Sunday 30 October 2022

 🪞 *हे आयना तुम....!*

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

        मो. न. ९३७०९८४१३८


हे आयना तुम ....!

मानव का प्रतिरूप हो

सत्य से युं तों

बहोत कोसों दुर हो

तुम्हे कोई छुं नही सकता

तुम केवल एक षद्मछाया हो...

हे आयना तुम...!

मानवी चेहरा देखने का

एक केवल साधन हो

तुम्हारा अस्तित्व युं तो

इस पृथ्वी मानव ने

बेचने तक ही सिमित रखा है...

हे आयना तुम ...!

ना ही जिवित रुप हो

सत्य कभी हो नही सकते

सुंदरता का बखान

यु ही तुम दिखाते हो

तुम्हारा वजुद युं तो

केवल मानवी गुलाम है...


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