💰 *नरेंद्र दा. मोदी सरकार की आर्थिक नीति से, क्या "विकसनशील भारत" का दौर "विकास भारत" की और जायेगा ?*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
दिनांक २८ मई २०२३ को, भारत के नये संसद भवन का, विवादास्पद उदघाटन होने के बाद, *नरेंद्र मोदी सरकार* पर, विरोधी दलो का हमला करना, बंद होने का नाम ही नही ले रहा. और लगाता भी है कि, सत्ता दल - विरोधी दलों का यह विरोध, आनेवाले २०२४ के साल, *"लोकसभा चुनाव तक"* जारी रहेगा. अगर नरेंद्र मोदी की हार होती है, तब भी यह चर्चा जारी रहेगी. और नरेंद्र मोदी की जीत हो जाती हैं, तब भी यह बडी चर्चा जारी रहेगी. मुख्य प्रश्न यहां तो,*"नरेंद्र मोदी के - हार या जीत"* का बिलकुल ही नही है. प्रश्न यहां तो, *"भारत की बिगडी अर्थ व्यवस्था को, कैसे सुधारा जाए...?"* यह है. अगर सन २०२४ के, *"लोकसभा चुनाव"* चुनाव में, नरेंद्र मोदी की हार होती है, तब के सत्ताधारी (?) - आज के तमाम बिखरे विरोधी दल, *"भारत की बिगडी अर्थव्यवस्था"* को, पटरी पर कैसे लायेगा ? इन विरोधी दलों के पास भी, इस संदर्भ में, *"कोई जादु की छडी (प्लॉन) है ???"* यह भी अहं प्रश्न है.
अभी अभी हमारे *"राष्ट्रिय सांखिकी विभाग"* द्वारा, *भारतीय अर्थव्यवस्था* का वर्ष २०२२ - २३ के तिमाही (जानेवारी ते मार्च २०२३) का *"विकास दर"* (GDP) ६.१ % बताया है. और भारत का वार्षिक *विकास दर ७.२ %* बताया गया है. साथ ही उन्होने *"तुनात्मक विकास दर"* बताया है. जैसे - पाकिस्तान ०.२९ %, *चायना ५.०१ %.* आर्थिक वर्ष २०२१ - २२ में, भारत का विकास दर ९.१ % बताते हुये, सन २०२२ - २३ में जीडीपी (विकास दर) के अनुसार अर्थव्यवस्था ३.३ लाख कोटी डॉलर बतायी है. तथा *"ग्रास व्हॅल्यु एडेड* (जीव्हिए) मार्च २०२३ अंत तक ७ % बताया है. वही पिछले साल वह ८.८ % था. अब हम भारत के कुछ मान्यवर अर्थशास्त्री के विचार से भी देखेंगे.
भारत की अर्थमन्त्री *निर्मला सितारमण* इनके पती, तथा नामचिन अर्थतज्ञ *पराकला प्रभाकर,* वे तो आंध्र प्रदेश शासन में, सन २०१४ - २०१८ इस काल में, कैबिनेट स्तर पर कार्यरत रहे थे. उन्होने मशहुर पत्रकार *करण थापर* इनको दिये गये एक मुलाखत में, *नरेंद्र मोदी* इनके बारें में स्पष्ट कहा कि, *"He is staggeringly incompetent in Economics and most other things, except in spreading Communalism & Divisiveness ! Very frank and creditable !"* दुसरे अर्थ में, नरेंद्र मोदी इनको तो, अर्थ विषयक ज्ञान के लिए *अयोग्य* माना. *संप्रदायवाद / विभक्तीकरण* का केवल प्रचारक माना है. वह किसी विरोधी नेता का भी बयाण नही है. इसी बात को, जाने माने विशेषज्ञ *प्रशांत भुषण* इन्होने, अपने ब्लॉग पर भी लिखा है.
