Saturday, 13 September 2025

 🔥 *नेपाली ब्राह्मण्य की जातीयवाद विरोध के ढगढगती ज्वाला में जलता हुआ नेपाल बनाम भारतीय ब्राह्मण्य जातीय राजनीति !*

      *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म.प्र.

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


        भारत हो या नेपाल इस देश में, *"ब्राह्मण्य जातीयवाद"* राजनीति (?) सदियों से चलती आ रही है. *"ब्राह्मण्यवाद"* (?) यह देश के लिये कलंक है. और ब्राम्हण्यवाद गिरगिट के समान अपना रंग भी बदल लेता है. *डॉ बाबासाहेब आंबेडकर* इन्होने *ब्राह्मण्य रंग बदलती नीति"* पर कहा हैं कि, *"भारत का धर्म हमेशा के लिये हिंदु धर्म था, यह विचार मुझे मान्य नही. हिंदु धर्म तो सबसे आखरी में, विचारे की उत्क्रांती होने के पश्चात उत्पन्न हुआ है. वैदिक धर्म के प्रसार के बाद, भारत मे तिन बार धार्मिक परिवर्तन हुआ है. वैदिक धर्म का रुपांतर ब्राह्मण धर्म में और ब्राह्मण धर्म का रुपांतर हिंदु धर्म में हुआ है."* (कोलंबो ६ जुनं १९५०) नेपाल देश तो *"चक्रवर्ती सम्राट अशोक"* काल (इ.पु. २६८ - २३२) में, *"अखंड भारत"* का हिस्सा था. *"मौर्य कालखंड"* यह इ. पु. ३२२ - १८५ अर्थात १३७ साल तक रहा था. अखंड भारत के देश *अफगाणिस्तान* (१८७६) / *नेपाल* (१९०४) / *भुतान* (१९०६) / *तिब्बत* (१९०७) / *श्रीलंका* देश  (१९३५) / *म्यानमार* (१९३७) / *पाकिस्तान* (१९४७) / *बांगला देश* (१९७१) यह अखंड भारत से अलग हो गये. वह देश अलग क्यौ / कैसे हुये ? इसका अलग इतिहास है. इस पर चर्चा हम फिर कभी करेंगे. *"सिंधु घाटी सभ्यता"* (इ.पु. ३३०० - १९००) यह नगरीय सभ्यता थी. उत्खनन में मिले स्तुपों ने *"पहिले बुद्ध"* का परिचय कराया है. सिंधु घाटी सभ्यता में *"वैदिक धर्म / ब्राह्मण धर्म"* होने का, कोई प्रमाण नहीं मिला. *शंकर* नाम का व्यक्ति का जन्म *"इसवी ८५०"* हुआ. उसे ही *"प्रछन्न बौध्द"* भी कहा जाता है. वही *"आदि शंकराचार्य"* है, उसने ही *"महायानी बुध्द विहारों"* को, *"दसवी शती"* में चार पीठों में परिवर्तीत किया गया. वे चार पीठ है - *श्रृंगेरी पीठ*  केरला (यजुर्वेद) / *शारदा पीठ* गुजरात (सामवेद) / *ज्योतीर्पीठ* उत्तराखंड (अथर्ववेद) / *गोवर्धन पीठ* ओरिसा (ऋग्वेद). वेदों का निर्माण *"इसवी दसवी शती"* के बाद कागज पर लिखा गया. महत्वपूर्ण विषय यह कि, कागज का शोध *"इसवी दसवी शती में चायना"* मे ही लगा था. *"वज्रयान / तंत्रयान"* इस बौध्द संप्रदाय ने ही, *इसवी दसवी शती* काल में - *"शैव पंथ / वैष्णव पंथ / शाक्त पंथ"* को जन्म दिया था. हमें यह इतिहास को इसलिए समजना जरुरी है कि, इसवी दसवी शती के बाद *"बुद्ध धर्म"* का अवनति काल / *"वैदिक धर्म - ब्राह्मण धर्म "* का उदय होता है.

          अखंड भारत यह *"खंड खंड"* हो गया. परंतु *"वैदिक धर्म / ब्राह्मण धर्म"* का प्राबल्य भारत देश पर निर्माण हुआ. फिर भी भारत देश कभी *"हिंदु राष्ट्र "* बना ही नहीं. क्यौ कि, भारत पर *"राजेशाही"* हावी हो चुकी थी. परंतु *नेपाल* यह देश *"हिंदु देश"*  जरुर बना. भारत के समान ही नेपाल में भी, *"ब्राह्मण्य जातियवाद"* पनपने लगा. १५ अगस्त १९४७ को भारत का *"आजाद"* होना / २६ जनवरी १९५० को *"प्रजासत्ताक "* होना / *"भारत के संविधान"* में मागासवर्गीय समुहो को, *डॉ बाबासाहेब आंबेडकर* मार्फत अधिकार मिल जाना / भारत के संविधान ने *"भारत देश को एकसंघता"* में बांधे रखा. परंतु भारत से अलग हुये पडोसी देश - *"पाकिस्तान / श्रीलंका / नेपाल / बांगला देश / म्यानमार"* उन सभी पडोसी देशों में, कभी भी *"सत्ता का एकसंघीकरण"* (???) नहीं बन पाया ‌है / था. उन सभी देशों में *"सत्ता का विद्रोह / उठाव"* हमेशा होते रहा. *"आर्थिक परिस्थिती"* का भी सामना उन्हे करना पडा. नेपाल का संविधान *"२० सितंबर २०१५"* को लागु हुआ. और नेपाल का संविधान को लिखनेवाली *मागासवर्ग* समुह की महिला / सांसद - *कृष्णा कुमार पेरियार* यह थी. नेपाल संसद ने फिर नेपाल *"हिंदु राष्ट्र"* को तिलांजली देकरं, नेपाल यह *"धर्म निरपेक्ष देश"* बन गया. धर्म से दुर हो गया.

