📓 *भारत का संविधान - बहुत ही अनमोल एक कानुनी दस्तऐवज : भारतीय संविधान का प्रोटोकॉल कोडिफिकेशन हो !!!*
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य''* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु मप्र
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
मेरा जन्म दिन १८ अगस्त. *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* इस राष्ट्रिय संघटन टीम द्वारा, *"सी.आर.पी.सी. परिवार मिलन समारोह"* के रुप में वह मनाया गया. मेरे उस जन्म दिन पर, मुझे चार अनमोल भेट मिली. वह अनमोल भेट में से एक बडी भेट है, *"भारत का संविधान"* दस्तावेज प्रत. साथ ही दुसरी बहुत बडी भेट है, *"बोधिवृक्ष का पान."* वह दोनों ही अनमोल भेट मुझे, सीआरपीसी वुमेन्स विंग की राष्ट्रिय उपाध्यक्ष *इंजी. माधवी जांभुलकर* इनके द्वारा भेट की गयी. तिसरी बडी भेट है, मेरा फेवरेबल पहनावा *"जॅकेट."* वह जॅकेट सीआरपीसी के मेरे सभी सहपाटी *डॉ. मनिषा घोष / सुर्यभान शेंडे / एड. राजेश लाख / प्रा. नितिन तागडे / शालिक जिल्हेकर / राजेंद्र घोरपडे / धर्मेंद्र सिंग / इंजी माधवी जांभुलकर / सुरेखा खंडारे / एड. प्रज्ञा विजय निकोसे / अधिर बागडे / डॉ. राजेश नंदेश्वर / डॉ. प्रमोद चिंंचखेडे / मिलिन्द मस्के / दिगंबर डोंगरे / एस. आर. शेंडे (सौंसर मप्र) / डॉ. भारती लांजेवार / सीमा बोरकर / नंदकिशोर पाटील / डॉ अमित नाईक / विजय निकोसे / विजय सहारे / शिवनाथ नागदेवे / अशोक सोनटक्के / ज्योती टेंभुर्णे* और सभी मित्र परिवार की ओर से वह भेट दी गयी थी. चवथी अनमोल भेट है, उनका *"प्यार और अपनापण."* इसके साथ ही *शंकरराव ढेंगरे / इंजी. मोरेश्वर मेश्राम (फिल्म निर्माता) / मिलिन्द गाडेकर / निशा नाईक / राजश्री बोबडे / विलासराव बोबडे* इन्होने भी मेरे घर आकर मुझे दी गयी *"बुके भेट."* मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष आयु. *एस.आर. शेंडे* जी तो, सह परिवार आ गया था. वही मुझे फोन पर / मेसेज के रुप में, मेरे मित्रों / शुभ चिंतकों की ओर से भी मंगल कामना मिली थी. परंतु मेरे जन्म दिन पर *डॉ मनिषा घोष / सुरेखा खंडारे / एड. प्रज्ञा निकोसे / राजेंद्र घोरपडे / डॉ राजेश नंदेश्वर"* इन्होने कार्यक्रम सफल बनामे बहुत परिश्रम किया था. पर प्रमुख विषय है - *"भारतीय संविधान"* - एक कानुनी दस्तऐवज.
*"भारत के संविधान"* की दस्तावेज प्रत (ए फोर साईज) इंग्रजी / मराठी भाषा में, इसके पहले मेरे बहुत ही अच्छे मित्र / रेल्वे मंत्रालय (भारत सरकार) के माजी सचिव *इंजी. विजय मेश्राम* इन्होने तो मुझे भेट की थी. वह प्रकाशन मेरे धम्म मित्र *प्रदीप गायकवाड* इनके "दीक्षाभूमी संदेश" नागपुर द्वारा किया गया है. एवं *"नो लाईज पब्लिकेशन"* इनके छोटे आकार की, अंग्रेजी भाषा में "संविधान दस्तावेज" प्रत मैने दीक्षाभूमी नागपुर से स्वयं खरेदी की थी. संविधान का अभ्यासक होने से मेरे लिये वह *"कानुनी दस्तावेज"* महत्वपूर्ण है. परंतु *इंजी. माधवी जांभुलकर* द्वारा भेट की गया संविधान दस्तावेज, *इंजी. विजय मेश्राम* इनकी भेट के समान सर्वोत्तम भेट है. इंजी माधवी जांभुलकर द्वारा दी गयी अनमोल भेट का प्रकाशन *"इलाईट पब्लिकेशन"* नासिक द्वारा किया गया है. और वह बहुत ही सुंदर / आकर्षक / मजबुत संविधान दस्तावेज है. भारत सरकार के विधी एवं न्याय मंत्रालय की २०२५ सुचना अनुसार, वह सुधारीत आवृत्ती है. मुल्य रू. ४५० रखा गया है. मुल्य थोडा कुछ ज्यादा है. परंतु संविधान दस्तावेज *"प्रकाशन दर्जा"* यह सर्वोत्तम है. वह संविधान प्रत सभी के घर संग्रह होना बहुत जरुरी है.
