Sunday, 11 June 2023

 👌 *नफ़रत युं छोडने का...!*

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर

       मो. न. ९३७०९८४१३८


नफ़रत युं छोडने का, तुम सच्चा वादा करो

बुध्द की शरण में, तुम्हे शांती मिल जाएगी...


हे धन संपन्न सुमेध, शांती की तलाश में रहा

सब कुछ बाट़कर, वो हिमालय में चला गया

दीपांकर बुध्द का आना, बसं बहाना हो गया

उस बुध्द की राहों में, भावी बुध्द बता गया...


सिध्दार्थ का गृहत्याग, समझो युं ही ना रहा

शाक्य संघ का संघर्ष, घर छोडने कारण रहा

पिंपल की छाया में, वो ज्ञान प्राप्ती बैठ गया

विश्व की कल्याण में, महान बुध्द‌ बन गया...


बुध्द के शिष्य, सारीपुत्र मौग्गल्यान हो गये

गुरु के सु-कदमों पर, वो बडे महान हो गये

डाकु अंगुलीमाल का आना, युं ही ना गया

बुध्द की शरण में, दुनिया मे नाम रच गया...


वैशाली की आम्रपाली, धन से संपन्न हो गयी

पर शांती के लिए, वो हमेशा ही तरसती रही

बुध्द का वैशाली जाना, एक बहाना हो गया

संघ मे दाखिल होकर, अर्हत पद चले गयी...


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नागपुर, दिनांक ३० मई २०२३

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