Monday, 28 April 2025

 🇮🇳 *कश्मिर - पहलगाम दहशतवादी हल्ले के धर्मांधी राष्ट्रवाद (?) में भारत राष्ट्रवाद का जागरण बहुत जरुरी !*

      *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म. प्र‌.

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


           पिछले ४ - ५ दिनों से *"कश्मिर राज्य - पहलगाम दहशतवादी हल्ले"* पर, लिखने की बहुत इच्छा रही थी. परंतु मै नासिक - मुंबई प्रवास में बहुत व्यस्त होने के कारण, वह संभव नहीं हो पाया. मेरी संघटन *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* की ओर से, इस आतंकवादी घटना की निंदा करता हुं. क्यौं कि, किसी भी आतंकवादी घटना का समर्थन नहीं किया जा सकता. आतंकवादी घटना में किसी परिवार के व्यक्ती का चले जाना, वह हानी शब्दों में बयाण नहीं की जा सकती. इसी दरम्यान संघवाद के (RSS) प्रमुख *डॉ. मोहन भागवत* का बयाण - *"प्रजा की रक्षा करना राजा का कर्तव्य है. और राजा ने उस कर्तव्य का पालन करना चाहिए"* सामने आ गया. वही विरोधी नेता *राहुल गांधी* इन्होने, सरकार पर कोई आरोप ना करते हुये, सरकार के साथ खडे होने की बात कही है. इसी कालावधी में, भारत के प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* बिहार में एक रैली को, संबोधित भी कर गये. भारत के इस दु:खद घटना के बिच, *"बिहार की रॅली"* रद्द हुयी होती तो, और अच्छा होता. वही पहलगाम घटना के बाद, काश्मिर में शोध मोहिम कडी कर गयी है. तिन आंतकवादी के घर उध्वस्त कर गये है. *"परंतु आतंकवादी का घर उध्वस्त कर देना,"* क्या उचित पर्याय है ? एक व्यक्ती के गलती की सजा, संपुर्ण परिवार को मिले, क्या यह सही न्याय है ? क्या *"धर्मांधी आंतकवाद"* का उत्तर *"सरकारी आंतकवाद"* हो सकता है ? *"सर्वोच्च न्यायालय"* ने तो, इस तरह के घटना पर, *"सरकारी आंतकवाद"* का, पुरेपुर विरोध किया है. फिर भी *"आंतकवादी के घरों को उध्वस्त करना"* सरकार ने जारी रखा है. दुसरे अर्थों में, *आतंकवादी का परिवार"* भी, आतंकवाद जीवित रखे, यह उद्देश तो नहीं है ? फिर सरकार भी तो, सर्वोच्च न्यायालय के *"कानुन उल्लंघन कटघरे"* में खडी है. सरकार को कानुन के अधिन कार्यवाही करनी चाहिए. परंतु *"प्रशासन"* अगर कानुन अपने हाथों लेती हो तो, *"न्यायालय"* को खत्म कर देना चाहिए. और भारत मे *"हुकुमशाही सरकार"* की घोषणा होना जरुरी है. *"प्रजातंत्र"* (Democracy) गया भाड़ में !!!