          सितंबर २०२५ नेपाल के इतिहास में *"हिंसाचार त्रासदी"* का कालखंड है. सत्ताधारी *"ब्राह्मण / छेत्री - क्षत्रिय"* समुदाय अर्थात *"खस आर्य"* राजनीति को चुनौति है. ब्राह्मण (नेपाली भाषा मे *"बाहुन"*) समुदाय जनसंख्या १२.२ % तथा क्षत्रिय जनसंख्या १६.६ % एवं *"कुल जनसंख्या २९ %"* है. और नेपाल सत्ता पर उनका अधिपत्य स्थापित रहा है. *"राष्ट्रपति / प्रधानमंत्री / सेना प्रमुख / सरन्यायाधीश / सभापति"* आदि सभी जगह ब्राह्मण / क्षत्रिय वर्ग छाया रही है. *"जातियवाद"* चरम सीमा पार है. सदियों से यह परंपरा चलते आ रही है.  ब्राह्मण / क्षत्रिय समुदाय के बच्चे *"विदेश"* में पढाई करते रहे है. आलिशान *"कार / बंगलों"* को लाभ उठा रहे है. आम जनता के लिये तो, *"सोशल मिडिया"* पर पाबंदी लगायी गयी है. *"बेरोजगारी / गरिबी / भुखमरी"* का आलम है. सत्ताधारी के विरोध में, *"नैपो बेबी"* कैफेन के *"विद्रोह ही चिंगारी"* सुलझ चुकी है. *"जेन झी"* बैनर के अंतर्गत आंदोलन है. *"नेपाल संसद / सुप्रीम कोर्ट / प्रधानमंत्री कार्यालय"* आदि आदि जलाये गये है. नेपाल के भुतपुर्व प्रधानमंत्री *झालानाथ खनल* इनकी पत्नी *रवि लक्ष्मी चित्रकार* यह आग की शिकार हुयी है. वित्त मंत्री *विष्णु पौडेल* इन्हे दौंडा दौडाकर मारा पिटा गया है. भुतपुर्व प्रधानमंत्री *शेर बहादुर देउबा* इनकी हालात खस्ता हुयी है. राष्ट्रपति *रामचंद्र पौडेल* इन्होने तो, राजीनामा पेशकश की है. प्रधानमंत्री *के. पी. शर्मा ओली* इन्होने पद छोड दिया है. *"मंत्री वर्ग"* ने भी राजीनामे दिये है. प्रधानमंत्री *"ना ब्राह्मण / ना क्षत्रिय / ना वैश्य"* यह नारे लगे रहे है. नया प्रधानमंत्री के रुप में *बालेंद्र शाह बौध्द* इनका नाम उछाला जा रहा है. *"अंतरीम सरकार की प्रधानमंत्री"* के तौर पर / सर्वोच्च न्यायालय की भुतपुर्व *"ब्राह्मण"* सरन्यायाधीश *मिसेस सुशिला गार्गी* इन्होने *"ब्राह्मण"* समुदाय के राष्ट्रपति *रामचंद्र पौडेल* इनके हाथो शपथ ली है. *सुशिला गार्गी* छोटासा मंत्रीमंडल गठन कर *"संसद को विसर्जित"* करने की बडी चर्चा जोरो पर है. देश की हालात सामान्य करने के लिये, *"नेपाली सेना"* ने मोर्चा संभाला भी है. यह सभी घटना देखकर मुझे *"श्रीलंका / बांगला देश / पाकिस्तान / म्यानमार"* इन देशों की याद आती है. उन देशों के *"प्रमुखों के हाल"* हमने देखे है. भारत की सत्तानीति भी, *"हुकुमशाही"* के ओर बढी हुयी दिखाई देती है. भारतीय *"प्रजातंत्र"* को धत्ता कर दिया हैं. भारत का *"पुंजीवाद"* मजबुत हुआ है. *"भारतीय अर्थव्यवस्था का बडा ही खस्ताहाल"* है. भारत में *"बेरोजगारी / गरिबी / भुखमरी"* का बडा आलम है. नेताओं के सुपुत्र *"मौजमस्ति"* कर रहे है. विदेशों में *"पढाई"* कर रहे है. भारत के सत्तावाद में भी *"ब्राह्मणवाद का बोलबाला"* है. भारत के उपराष्ट्रपती *सी. पी‌. राधाकृष्णन* ब्राह्मण वर्ग से संबंधित है. अत: क्या हम *"नेपाल / पाकिस्तान / बांगला देश / श्रीलंका"* इन देशों की *"परिस्थिती"* की वह राह देख रहे है ? इटली का *मुसोलिनी* / जर्मनी का *एडोल्फ हिटलर* आदि हुकुमशहा का *"दु:खद अंत"* हमने सुना है. दु:खद अंत का इतिहास रचा गया है. *"क्या हम उसका इंतजार करे ?"* एक अहं प्रश्न है सत्तानीति के लिये !!!


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▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य*

       नागपुर दिनांक १३ सितंबर २०२५

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