🇮🇳 *सरन्यायाधीश भुषण गवई इनके मुंबई का प्रोटोकाल से लेकर विभिन्न नेताओं के (?) बोले गये कुछ विवादीत बयाणं !*
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म.प्र.
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
१४ मई २०२५. सरन्यायाधीश *भुषण रामकृष्ण गवई* जी इनको भारत के महामहिम राष्ट्रपति *द्रौपदी मुर्मू* इनके द्वारा शपथ ग्रहण का क्षण. भारत के इतिहास में एक बौध्द धर्मीय सरन्यायाधीश होने का दिन. वह दिन बडा ही गौरवपुर्ण दिन रहा है. वैसे भारत के राष्ट्रपति हो या सरन्यायाधीश हो, *"मागाससमाज वर्ग के महामहिम वर्गधारी"* उस वरिष्ठ स्थान पर पहुंच गये है. परंतु बौध्द धर्म से जुडा हुआ मान्यवर, वह वरिष्ठ स्थान नहीं पा सका. संविधान निर्माता *डॉ बाबासाहेब आंबेडकर* इनका सपना भी था कि, हमारे बौध्द प्रतिनिधी ऐसे वरिष्ठ स्थान पर पहुंचे. सरन्यायाधीश *भुषण गवई* जी ने, *"५२ वे सरन्यायाधीश"* बनकर उसकी पुर्ती भी की है. परंतु *"रिपब्लिकन राजनीति"* लो या, *"बहुजन समाज पार्टी की राजनीति "* लो, वह जीस और जा रही है या, *"सत्ता राजनीति की भिख"* में वह मशगुल हो गयी है, वह घटना शर्मसार करनेवाली है. *"आंबेडकरी राजनीतिक नेताओं"* के नाम भी क्या लेना ? उन्हे *"कुत्ते बोलना"* भी, वह कुत्तों की तोहिम होगी. क्यौं कि कुत्ते *"वफादार"* होते है. यह तो *"राजनैतिक भेडिया"* है, जो किसी अन्य के ही तुकडों पर पलते है. कांग्रेसी पितामह *मोहनदास गांधी* / संघवादी नायक *के. सुदर्शन* / प्राचिन विचारविद *भर्तृहरी* इनके शब्दों में, *"भारतीय राजनीति वेश्यालय"* है. अत: नेता लोग तो *"वेश्या"* हो गये नां ? रिपब्लिकन राजनीति के *रामकृष्ण गवई* जी से मेरे अच्छे संबंध रहे है. उनके छोटे सुपुत्र रिपब्लिकन के *डॉ. राजेंद्र गवई* से भी मेरे संबंध बने है. परंतु *"सामाजिक संबंध"* बने रहना और *वैचारिक भाव"* यह दोनो अलग अलग विषय है. परंतु *भुषण गवई* जी इनका सरन्यायाधीश बनना बहुत कुछ बयाण कर देता है. उसी पर्व पर सरन्यायाधीश *भुषण गवई* इनके सरन्यायाधीश बनने पर, मुंबई के पहले ही दौरे में, *"महाराष्ट्र शासन राजशिष्टाचार तथा कुछ नेताओं के नेताओं के विवादीत बयाण"* देश के लिये, एक शर्मसार संदेश भी दे गया. हम यहां उसी बिंदु पर चर्चा करते हैं.