            जम्मु - कश्मिर - लद्दाख का मेरा प्रवास सन २०१४ में रहा था. "महाबोधी सोसायटी ऑफ लद्दाख" के प्रमुख *भदंत संघसेन* इनका मुझे *"आंतरराष्ट्रीय बौध्द परिषद"* के लिये निमंत्रण था. उस परिषद में केंद्रीय मंत्री *किरेन रिजुजु* / *रामदास आठवले*  / तिब्बत के प्रधानमंत्री *एस. रिंपोंचे* / परम पावन *ड्रायकंग कॅबगन चेटसंग* आदी मान्यवर भी उपस्थित रहे थे. परम पावन *ड्रायकंग कॅबगन चेटसंग* इनसे मेरे व्यक्तिगत संबंध होने से, उन्होंने मुझे उनके मानेस्ट्री भी निमंत्रित किया था. *भदंत संघसेन* जी ने परिषद खत्म होने के बाद, हमें लद्दाख के *"हेमीस मठ / शांती स्तुप / लेह पॅलेस / मॅग्नेटीक हिल"* आदी स्थानों पर ले गये. *"हेमीस मठ"* का संदर्भ *येशु ख्रिस्त* से भी जुडा है. येशु ख्रिस्त उस मठ में *"बौध्द धर्म अध्ययन"* करने रहे थे. उसी बौध्द मठ में कार्यरत *"एक कन्या से येशु का प्रेम"* हो गया और फिर विवाह भी. मठ नियमानुसार येशु को विवाह करना संभव नहीं था. परंतु येशु भारत में, *तक्षशिला के राजकुमार* के अतिथी रहे थे. इस लिये येशु को विवाह करने की अनुमती दी गयी, ऐसा कहा जाता है. कश्मिर में *"येशु तथा मुसा"* इनकी कब्र होने की बात कही जाती है. मैं नागपुर से दिल्ली तथा दिल्ली से लद्दाख तक "फ्लाईट" से गया. लेकीन काश्मिर संस्कृति देखने की इच्छा कारण, कश्मिर - जम्मु तक रोड मार्ग से / जम्मु से नागपुर तक रेल से जाना ही उचित समजा. अत: कारगील / द्रास घाटी / श्रीनगर / रामबन / डोडा आदी शहर को देखना संभव हो पाया. *"काश्मीर यह सुंदरता का खजाना है‌. काश्मीर यह भारत का स्वर्ग है."* बुध्दीझम में स्वर्ग की कल्पना नहीं है. अत: वह स्वर्ग का अर्थ ना ले. मै कश्मिर झील के किनारे पर होटेल मे ही ठहरा हुआ था. मेरे कश्मिर के *प्रशासकीय अधिकारी मित्र* मुझे श्रीनगर मिलने भी आये. और उनके साथ बैठकर हमने भोजन भी किया. *"थ्री इडियट"* इस मुव्ही में दिखाई गयी स्कुल को भी भेट दी गयी. अर्थात कश्मिर का मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा था. परंतु *"कश्मिर आज जल"* रहा है, वह वेदना भी मुझे कर जाती है.

            भारत में *"सत्तांध शक्ती"* द्वारा *"धर्मांध राष्ट्रवाद"* ही परोसा गया है. भारत आजादी के ७५ साल पुरा होने के बाद भी / *"प्रजासत्ताक भारत"* के ७५ साल होने के बाद भी, *"भारत राष्ट्रवाद"* हमने भारत में, अभी तक ना रो पाये हो तो, इसकी जबाबदेही *"सत्ता वाद"* की है. *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* नहीं बना पाया है. अत: कांग्रेस के शिर्ष पितामह *मोहनदास गांधी* / प्राचिन भारत के विचारविध *भर्तृहरी* / संघवाद के नायक *के सुदर्शन* इन्होने "भारतीय राजनीति" को *"वेश्यालय"* की उपमा दी है. अत: राजनीति में कार्यरत ज्यादा तर नेता लोग, उनकी उपमा मे *"वेश्या"* हो गये है. वे नेता लोग *"प्रजा तंत्र (Democracy) तथा भारत माता"* पर, बलात्कार करते भी नज़र आते है.‌ भारत के उपराष्ट्रपती *जगदीश धनकड* उसका एक उदाहरण है. अर्थात उन्हे *"बलात्कारी"* की उपमा भी दी जा सकती है. वे नेता लोग *"देश भक्त"* नजर नहीं आते. वे *"सत्ता के देशद्रोही"* रहे है. सत्ता के दलाल रहे है. विभिन्न राज्यों के *"राज्यपाल"* भी उसी श्रेणी में आते है. नेताओं को *"विद्वत / हुशार / इमानदार"* आदि मान्यवर नहीं चाहिए. केवल *"जी हुजुरी दलाल"* लोग ही चाहिए. *"मनीपुर / काश्मीर"* आदी जलना तो, यह स्वाभाविक भाव है. और उन नेता वर्ग से *"विकास भारत"* यह उम्मीद करना, बडी ही मुर्खता है. अत: *"भारत राष्ट्रवाद"* यह केवल व केवल एक दिवास्वप्न है.


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▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

        नागपुर दिनांक २८ अप्रेल २०२५

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