Tuesday 25 October 2022

 🤡 *** *फिल्मी नाचा - गगन मलिक का महाठग नितिन गजभिये के साथ समाज गद्दारी फिल्मी "सनातन राम" ड्रामा...!*

   * *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२५२२६९२२


       गगन मलिक नामक इस *"फिल्मी नाचा"* का, दिवाली के अवसर पर, सनातन  *"राम के अवतार"* का फिल्मी रोल करने पर, कुछ हमारे अपने लोगों द्वारा मुझे वह पोष्ट भेजकर, उन आंबेडकरी मित्रों ने मेरा अभिप्राय पुछना चाहा. *गगन मालिक का तथागत बुध्द रोल निभाकर, कभी बौध्द भिक्खु बनना !* कभी वह चिवर उतारकर मानव‌ रोल मे रहना ! *बुध्द मुर्ती का अवैध व्यापार (तस्करी ?) करना !* प्लास्टर ऑफ पेरिस (मेटल की नही) की नौ इंच की बुध्द मुर्तीयां (थोडीसी) बाटकर युं वाहवा लेना ! कुछ थोडे से वो *"अवैध पैसों को लगाकर"* राष्ट्रिय / आंतरराष्ट्रीय परिषद (?) नही *गगन मेला* लेने का नाटक करते हुये, समाज को गुमराह करना ! हां, गगन मलिक के उस *"अवैध व्यवहार / उपद्रव"* में, हमारे अपने कुछ लोग गंगा नहाने (?) की चेष्टा करते है, वह अलग विषय है ...!

    फिल्मी नाचा - *गगन मालिक* विदेश से मुफ्त आनेवाली वो बुध्द मुर्तीया, महाठग - *नितिन गजभिये* इसके माध्यम से, पहले *"मातोश्री अहिल्याबाई होलकर बहुद्देशीय संस्था"* इस माध्यम से, *"अवैध व्यापार (तस्करी ?)"* किया करता था. और गगन मलिक उस संस्था का उपाध्यक्ष भी है. वही गगन मलिक टीम के कुछ अन्य लोगों को, महाठग - नितिन गजभिये की वो मनमानी बरदास्त ना होने पर, *"मेसर्स गगन मलिक फाऊंडेशन"* नाम से अलग संस्था बनाकर, और *गगन मालिक* को उस स्व: नामित संस्था का अध्यक्ष बनाकर, *"गगन मलिक फाऊंडेशन"* द्वारा बुध्द मुर्तीयां अवैध रुप से बेचकर, महाठग - *नितिन गजभिये* के पैर कतरने की, बाहर में बडी ही चर्चा हो रही है. अंदर की सच्चाई तो, वो ही लोग जाने !!! *मेटल की बुध्द मुर्तीयों* का दर भी उन्होने तय किया है. * नौ इंच से एक फिट की बुध्द मुर्ती - रू. ३००० - ५००० /- * तिन फिट की बुध्द मुर्ती - रू. ३०,००० - ४०,००० /-   * छ: फिट की बुध्द मुर्ती - रू. ५०,००० - ६०,००० /- * नौ फिट की बुध्द मुर्ती - रु. ८०,००० - ९०,००० /- उस टीम का *विदेशों से ८४ हजार बुध्द मुर्तीयां,* मुफ्त मे लाने का‌ एवं उसे बेचने का लक्ष है. अब आप ही सोंचो कि, *गगन मलिक टीम* का कितना बडा *अवैध व्यापार* (तस्करी ?) है ??? और हमारे अपने ही कुछ स्वार्थी लोग, गगन को उस व्यापार में साथ दे रहे है.

