✍️ *युनिफार्म सिव्हिल कोड (समान नागरिक संहिता) का लोकसभा चुनाव २०२४ में, क्या भाजपा राजनीति का नयां दाव ...???*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
सुबह के न्युज पेपर की *"युनिफार्म सिव्हिल कोड"* (समान नागरिक संहिता - U.C.C.) तथा *"बसपा सशक्त (?) नेता मायावती राज के भ्रष्टाचार ?"* की खबर पढकर, लिखने का सोच ही रहा था. मेरे कुछ महत्वपुर्ण कामों के कारण, अभी अभी उन न्युज पेपर के विषयों पर, अपने मन के कुछ शब्दों को, रास्ता दे रहा हुं. सन २०१४ तथा २०१९ का लोकसभा चुनाव और तब के धार्मिक विषय - जैसे कि, *"रामजन्मभूमी मंदिर, कश्मिर के कलम ३७०, मुस्लिम तलाक, हिंदुत्व"* इन विषयों पर, भाजपा ने भारत की सत्ता पर, अपने विजय का परचम पहराया. उन विषयों में सें, पहले तिन विषय अब हट गये है. *"हिंदुत्व"* यह अब कोई विषय दिखाई नही देता. परंतु *"युनीफार्म सिव्हिल कोड"* यह तुन-तुना, क्या भाजपा को लोकसभा चुनाव २०२४ में, सत्ता पर आसिन करेगा ? यह प्रश्न है.
*"युनिफार्म सिव्हिल कोड"* को समझने के पहले, हमे भारत के कुछ धार्मिक कानुनों का, परिचय होना बहुत जरुरी है. *"दि हिंदु मैरेज एक्ट १९५५, दि मुस्लिम पर्सनल लॉ - मैरेज एक्ट १९३९, शिखों का - दि आनंद मैरेज एक्ट १९०९"* साथ ही बौध्द समुदायों द्वारा *"दि बुध्दीस्ट मैरेज एक्ट"* (बनाया गया ड्राफ्ट २०१८) की नयी अलग उभरती मांग...! जब वह *"बुध्दीस्ट मैरेज एक्ट"* का ड्राफ्ट लिखकर फायनल किया गया, तब उस समिती का एक सदस्य मेरे (डॉ. मिलिन्द जीवने) ऑफिस आकर, बहुत खुशी से वह खबर मुझे सुनाने लगा. तब मैने उसे बहुत प्यार से पुछा था, *"बौध्द धर्म के संस्कार विधी, वहां क्या बताई है ?"* तब वह समिती सदस्य, मेरे सामने कुछ नही बोल पाया. मैने उसी समय उसे, *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा व्हि. एम. कर्डक* को भेजा हुआ, बौध्द संस्कार पत्र दिया. और वह पत्र पढकर वो अचंबित हो गया. और महत्वपुर्ण विषय यह भी है कि, भारत के तमाम धार्मिक आवाम के लोग - हिंदु, मुस्लिम, शिख, इसाई, बौध्द, पारसी इन समुहों के लिए, *"दि स्पेशल मैरेज एक्ट १९५४"* के तहत नियम लागु होते है. और वह कानुन आंतरधार्मिय लोगों को भी लागु है. फिर *" युनिफार्म सिव्हिल कोड"* कानुन के औचित्य का विषय, हमारे भारत के राजनीति में उछालने के पिछे, उद्देश क्या रहा है ???
*"समान नागरीक संहीता"* (युनिफार्म सिव्हिल कोड - UCC) कें अंतर्गत - *"सभी नागरीकों के विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत, उत्तराधिकारी समान व्यक्तिगत विषयों का अंंतर्भाव किया जा रहा है."* अभी अभी १४ जुन २०२३ को, *"२२ वे विधी आयोग"* द्वारा उपरोक्त कानुन के संदर्भ में, मान्यताप्राप्त संगठनों सें *"३० दिनों के अंदर"* वे अपनी राय वेबसाईट / इमेल से मांगी है. यहां सवाल तो, *"२२ वे विधी आयोग द्वारा समान नागरीक संहिता ड्राफ्ट"* क्यौं वह पेश / सादर नही किया गया ? मान्यताप्राप्त संघटनों द्वारा राय मांगना ? यह क्या दर्शाता है. अर्थात *"भाजपा का उद्देश, यहा शुध्द और स्पष्ट नही दिखाई देता."* इससे हम क्या समझें ? यह बहुत जरुरी प्रश्न है. इसके पहले भी *"२१ वा विधी आयोग"* बिठाया गया था. उसके रिपोर्ट का क्या हुआ ? या वह रिपोर्ट क्या है ? *"यही नही, भारत सरकार ने, नवंबर २०१९ तथा मार्च २०२० में, समान नागरीक संहिता - UCC बिल, दो बार संसद में पेश किया. फिर वो वापस क्यौं लिया गया ?"* यह महत्वपुर्ण प्रश्न है. अर्थात कर्नाटक उच्च न्यायालय के पुर्व चिफ जस्टिस *ऋतुराज अवस्थी* के अध्यक्षता में बना, यह *"२२ वा विधी आयोग"* कोई लोकसभा चुनाव २०२४ की कोई चाल तो नहीं ?
जब हम *'समान नागरिक संहिता"* के बारें में सोचते हैं, तब हमे *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर* इनके द्वारा *"संविधान सभा"* में सादर, *"हिंदु कोड बिल १९५१"* याद ताजा हो जाती हैं. वह बिल पास ना होने के कारण, कानुनमंत्री *डॉ. आंबेडकर जी* ने, अपने मंत्रीपद का इस्तिफा दिया था. वह बिल समस्त हिंदु कुटुंब व्यवस्था के फायदेमंद था. हमें यह भी समझना होगा कि, *"भारतीय संविधान"* के अनुच्छेद २५ - २८ अंतर्गत, भारतीय नागरिकों के धार्मिक स्वतंत्रता की हमी देता है. और संविधान के अनुच्छेद ४४ अंतर्गत,भारतीय राज्यो से, भारतीय नागरिकों के लिए नितीयां बनाते समय, भारतीय नागरिकों के *"निर्देशांक सिंध्दातों'* की याद दिलाता है. यहां प्रश्न है कि, *"भारत की सत्तानीति - राजनीति, क्या भारत के आवाम के प्रति बहुत ही बडी वफादार है...?"* जरा सोंचो.
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* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
(भारत राष्ट्रवाद समर्थक)
मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
नागपुर, दिनांक १६ जुन २०२३
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