🇮🇳 *भारतीय अदुरदर्शी सत्तानीति कारण भविष्य में भारत का तिन देशों में विभाजन ?*
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष , सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
भारत सरकार द्वारा सन २०२६ में *"भारत जनगणना"* (Census) होने के बाद, *"परिसीमन"*(Delimitation) चर्चा शुरु होने से, *"उत्तरी भारत / दक्षिणी भारत राजनीति युध्द"* छेड चुका है. *"दक्षिणी राज्यों"* के आजी - माजी सभी मुख्यमंत्री की बैठक होने जा रही हो. और वे इस परिसीमन का तिव्र विरोध करते हुये, हमे दिखाई दे रहे है. पहिला विरोध तामिलनाडू ने, भारत का *"राष्ट्रिय करंसी चिन्ह"* (मोनो) को बदलकर, *"तामिल भाषा"* के *"रुबाई"* शब्द का पहिला अक्षर अंकित कर, *"प्रतिनिधीक विरोध"* बता चुके है. *परिसीमन* होना अर्थात *"मतदार संघ पुनर्रचना"* होना, यह बहुत ही सरल अर्थ है. परिसीमन के अंतर्गत किसी देश या प्रांत में, विधाकी निकायवाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रो की सीमा तय करने की क्रिया वा प्रक्रिया होती है. *"परिसीमन"* (Delimitation) का काम एक *"उच्चाधिकार निकाय"* को सौंपा जाता है. उस निकाय को *"परिसीमन आयोग"* कहते हैं. भारत में ऐसे परिसीमन आयोग सन १९५२ सें, *"परिसीमन आयोग अधिनियम"* अंतर्गत बनाया गया. और वह परिसीमन १९५२ के बाद १९६२ / १९७२ / २००२ इस साल में हुये है. वह परिसीमन *"भारत के राष्ट्रपति"* द्वारा निर्दिष्ठ तारिख से लागु होते है. जिसे किसी भी *"न्यायालय"* में चुनौति नहीं थी सकती. अगर इस गंभीर विषय पर हल नहीं निकाला गया तो, परिसीमन (?) के नाम पर *"उत्तरी भारत / दक्षिणी भारत"* यह *दो देश* होने की संभावना है. *"तिसरा देश"* यह *"नार्थ इस्टर्न के राज्य"* होने की आशंका जताई जा रही है. *"म्यानमार"* इस देश में, *सन २०२१ सत्ता उठाव* के बाद, म्यानमार का *"सैनिकी शासन"* यह मिझोरोम / मणीपुर / नागालँड / त्रिपुरा आदी राज्य सीमा लगत, *"म्यानमार के आदिवासी समुहों"* (म्यानमार के चीन राज्य) को, वो रास नहीं दिखाई देती. इधर भारत की सत्ता नीति से भी, *"नार्थ इस्टर्न राज्य समुह"* भारत देश से बहुत नाराज है. अमेरिका और चायना ड्रॅगन का भी लक्ष है. म्यानमार के भारत सीमा लगत आदिवासी समुहों ने, *"अलग चीनीलॅंड"* घोषित (आदिवासी बहुल देश) किया तो, वह कोई हमें आश्चर्य नहीं होगा.
मिझोरोम के सांसद मि. *के वन्लावेना* जी इन्होने कुछ दिन पहले ही, *"भारत और म्यानमार सीमा"* पार कर, म्यानमार देश के आदिवासी समुह संघटन *"चिनलॅंड कौन्सिल"* कार्यालय को भेट दिया. साथ ही उन्हे *"भारत में सम्मिलित"* होने का ऑफर भी दिया. यह सभी अंतर्गत राजनीति तो, बगैर *नरेंद्र मोदी - अमित शहा के चर्चा बीना* संभव भी नहीं है. और यह भी आस लगायी गयी कि, *"म्यानमार यह देश भारत में विलिन हो."* अंग्रेज शासन काल में, म्यानमार यह भारत का ही हिस्सा था. परंतु यह संभव नहीं हुआ तो, भारत - म्यानमार सीमा लगत, *"आदिवासी बहुल भाग"* भारत देश में सामिल होकर, वह *"चीनलॅंड"* भारत देश का अलग राज्य बने. वही *मिझोराम* के मुख्यमंत्री *लालदुहोमा* (झेडपीएम) इनका भी इस मिशन में स्पष्ट रुख, हमें दिखाई नहीं दिया. वैसे तो भारत - म्यानमार सीमा लगत रहिवासी *"FIR Agreement"* (Free Movement Regime) तहत, बिना पासपोर्ट १६ कि.