    अब हमे महाठग - *नितिन गजभिये*  की संस्था - *"शिवली बोधी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि."* अंतर्गत सिहोरा गांव में (कन्हान के समिप), उस सिहोरा गाव के लोगों की खेत की जमिन *"पावर ऑफ एटर्नी"* उसके नाम करते हुयें, *"१००० की संख्या में प्लॉट"* गिराकर, उस प्लॉट को *"पांच लाख - छह: लाख रुपयों"* में बेचा गया. परंतु महाठग - नितिन गजभिये द्धारा, *"ना तो खेत जमिन मालिकों को जमिन का मुहावजा दिया गया, और ना ही तो प्लॉट धारकों को जमिन की रजिस्ट्री कराकर दी गयी."* वे खेती मालिक एवं प्लॉट धारक आज भी पैसों के लिए, महाठग - नितिन गजभिये के पिछे चक्कर लगा रहे है. अब सोंचो *पांच लाख * १००० = ? कितने करोड की महाठगी है...???* महत्वपुर्ण विषय यह कि, उस प्लॉट की रजिस्ट्री, कुछ कारणवश हो नही सकती...! अब इस *"करोड़ों रुपयों के घपलों"* को हम क्या कहे ? और अब यह *"अवैध बुध्द मुर्ती"* का व्यापार (तस्करी) ?

    *"दि‌ बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया"* के स्वयंघोषित अध्यक्ष - *चंद्रबोधी पाटील* से, मेरे बहुत अच्छे घरेलु संबंध थे. और मै मेरी संस्था *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* के माध्यम से, मै हमेशा *"जागतिक बौध्द परिषद"* लेते रहता हुं. सन २०१५ में, चंद्रबोधी पाटील और मेरी हुयी वैयक्तिक भेटं में, क्यौं ना हम दोनों मिलकर, नागपुर में विशाल *"जागतिक बौध्द परिषद"*  तथा *"जागतिक बौध्द महिला परिषद"* ले. तथा श्रीलंका के महामहिम राष्ट्रपती / थायलंड के राजकुमारी / तथा विदेश के मान्यवरों को बुलाया जाएं ! यह विचार सामने आया. और वह जागतिक परिषद लेना तय होने पर, *मैने स्वयं* वह *"जागतिक बौध्द परिषद / तथा जागतिक बौध्द महिला परिषद"* लेने का पुर्ण नियोजन बना लिया. मेरे ही कार्यालय में, उस संदर्भ में हमारी मिटिंग होती रही. उस हमारी मिटिंग में, मैने कहीं बार महाठग *नितिन गजभिये* को, हमारे मिशन में साथ में जोडने से, मैने चंद्रबोधी पाटील को मना किया था. फिल्मी - *गगन मलिक* भी हमारे साथ हुआ करता था. परंतु उसका ज्यादातर लगाव, यह नितिन गजभिये के तरफ दिखाई देता था. और नितिन का चरित्र मुझे कभी भी अच्छा नही लगा. क्यौं कि, मै नितिन के हर हरकतों को, अच्छी तरह से जानता था. परंतु चंद्रबोधी पाटील के कारण ही नितिन को, हमारे मिशन में जगह मिली. आखिर महाठग - नितिन गजभिये द्वारा उसकी *"आदती नालायकी"* चंद्रबोधी पाटील को दिखा दी. उस मिशन में *शंकरराव ढेंगरे / मेरे स्वयं के - चार लाख रुपये नितिन गजभिये* को दिये गये. परंतु महाठग नितिन गजभिये ने, वह रुपयें हमे कभी वापस नही किये.‌ मैने कैसें तो भी, उस विषम हालात में, वह *"जागतिक बौध्द परिषद / जागतिक महिला बौध्द परिषद"* सफलता से संपन्न की. *श्रीलंका के महामहिम राष्ट्रपती* का नागपुर आने का कार्यक्रम भी, हमे मिल चुका था. परंतु भारत सरकार द्धारा, सुरक्षा देने की असमर्थता के कारण, श्रीलंका के महामहिम राष्ट्रपती हमारे परिषद मे नही आ सके. वही *थायलंड की राजकुमारी* नागपुर आनेपर भी, वो *"जागतिक बौध्द महिला परिषद"* में, सहभाग ना लेने का बडासा षडयंत्र - *गगन मलिक* द्वारा खेला गया. चंद्रबोधी पाटील तो असहायसा दिखाई देता रहा. कहने का तात्पर्य यह कि, फिल्मी नाचा - *गगन मालिक* यह आदमी के रूप में, एक नाटकी बहुरुपिया है. अत: हमें फिल्मी नाचा - *गगन मलिक* से तथा महाठग - *नितिन गजभिये* इससे सावधान रहना चाहिये. उन्हे ज्यादा तवज्जो देना, यह तो हमें बहुत महेंगा पड सकता है....!!!


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