🫵 *सत्य की शक्ति....!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो.न. ९३७०९८४१३८
सत्य ...!
यह बहुत ही कटु होता है
इस पर चलना तो
इतना सहज भी नही है.
इसलिए
विशेषत: कमजोर लोग
या मतलबी लोग
अपना रास्ता बदलते है
वही आसान मार्ग है
ऐसा उन्हे लगता है
फिर वह ताह उम्र
स्वयं को कोसते रहते है.
क्यौं कि झुट की हवेली
यह मजबुत नही होती
वह कभी भी
गिरती या ढह जाती है.
और झुट बोलनेवाले
उन्हे उनका झुट बोलना
उनके अंतर्मन को
हमेशा कोसते रहता है
वे कभी खुश नही रहते.
सत्य की स्वीकार से
और सत्य पर चलने से
मन को आनंद मिलता है
वह बहुत अनमोल है
ना कोई परेशानी है
ना ही कोई पिडा है
अंतर्मन का दु:ख भी नही
सत्य यह चिरकाल सत्य है.
बस थोडीसी हिम्मत बांंधना
और अंतर्मन को जगाना
सिर्फ काफी होता है
पर मनुष्य स्वभाव तो
शार्टकट मार्ग पर चलकर
सब कुछ खो जाता है.
इसलिए बुध्द
सत्य मार्ग पर चलने की
हमे शिख देते रहे है
वह युं ही नही है.
बुध्द कहते है -
मुसावादा वेरमणी
सिक्खापदं समादियामि
अर्थात मै झुठ वचन से
विरत रहने की
शिक्षा ग्रहण करता हुं...!
क्यौ कि, सत्य की शक्ति
यह बहुत बढी होती है...!!!
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नागपुर दिनांक ६ जुन २०२३
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