मी. अंदर तक जा सकते थे. अब वह मर्यादा अब १० कि.मी. कर दी गयी है. सीमा पर *"इमीग्रेशन अधिकारी"* एक इमीग्रेशन पर्ची (अनुमती पत्र) देता है. म्यानमार सीमावर्ती यह आदिवासी बहुल लोक *"लष्करी शासन"* से त्रस्त है. परंतु क्या वह *"कुकी - चीनी आदिवासी समुदाय,"* भारत देश से जुडना पसंद करेगा ? महत्वपूर्ण यह कि, *"वे सभी राज्य ख्रिश्चन बहुल राज्य है."* भारत में अल्पसंख्याक वर्ग की स्थिती भी, किसी से छुपी नहीं है ? म्यानमार को लगकरं ही *"इशान्य में चायना / पुर्व में लाओस / आग्नेय में थायलंड / पश्चिम में बांगला देश / वायव्य में भारत / नैऋत्य में बंगाल का उपसागर"* यह सीमाएं है. वही *मिझोराम* (भारत) इसको लगकर ही - *असम /त्रिपुरा / मणिपूर"* इन भारत देश राज्यों की सीमांएं भी, लगी हुयी है. भारत - म्यानमार इन दो देशो के बीच ही, *कि.मी."१६४३* उपरोक्त सभी भारतीय राज्यों की सीमाएं भी जुडी है. *मणीपुर* यह जल रहा है. अत: *"नार्थन इस्टर्न क्षेत्र"* की अशांती होना, तो क्या कुछ भारतीय *"नाराज राज्य"* तथा म्यानमार *"नाराज चीनीलॅंड क्षेत्र"* यह मिलाकर, एक *"नया देश"* तो नहीं बनेगा ? यह एक प्रश्न है. इस पर *"चायना - अमेरिका"* का भी लक्ष है. बाजु में म्यानमार के *"चीन राज्य"* के पतेलवा शहर / मिझोराम राज्य (भारत) को जोडनेवाला *"सित्तवे बंदरगाह"* परिचालन के लिये तैयार है. जो *"अमेरीका - चायना ट्रेड वार"* में, अमेरिका को भी मदतगार सिध्द होगा. क्यौं कि भारत के कुछ पडोसी देश - *"म्यानमार / बांगला देश / श्रीलंका / नेपाळ / पाकिस्तान"* आदी देश ये *"चायना"* के साथ जुडे है. भारत का कोई अपना पडोसी देश नहीं रहा.
भारत सरकार के हिंदी निदेशालय द्वारा, पहले *"अहिंदी राज्यों में हिंदी वर्कशाप"* का आयोजन किया जाता रहा था. उस हिंदी भाषा साहित्य वर्कशाप के लिये मुझे (डॉ जीवने) तो, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित - *इंफाल* (नागालँड) / *शिलांग* (मेघालय) / *जोरहाट* (असम) / *कोचिन* (केरल) आदी राज्यों का निमंत्रण होने से, मुझे *"नार्थ इस्टर्न राज्यों"* में जाने का अवसर आया. *नागालँड* का अनुभव तो भयावह रहा. वहां श्याम ६.०० बजे के बाद, नागालँड के *"बाहरी लोगों"* (अन्य भारतीय) को घुमना तो, पुर्णतः मनाई है. हम घुम ही नही सकते थे. नहीं तो तुम्हारा *"मटन"* होना तय था. वहां के लडके - लडकीया नशे में मदमस्त घुमते है. पोलिस शासन दिखाई नहीं दिया. *नागालँड* अंदर घुसने के लिये भी, जिला मॅजिस्ट्रेट का *"इनर लाईन परमिट"* लेना होता है. ट्रेन का मार्ग केवल असम तक ही. फिर बस या कार से जाना होता है. मै *डिमापुर* में होटल रुका था. स्थानिक इंफाल शहर आयोजक वह *"परमिट"* लेकरं मुझे लेने आया था. अगर रास्ते से शहर पैदल घुम रहे हो, उधर से लडकी भी आ रही हो तो, उसे रास्ता देना होता है. नहीं तो वह लडकी तुम्हे जोर से धक्का मारकर, वह चले जाएगी. *"नागा लोग"* स्वयं को राजा मानते दिखाई दिये. वही *मेघालय* (शिलाँग) शांत दिखाई दिया. भारत में सबसे ज्यादा वर्षा तो, *"चेरापुंजी"* (मेघालय) में होती है. चेरापुंजी मुझे दो बार जाने का अवसर मिला. एक भारत सरकार के निमंत्रण पर और दुसरा *"नार्थन इस्टर्न