस को जन्म भी *"वज्रयान - तंत्रयान"* इस बौध्द संप्रदाय ने ही *"इसवी ९ या १० वी शती"* में किया था. *"शिरच्छेदन"* भी बुद्ध मुर्ती का ही हुआ था. इस विषय पर सविस्तर चर्चा हम फिर कभी करेंगे. भुषण गवई इनकी खंडपीठ ने, राकेश दलाल द्वारा दायर याचिका *"भारतीय पुरातत्व विभाग"* (ASI) के अधिन होने से, उनकी वह याचिका खारीज की गयी. परंतु याचिका कर्ता की ओर से, वह याचिका खारिज होने पर भी दबाव बनाने वा हटवादिता दिखाई दी तो, सरन्यायाधीश *भुषण गवई* इन्होने कहा कि, *"जाओ, देवतांओं से ही कुछ करने को कहो. आप भगवान विष्णू के कट्टर भक्त हो तो, जाओ प्रार्थना करो !"* सरन्यायाधीश भुषण गवई इन्होने अपने इस बयाण में *"कहां भगवान को गाली दी है"* या भगवान का अपमान भी किया है ? अगर हम न्यायव्यवस्था अंतर्गत *"ब्राह्मण न्यायाधीशों"* के निर्णय और कथन का इतिहास निकाले तो, वह एक बडी किताब लिखी जा सकती है. तत्कालीन सरन्यायाधीश *धनंजय चंद्रचूड* का ही उदाहरणं ले. चंद्रचुड इन्होने तो *"रामजन्मभूमी प्रकरण"* पर निर्णय देते समय *"भगवान के शरण में ही गये थे. और भगवान ने ही उन्हे आदेश देना सिखाया.""* अर्थात ब्राह्मण न्यायाधीश वर्ग यह *"घुटना"* ही होते है, यह प्रमाण धनंजय चंद्रचूड हमें दे गये है. *"रामजन्मभूमी प्रकरण"* पर पाच न्यायाधीशों में, तत्कालीन सरन्यायाधीश *रंजन गोगोई* इनकी अध्यक्षतावाली पीठ में *न्या. शरद बोबडे / न्या. अशोक भुषण / न्या. धनंजय चंद्रचूड / न्या. अब्दुल नझीर* इन्होने दिनांक ९ नवंबर २०१९ को, *"बिना प्रायमा फेसी"* केवल भावना के आधार पर, वह निर्णय दिया था. जब की अयोध्या में *"बुद्ध के प्रमाण"* ही मिले थे. बौध्द वर्ग द्वारा दायर याचिका पर *"क्या निर्णय हुआ है ?"* यह प्रश्न अब भी अनुत्तरित है. यही है *"ब्राह्मण वर्ग का मेरिट !"* यह सभी बातें *"मैं अधिकार"* से इसलिए भी कहता हुं कि, मिशन कारण मेरी  *"अयोध्या"* तथा *"खजुराहो"* को भी भेट हुयी है. *"देश - विदेश भी मेरा भ्रमण"* यह तो आम विषय है.

            नयी दिल्ली के करंसी कांड के *न्या. यशवंत वर्मा*  का प्रकरण / लखनौ के *न्या. शेखर यादव* इनका ब्राह्मण धर्म मंच पर दिया गया *"अल्पसंख्याक विरोधी बयाण"* / अभी अभी *"दिल्ली उच्च न्यायालय"* द्वारा, रोहिणी न्यायालय के *"यु ट्युब प्रकरण"* पर ही, दुसरे पक्ष की बाजु सुनवाई बिना ही, आदेश करने पर भी अर्जंट में सुनवाई ना करना / इस ही कारणवश *"११ यु ट्यबर्स"* द्वारा *अडानी तथा अंबानी"* विरोध की *"१३८ व्हिडीओ"* को यु ट्युब से डिलिट होना (?), आदि उदाहरण भी ताजे है. मेरी स्वयं की सन २०१९ की मा‌ उच्च न्यायालय नागपुर की याचिका *"डॉ मिलिन्द जीवने विरुद्ध संविधान फाऊंडेशन नागपुर"* में, *"संविधान यह साहित्य नहीं है"* दायर की गयी थी. तब *न्या. रवी देशपांडे / न्या. विनय जोशी* इन्होने मेरे *"मुलभूत अधिकारों के हनन ना होने से"* मेरी याचिका निरस्त की थी. क्या मैने *"मेरे मुलभूत अधिकारों के हनन"* के लिये, याचिका दायर की थी ? *"भारतीय संविधान की उच्च गरिमा"* रखने के लिये, वह याचिका मेरे द्वारा दायर की थी. *भारतीय संविधान यह "कानुनी किताब" बिलकुल नहीं है. वह "कानुनी दस्तावेज"  है*. नागपुर उच्च न्यायालय निर्णय कारण ही, *"दिल्ली के जंतर मंतर पर संविधान जलाया गया था."* वही राजस्थान उच्च न्यायालय के सामने *"मनु का पुतला"* बिठाया गया है. *नागपूर / भंडारा* के *"जिला न्यायालय में गणपती"* बिठाया गया था. *मेरी शिकायत* के बाद ही उसे फिर उठाया गया. अर्थात ब्राह्मण मानसिकता को समझना भी जरुरी है. यह सभी उदाहरण देने का कारण यह कि, सरन्यायाधीश *भुषण गवई* इनके उपर *"जातियवादी हिनता"* की टिप्पणी की गयी है. *"जातीयवाद गाली"* दी गयी है. अत: ब्राह्मण वर्ग को उनकी *"वैचारिक औकात"* को बताना जरुरी है. भारत देश यह *"प्रजासत्ताक देश"* है. भारत देश यह *"धर्मनिरपेक्ष देश"* है. सभी धर्मों का हमें आदर करना जरूरी है. और राजनीति में *"धर्म से हटकर"* देश भावना जरुरी है. *"बंधुभाव"* जरुरी है. *"प्रेम - मित्रता"* जरुरी है.

       जय भीम !!!

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▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

       नागपुर दिनांक १८ सितंबर २०२५

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