🇮🇳 *जातीनिहाय जनगणना : केंद्र सरकार की घोषणा में निकष - पध्दति - उद्देश - क्रियान्वयन कैसे तथा किस प्रकार हो एक अहं प्रश्न !*
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
३० अप्रेल २०२५ रात्री का समय. अचानक केंद्रीय मंत्रीमंडल का *"जातिनिहाय जनगणना"* (Caste Census) यह निर्णय केंद्रीय मंत्री *अश्विनी वैष्णव* घोषित करते है. *"भारतीय राजनीति"* में बडा भुचालसा आ जाता है. *"जातिनिहाय जनगणना"* का विरोध करनेवाली *"भाजपा सरकार,"* अचानक वह करने का निर्णय लेती है. भारत में *"पहलगाम दहशतवाद"* यह मुद्दा, बडे जोरों पर है. साथ ही *सर्वोच्च न्यायालय* में भी, *"पेगासे जासुसी प्रकरण"* पर चर्चा हो रही है. *"भाजपा दल का राष्ट्रिय अध्यक्ष"* किसे बनाना है ? यह अभी तक तय नहीं हो पा रहा है. *बिहार निवडणूक* जल्द ही होने जा रही है. फिर *"पश्चिम बंगाल / उत्तर प्रदेश"* आदी राज्यों में भी, *"निवडणूक माहौल"* होने जा रहा है. *"महाराष्ट्र की चुनाव यादी"* प्रकरण भी मुद्दा है. अत: इन सभी विषयों के बिच, यह निर्णय प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* इनका *"मास्टर स्ट्रोक"* कहे या विभिन्न उभरते मुद्दों से *"पलायन"* कहे ? यह संशोधन का विषय है. *"जातिनिहाय जनगणना"* पर, मेरा लेख पहले भी आया है. कांग्रेसी राजकुमार *राहुल गांधी* इस विषय पर, संसद तथा विभिन्न सभा में आवाज उठा चुका है. संघ प्रमुख *डॉ मोहन भागवत* ने, केंद्रीय मंत्रीमंडल निर्णय के एक दिन पहले ही, प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* इनसे भेट की थी. इन सभी विवादीत विषयों के बीच, प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* के *"जनगणना"* निर्णय ने, सभी राजनैतिक नेताओं को परेशानी में डाला है. इसी बीच विरोधी दल नेता *राहुल गांधी* ने, जनगणना निर्णय का स्वागत करते हुये, *"वहां कालमर्यादा निश्चित करने की"* खास मांग की है. वही वंचित आघाडी नेता *एड. प्रकाश आंबेडकर* इन्होने, *"जाती गणना कराने का निर्णय यह धुल फेकने जैसा"* बताया है. वैसे देखा जाए तो भारतीय राजनीति में, एड. प्रकाश आंबेडकर की स्थिती *"पुंगी राजनीति"* समान है. प्रकाश आंबेडकर के बोल *"हवा में उडने जैसे"* ही है. यही हाल सभी *"रिपब्लिकन / बसपा"* आदी नेताओं का भी है. अब हम मुख्य विषयों पर ही, चर्चा करतें है.