*"मा. सरन्यायाधीश"* ही, यह भारत वर्ष के महामहीम *"राष्ट्रपति"* को, पद और गोपनीयता की शपथ देते है. तथा भारत देश के महामहीम *"राष्ट्रपती"* ही, यह मा. सर्वोच्च न्यायालय के *"मा. सरन्यायाधीश"* को, पद और गोपनीयता की शपथ देते है. भारत के *"प्रधानमंत्री"* वह शपथ नहीं देते, यह हमें समझना बहुत जरुरी है. वह मान्यवर केवल *"शपथ ग्रहण समारोह"* उपस्थित होते है. *"भारत के संविधान"* ने वह व्यवस्था की है. और भारत के सरन्यायाधीश *भुषण गवई* जी का यह बडा वक्तव्य रहा है कि, *"भारत का संविधान ही यह सर्वोच्च है. कार्यपालिका / न्यायपालिका / विधायिका यह तो एक समान ही है. यहां कोई भी बडा और कोई छोटा नहीं है,"* इसके पहले के ५१ वे भुतपुर्व सरन्यायाधीश *संजीव खन्ना* इन्होने भी *"भारत के संविधान"* को ही सर्वोच्च माना है. अत: संसद में बैठे हुये सभी *"संसद गण"* भी, स्वयं को सर्वोच्च कभी ना समझे. हमारे देश के लिये सर्वोच्च *"भारतीय संविधान"* ही है. और भारतीय संविधान छेडने की भुलं भी ना करे ! मै पिछले कुछ दिनो से, इस गंभिर विषय पर लिखने का मन बनाया था. परंतु *"बुध्द पुर्णिमा"* के दो - तिन दिन पहले से, मैं *"व्हायरल फिवर"* से ग्रस्त था. और वह व्हायरल फिवर ५ - ६ दिन रहा. बोलने में कष्ट हो रहा था. वही मेरा दो दिन का *"नयी दिल्ली"* दौरा भी रहा. मेरे प्रवास में ही मैने *"HWPL Korea's WARPO Interfaith Meeting"* को, २१ मई २०२५ को संबोधित भी किया. उसके पहले *"बाये पैर की जखडन"* से, एक माह पिडित रहा. ऐसे ही कुछ कारण रहे है, मैं इस महत्वपूर्ण विषय पर नहीं लिख पाया. आज लिखने का पुर्णतः मन बना ही दिया. और शब्द निकलते रहे.
भारत के सरन्यायाधीश बनने पर, *भुषण गवई* जी पहले बार *"मुंबई दौरे"* पर आये थे. परंतु सरन्यायाधीश *भुषण गवई* जी का, स्वागत करने के लिये *"राजशिष्टाचार"* का पालन नहीं किया गया. महाराष्ट्र सरकार का एक भी *"वरिष्ठ अधिकारी"* (राज्य का प्रमुख सचिव / पोलिस महासंचालक / पोलिस आयुक्त) उपस्थित नहीं थे, बल्की *"सरकारी कार"* भी उपलब्ध नहीं करायी गयी. शायद यह चुक जानबुझकर की गयी होगी. क्यौं कि *"धर्म / जात"* यह प्रमुख कारण दिखाई देता है. और महाराष्ट्र शासन की ओर से, महसूल मंत्री / भाजपा प्रदेशाध्यक्ष *चंद्रशेखर बावनकुले"* इन्होने, सर्वोच्च न्यायालय के सरन्यायाधीश कार्यालय को फोन कर, माफी मांगी है. कौन है यह *मि. चंद्रशेखर बावनकुले* नाम का प्राणी ? जाहिर माफी तो महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री *देवेंद्र फडणवीस* इन्होने मांगणी चाहिए थी. परंतु *"ब्राह्मण्य विचारधारा"* बीच आ गयी है नां !!! भारत देश का बंट्याधार भी, इसी *"ब्राह्मण्य विचारधारा"* ने किया है, जो भारत का एक इतिहास है. यहां सवाल यह भी है कि, *"राजशिष्टाचार"* पालन ना करने की, इतनी बडी गलती किसने की है ? और क्यौं की गयी है ? भारत के सरन्यायाधीश *भुषण गवई* जी इन्होने, *"राजशिष्टाचार"* का पालन ना होने पर, जाहिर खेद भी जताया है. और वह सवाल तो, एक पहली बनकर रह गया है. उधर बाबासाहेब डॉ आंबेडकर परिवार के सदस्य - एक दुधपिता बच्चा *सुजात आंबेडकर* भी विवादित बयाण कर जाता है. साथ ही *एड. प्रकाश आंबेडकर* इनके विवादित बयाण को भी क्या कहे ? हम बहुत ही शर्मसार है, इस प्रकार की *"खोकली राजनीति"* के लिये ???
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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
दिनांक २२ मई २०२५
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