अब हम कोरोना काल के पश्चात का विचार करे तो, भारत की *"अर्थव्यवस्था"* पर चर्चा करेंगे. अर्थव्यवस्था को समझने के लिए, निम्न विषयों को समझना जरुरी है. *GDP Growth Rate* - (Gross Domestic Product Growth Rate) - *सकल घरेलु उत्पाद विकास दर* / *सकल घरेलु उत्पाद* - Gross Domestic Product *(GDP)* / GDP per Capita / Gross Annual Income *(GNI)* / GNI Per Capita. उपरोक्त विषय पर, हम विस्तार से चर्चा फिर कभी करेंगे. अभी हम केवल कुछ प्रमुख देशों की, *"GDP Growth Rate"* पर चर्चा करेंगे. GDP पर नही. *सन २०२१* के दर - अमेरिका (५.९ %) / भारत (८.७ %) / चायना (८.१ %) / जापान (१.७ %) / श्रीलंका (३.३ %) / थायलंड (१.५ %) / सिंगापुर (७.६ %) / रशिया (४.७ %) अन्य देशों की तुलना में, भारत का "सकल घरेलु उत्पाद विकास दर" क्या है ? और हम *"विश्व गुरु"* बनने की बात करते है. *सन २०२२* का दर देखे. अमेरिका (२.६ %की वृध्दी) / चायना (५.५ % - लक्ष से कम) / जापान (१ %) / श्रीलंका (१.६ %) / थायलंड (३.४ %) / सिंगापुर (३.६ %) / रशिया (- ५.१ %) रशिया का दर, निगेटिव्ह में दिखाई देता है. शायद रशिया - युक्रेन युध्द का वो परिणाम हो. वही भारत का दर देखे तो...??? अब हम *"बेरोजगारी"* (Unemployment) पर चर्चा करेंगे. *सन २०२१* का वह दर - अमेरिका (३.७ %) / भारत (८.२८ %) / चायना (५.५%) / जापान (२.८० %) / श्रीलंका (५.२४ %) / थायलंड (१.४२ %) / सिंगापुर (३.६२ %) / रशिया (५.०१ %) बताया गया है. आधुनिक युग में *'इंटरनेट दर"* (Internet User) - अमेरिका (९९.९ %) / भारत (४७ %) / चायना (७३.१ %) / जापान (९०.२ %) / श्रीलंका (३५ %) / थायलंड (८८.२ %) / सिंगापुर (९२ %) / रशिया (८८.२ %) दिखाई देता है. *"जनसंख्या"* में भारत एक नंबर पर आ गया है. *अप्रैल २०२३* में, भारत की कुल जनसंख्या, यह चायना से २० लाख पार कर गयी है. अर्थात *भारत ने १४० कोटी का आकडा पार कर लिया है."*
रिझर्व बैंक ऑफ इंडिया के गव्हर्नर *उर्जित पटेल* ने, भारत के प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* को, उनकी मांग अनुसार *"सरप्लस मनी"* देना अस्वीकार किया. और अपना इस्तीफा दिया. उसके बाद आये *शशीकांत दास* ने, निम्न *"रिझर्व फंड (सरप्लस मनी) राशी"* भारत सरकार को दी है. सन २०१६ - १७ (३०,६५९ कोटी) / २०१७ - १८ (५०,००० कोटी ) / २०१८ - १९ (६५,८९६ कोटी) / २०१९ - २० (५७,१२८ कोटी) / २०२० - २१ (९९,१२२ कोटी). रिझर्व बैंक तथा अन्य वित्त संस्थाओं का व्यवहार, जन अनुकुल परिणाम करनेवाला होना चाहिये. और हमारे संविधान के *"मार्गदर्शक तत्व"* भी, इसी ओर इंगित करते है. परंतु मोदी ने, विचार को ताक पर रखकर, शासन चलाया जा रहा है. पिछले नव सालों में, कार्पोरेट कंपनियों में, बडे मात्रा में बैंक से कर्ज लिया है. और केवल ३० - ३५ % कर्ज ही वापस आया है. भारत की तत्कालिन प्रधानमन्त्री *इंदिरा गांधी* इन्होने, रिझर्व बैंक इंडिया को, ५०,००० कोटी के बदले ७०,००० हजार कोटी, सरप्लस मनी मांगा था. रिझर्व बैंक ने, वह राशी देने से मना किया. तब उन्होने वह बात मान ली थी. रिझर्व बैंक को, जो भी नफा होता हो, *"वह पुरा सरकार ही लेती हो तो, जो भी बैंक डुबने के कगार पर हो, उसे बचाया कैसे जा सकता है ?"* यह प्रश्न है. अगर छ: माह तक, *"महंगाई निर्देशांक"* बढता जा रहा हो तो, सरकार ने उन्हे सवाल पुछना जरुरी है. इस पर संसद में भी चर्चा जरुरी है. परंतु इस पर खयाल जाता हुआ, हमें नज़र नही आता.