"भारत का संविधान" यह एक अनमोल *"कानुनी दस्तावेज"* है. वह *"कानुनी किताब"* बिलकुल ही नहीं है. इसलिए भारत का संविधान यह *"साहित्य श्रेणी"* (Literature Class) में नहीं आता. साहित्य यह अश्लिल भी हो सकता है. साहित्य यह बुरा / शोषण करनेवाला भी हो सकता है. जैसे कि - *"मनुस्मृती."* बाबासाहेब डॉ आंबेडकर साहाब ने *"मनुस्मृती दहन"* करने का, वह एक उद्देश रहा था. परंतु माजी सनदी अधिकारी *इ. झेड. खोब्रागडे* इस नालायक ने, *"संविधान साहित्य संमेलन"* लेकर, *"भारतीय संविधान"* का बडा ही अपमान किया है. अत: *"संविधान साहित्य सम्मेलन"* इसके विरोध में, *डॉ. मिलिन्द प. जीवने विरुद्ध संविधान फाऊंडेशन"* याचिका उच्च न्यायालय नागपुर मे, दायर भी की गयी थी. इस तरह के नालायक लोगों के कारण ही नयी दिल्ली के जंतर मंतर पर, *"भारतीय संविधान को ही जलाया"* गया था. संविधान की गरिमा को हानी पहुचांयी गयी थी. *"भारतीय संविधान"* पर कुछ नालायक लोक भद्दी टिप्पणी करते है. हमने देखा है कि, विभिन्न धर्म के धर्मग्रंथ - *"भगवत गिता / चार वेद / कुराण / बायबल"* आदि का बडा सन्मान किया जाता है. उसकी चिरफाड / चिकित्सा नहीं की जाती. *"भारतीय संविधान"* यह भारत का सर्वोच्च *"कानुनी दस्तावेज"* है. परंतु उसका *"प्रोटोकॉल कोडिफिकेशन"* नहीं होने से, उस पावन कानुनी दस्तावेज को, वह *"सन्मान नहीं दिया"* जाता, जैसे की *"राष्ट्रपती / उपराष्ट्रपती / सरन्यायाधीश / प्रधानमंत्री/ राज्यपाल / मुख्यमंत्री"* आदि (?) मान्यवरों के, *"प्रोटोकॉल"* में दिया जाता है. अत: भारतीय संविधान को *"प्रोटोकॉल कोडिफिकेशन"* की मांग संदर्भ में, सर्वोच्च न्यायालय के वकिल / *सीआरपीसी एडव्होकेट विंग* के राष्ट्रिय अध्यक्ष *एड. किशोर राम लांबट* इनसे सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल के राष्ट्रिय अध्यक्ष *डॉ मिलिंद जीवने 'शाक्य'* तथा सीआरपीसी एडव्होकेट विंग के राष्ट्रिय सचिव *एड. राजेश लाख* इन्होने लंबी चर्चा की है. और उस संदर्भ में आवश्यक कार्यवाही शुरु हो गयी है. साथ ही उच्च न्यायालय जयपुर के सामने स्थापित *"मनु का पुतला"* उठाने संदर्भ में, *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य' / एड. राजेश लाख* इन्होने सर्वोच्च न्यायालय में निवेदन दिया है. सर्वोच्च न्यायालय की ओर से *"पी आय एल"* दाखल करने संदर्भ में, विचार करने का मेसेज भी प्राप्त हुआ है. भारतीय संविधान की गरिमा बचाने के लिये, *"प्रोटोकॉल कोडिफिकेशन"* करने की मांग, हम *"भारत सरकार / सर्वोच्च न्यायालय"* को कर रहे है.
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▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर दिनांक २२ अगस्त २०२५
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