Tuesday 29 September 2020

 🙈 *भारत की व्यवस्था...???*

           *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

             मो.न. ९३७०९८४१३८


मेरे एक परम मित्र ने

भारतीय अर्थव्यवस्था के

दोहरे अंतरंग चरित्र नीति पर

एक फोटो भेजते हुये

मेरा अपना अभिप्राय पुछा

मैने उसे जबाब में कहां

उस दोहरे अंतरंग चरित्र नीति पर

कुछ पंक्तीया ही मै लिख दुंगा...!

अचानक मेरे अपनों के शब्द भी

मुझे सोचनें पर मजबुर कर गयें

कोई भी व्यक्ती हो या मैं स्वयं ही

उस दोहरे अंतरंग चरित्र का नहीं हुं ?

वही पात्रता पर भी सवाल उठा

मै पुरा झगझोर सा गया हुं

सोचा, खामोंश रहुं या दुर हो जावुं

अंतर्मन की पटलं छाया में

हम केवल जीवित शव है...!

ये भारत की सामाजिक हो सत्ता व्यवस्था

क्या उसी अर्थव्यवस्था का रूप है ?

जो दोहरे अंतरंग चारित्र्य नीति लेकर

कभी कपड़े पहने या कम कपडों में

तो दुसरी ओर नग्नता ही नग्नता पाले

अदॄश्यता का किनारा हो ...!!!


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