*चक्रवर्ती सम्राट अशोक* काल में, *"अखंड भारत"* हुआ करता था. हिमालय से हिंदी महासागर तक, इराण से इंडोनेशिया तक फैला हुआ था. तब *अखंड भारत* यह *"विकास भारत"* हुआ करता है. विदेशों से व्यापारी लोक, भारत में व्यापार करने आते थे. तक्षशीला, विक्रमशीला, नालंदा आदी बौध्द विद्यापीठ में, पढाई करने लिए, विदेशों से विद्यार्थी आया करते थे. परंतु बामनी सेनापती *पुष्यमित्र शुंग* ने, मौर्य वंश का आखरी सम्राट *ब्रृहदत्त* की हत्या की. और तब से *"अखंड भारत"* यह खंड खंड हो गया. अखंड भारत से जो जो देश अलग हुये, वे देश है - अफगानिस्तान (१८७६) / नेपाल (१९०४) / भुतान (१९०६) / तिब्बत (१९०७) / श्रीलंका (१९३५) / म्यानमार - बर्मा (१९३७) / पाकिस्तान (१९४७). सन १८५७ में, भारत का कुल क्षेत्रफल ८३ लाख चौरस किलोमीटर बताया जाता है, जो आज ३३ लाख चौरस किलोमीटर है.
चक्रवर्ती सम्राट अशोक का इतिहास, *"स्वर्णमय भारत"* का उज्वल इतिहास है. और *भारत आझाद* (१९४७) होने के बाद, *गणराज्य भारत* (१९५०) में, चक्रवर्ती सम्राट अशोक की राजमुद्रा *"चार दिशाओं की ओर दहाड लगानेवाले शेर"* को, भारत सरकार का प्रतिक माना गया. परंतु *नरेंद्र मोदी* सरकार ने, तामिल *"चोल वंश"* का *"सेंगोल"* विवाद खडा किया है. (चोल का अपभ्रंश *चोर* है. जैसे *हिंदु* > हिनदु > हिन + दु > हिन = निच, दस्यु, डाकु. दु = प्रजा / *हिंदु = चोर, निच लोक*) स्वामी दयानंद सरस्वती ने, स्वयं को *"हिंदु"* कहने से मना कर, *"आर्य समाज"* की स्थापना की थी. सन १९४१ में, *"हैदराबाद साम्राज्य की जनगणना* में, ब्राम्हण - आर्यसमाजी लोगों ने, स्वयं को *"हिंदु"* कहने से इंकार किया था. और स्वयं की अलग नोंद की गयी थी. और *"हिंदु समुदाय"* को, बहुत से जाती जाती में बांट डाला. *"अनुसुचित जाती / अनुसुचित जनजाती"* यह समुदाय हिंदु वर्ग में, न आने के कारण, अनु. जाति / अनु. जमाती का, अलग अलग शेड्युल्ड बनाया गया. *"आरक्षण प्रणाली"* का आधार भी वही है. परंतु वह आरक्षण भी पुर्णत: भरा नही गया. जैसे - *अनुसुचित जाती* (जनसंख्या १५ % हिस्सेदारी ११.९ %) / *अनुसुचित जनजाति* (जनसंख्या ७.५ % हिस्सेदारी ४.३ %) / *ओबीसी* (जनसंख्या ५२ % हिस्सेदारी ५.२ %) / *मायनोरीटी* (जनसंख्या १०.५ % हिस्सेदारी १.५ %) / *कुल जनसंख्या ८५ % और हिस्सेदारी २१ %* ही है. वही सवर्ण - उच्च जाती की *जनसंख्या १५ % हिस्सेदारी ७९ %* दिखाई देती हैं. *"बंधुभाव अभाव"* भी है. यही कारण है कि, भारत अब यह केवल *"देश"* (Country) रह गया है. वो *"राष्ट्र"* (Nation) नही बन पाया है. और भारत यह *"विकसनशील देश"* (Under Developed Country) है. वो *"विकास भारत"* (Developed Country) कभी नही बन पायेगा. तो फिर *"स्वस्थ भारत - संपन्न भारत"* यह केवल *"मुंगेरीलाल के हसिन सपने"* ही है...!!!
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *
* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर, दिनांक २ जुन २०२२
No comments:
Post a Comment