भारत में पिछली जनगणना सन २०११ में हुयी थी. और उसके बाद वह *"जनगणना"* २०२१ में होनी थी. परंतु *"कोविड संक्रमण"* के कारण वह जनगणना नहीं हो पायी थी.वही सन १९३१ में इंग्रज काल में *"जातिनिहाय जनगणना"* हुयी थी. जो १०० साल के उपर बाद वह होने जा रही है. अनुसुचित जाती / जनजाति आरक्षण *"प्रतिशत"* सन १९३१ के आधार पर दिया जा रहा है. *"ओबीसी वर्ग"* की उचित जनगणना ना होने के कारण, उस वर्ग का *"आरक्षण प्रतिशत"* हमेशा विवादों में रहा है. *"EWS आरक्षण"* यह *"आर्थिक आधार"* पर, केवल *"उच्च वर्ग के लिये १०%"* व्यवस्था की गयी है. जब की समस्त जगहों पर, *"उच्च वर्गीयों* का अधिपत्य रहा है. उपर से १०% की व्यवस्था EWS के नाम पर, उच्च वर्गीयों ने किया है तथा *"सर्वोच्च न्यायालय"* द्वारा इस आरक्षण को संवैज्ञानिक माना है. जब की *"मागासवर्गीय का आरक्षण सीमा ५०%"* अधिक ना हो, यह बंधन भी *"सर्वोच्च न्यायालय"* द्वारा लगाया गया है. एकुण लोकसंख्या में उच्च वर्ग का प्रतीशत ५ % कहा जाता है. उपर से *"EWS आरक्षण"* की व्यवस्था यह उच्च वर्ग के लिये होना, इसे हम क्या कहे ? अत: जातिनिहाय जनगणना के समय *"उच्च वर्ग"* का सामाजिक / आर्थिक स्तर की समिक्षा भी होनी चाहिये. भारतीय संविधान में मागासवर्ग को *"क्रिमिलेयर"* में बांधने की शर्त दिखाई नहीं देती. परंतु वह लादने का प्रयास भी किया जाता रहा है. परंतु *"न्याय व्यवस्था"* में उच्च वर्ग का अधिपत्य होने से, न्याय की अपेक्षा रखना एक संशोधन का विषय है. अत: न्याय व्यवस्था में *"कोलोजीयम"* पध्दती खत्म होकर, *"संघ लोकसेवा आयोग"* (UPSC) सदृश्य ही, आयोग द्वारा *"मेरीट धारकों"* का चयन जरुरी है. परंतु केंद्र सरकार द्वारा १२४ (अ) अंतर्गत *"National Judicial Appointment Commission"* का स्वीकार भी बहुत घातक होगा. उसका हश्र हमें *"केंद्रीय चुनाव आयोग / प्रवर्तन निदेशालय (ED) / CBI"* समान दिखाई देगा, यह भी हमे समझना जरुरी है.
जातिनिहाय जनगणना में अनुसुचित जाती / अनुसुचित जमाती / ओबीसी इनकी *"जातीगत जनगणना"* होते समय / *"धर्मगत जनगणना"* भी होनी चाहिये. धर्मगत जनगणना होते समय *"बौध्द प्रवर्ग"* की जनगणना होते समय, वह धर्मगत जनगणना में तिन विषयों का वर्गीकरण जरुरी है. जैसे - *"परंपरागत बौध्द / धर्मांतरित बौद्ध / अनुसुचित जाती धर्मांतरित बौध्द."* क्यौं कि *"अनुसुचित जाती धर्मांतरीत बौध्द"* इन्हे अलग *"प्रवर्ग"* अंतर्गत *"अनुसुचित जाती"* सुची में, अंतर्भुत करना सहज हो. *बाबासाहेब डॉ आंबेडकर* इनकी प्रेरणा से १४ अक्तुबर १९५६ को, महार आदी अस्पृश्य समुह ने, *"बौध्द धर्म"* का स्वीकार किया था. और *"बौध्द आरक्षण"* यह मांग होती रही. *व्ही. पी. सिंग* सरकार ने, सन १९९० में *"धर्मांतरित बौध्द"* आरक्षण में जो दोष छोडे थे, उन दोषों का निवारण होना भी जरुरी है. अत: केंद्र सरकार द्वारा *"जातीनिहाय आरक्षण चार्ट"* में, धर्मगत जनगणना उपरोक्त कॉलम / सवर्ण वर्ग की सामाजिक / आर्थिक स्थिती इसका उल्लेख होना बहुत जरुरी है. साथ ही जनगणना के *"निकष / पध्दती / उद्देश / क्रियान्वयन / कालावधी"* भी निश्चित होना बहुत जरुरी है. हम ने *"मंडल आयोग"* की स्थिती को बहुत पास से देखा है. अत: अगर केंद्र सरकार *"जातिनिहाय जनगणना"* में बहुत गंभीर हो तो, इस विषय संदर्भ में आगे बढे. इसी अपेक्षा में !!!
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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर दिनांक ३ में २०२५
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