Monday 3 October 2022

 🌹 *हे आम्रे, काश तु मेरा प्रेम होती...!*

     *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर

     मो. न. ९३७०९८४१३८


हे आम्रपाली,

तुम्हारा इतिहास रहा है

सच्चे प्यार का, समर्पण का

त्याग का, इमानदारी का

और देशभक्ति का भी...!

तुम्हे व्यवस्था की हालात ने

वैशाली की नगरवधु बना डाला

और तुम वह दायित्व निभाते चली

वही तुम्हारे वास्तव जिंदगी में

राजा अजातशत्रु का आ जाना

और तुम उस के अच्छे गुणों पर

पुरे मन से आशिक हो गयी

और सब कुछ दे गयी उसके नाम...!

परंतु तुम जब समज गयी की

जो तुम्हारा समर्पित प्यार है

वो तुम्हारे दुश्मन देश का राजा है

तुम पुर्णत: तुट सी गयी 

और द्वंद्वता मे पुरी फस गयी 

इधर सच्चा प्यार और उधर देश प्रेम ...!

वही राजा अजातशत्रु भी 

सच्चा प्यार कर बैठा था तुम पर

वैशाली नगरी को पाने की लालसा

बस, राजा के सामने प्रश्न चिन्ह आ गये

इधर सच्चा प्यार और उधर देश विस्तार !

वही बुध्द का आगमन

वैशाली नगरी के आम्रवन में होता है

आम्रे, तुम दौडकर चली जाती हो

बुध्द का उपदेश पाने के लिए

उन्हे संघ सहित भोजन निमंत्रण देकर

अपनी मस्ती में रथ से चली जाती हो

वैशाली राजा वह समाचार सुनते ही

आम्रे, राजा तुम्हे बडी ऑफर देता है

बुध्द के भोजन दान का श्रेय उसे दे

तुम राजा का वो ऑफर ठुकराती हो

बुध्द को अपना प्रिय आम्रवन भी

तुम दान में दे जाती हो

धन्य हो तुम, हे आम्रपाली...!

वही मै भारत का दुसरा इतिहास

वेश्या नामक दुर्गा का देखता हुं

दोनो का भी चरित्र एक सा है

परंतु दुर्गा ने लगातार नव दिन

राजा महिषासुर के साथ

कामभोग शय्या करते हुये

लालच में उसकी हत्या कर दी

फिर व्यवस्था ने उसे देवी दुर्गा बना डाला

और तुम आज भी नगरवधु हो ...!

हे आम्रे, तुम्हारा बुध्द को शरण जाना

प्रिय आम्रवन बुध्द को दान में देना

अपने सर्वस्व का त्याग करना

यह भारत का इतिहास बना है

आम्रे, तुम गद्दार नही हो, लालची नही हो

तुम भोग विलासी‌ भी नही हो

और धोका देनेवाली नारी भी नही हो

तुम प्यार का, देश भक्ति का प्रतिक हो

मुझे नाझ़ है तुम्हारे गुणों पर

बस, मन की एक ही ईच्छा रही है

हे आम्रे, काश तु मेरा प्रेम होती...!!!


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