युनीवर्सिटी शिलाँग"* द्वारा आयोजित *"नॅशनल सेमिनार"* के *"प्रमुख वक्ता"* रुप मे था. *"चेरापुंजी "* जब हम कार से जा रहे थे, तब आकाश से हम गुजर रहे थे. *"तब स्वर्ग से गुजर रहे है,"* यह अहसास हुआ. कभी वर्षा आना तो, कभी वर्षा चले जाना. *मणीपुर* की स्थिती भी वैसे शांत ही थी. उस मेरे प्रवास में *"म्यानमार / बांगला देश सीमा"* देखने का भी अवसर आया. *असम राज्य* के तिनसुकीया कुछ क्षेत्र भी कुछ अशांत थे. कुछ कारणवश *"तवांग"* (अरुणाचल प्रदेश) जाना संभव नहीं हो पाया. नहीं तो मुझे, *"चायना सीमा"* भी देखने का अवसर आया होता. *"कोचिन"* शहर (केरल) तो *"समुद्र बेटों की सुंदरता"* बयाण करता है. डॉ आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ *महु* (मध्य प्रदेश) तो बहुत बार गया हुं. साथ ही *श्रीलंका / थायलंड / मलेशिया / सिंगापूर / नेपाल / व्हिएतनाम / दक्षिण कोरिया* इन विदेशों में भी, मेरा भ्रमण *"अंतरराष्ट्रीय परिषदों"* के लिये रहा है. अत: उन सभी स्थलों के संस्कृति को समझने का मेरा प्रयास रहा है. यही कारण है कि, मैं वहां की कुछ स्थिती को बखाण कर सकता हुं.
भारत की *"जनगणना"* (Census) का कालखंड तथा *"परिसीमन"* (Delimitation) का कालखंड देखे तो, सन २००२ इसके बाद, भारत का *"परिसीमन* (मतदार संघ पुनर्रचना) हुआ हमें दिखाई नहीं देता. दुसरा अहं विषय यह कि - *"जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) / उच्च शिक्षा पध्दती (Higher Education System)"* का भी है. *"साऊथ के राज्यों"* ने उपरोक्त विषय का सही पालन करने के साथ ही, अपने अपने राज्यों का *"बडा विकास"* (Development) भी किया. दक्षिणी राज्यों का शिक्षा दर बहुत अच्छा है. वही *"उत्तरी भाग राज्य"* - उत्तर प्रदेश / बिहार / झारखंड / उत्तराखंड आदी राज्यो ने, *"ना ही जनसंख्या नियंत्रण"* किया है. ना ही *"उच्च शिक्षा प्रणाली"* स्थापित भी की है. उन राज्यों में *"औद्योगिक विकास"* का बंट्याधार भी है. *"जनगणना"* के आधार पर, सन २०२६ मे *१ अब्ज ४२ करोड १९ लाख ४८ हजार"* यह जनसंख्या अनुमानीत है. *"परिसीमन"* के आधार पर, *सन २०२९* की लोकसभा में *"५४३"* की जगह सांसद संख्या *"७५३"* होने का अनुमान है. अर्थात सासंदो की संख्या तो *"२१०"* बढनेवाली है. निश्चित ही वह संख्या *"उत्तरी राज्यों"* से ही बढनेवाली है. अर्थात *"दक्षिणी राज्यों"* से कही गुणा सांसदो की संख्या बढने से, *"उत्तरी राज्यों का सत्ता पर कब्जा होगा."* जनसंख्या नियंत्रण करना तो, *"दक्षिण राज्यों के लिये अपराध"* हो गया. अत: *"भारत देश विघटन"* की निव यह बन गयी है. भारत के गृहमंत्री *अमित शहा* इन्होने फिर *"सामानुपातिक प्रतिनिधित्व"* (Proportinal Representation) की बात, वह कह गये है. साथ ही *"जनसंख्या"* यह आधार एकमात्र विकल्प नहीं है, यह भी कहा गया. *"महिला आरक्षण"* (३३%) का भी विषय है. तो फिर *"जातिगत जनगणना"* (Caste Census) यह विषय भी उठ सकता है. *"मागासवर्गीय जातिगत आरक्षण"* (Backward Class Reservation) का सही अनुपात भी, बडा विषय *"आंदोलन की दिशा"* में जा सकता है. सामानुपातिक प्रतिनिधित्व में भी *"उत्तरी राज्य"* बाजी मार लेने का अनुमान है. अत: *"भारत परिसीमन"* के कारण ही, समस्त *"दक्षिणी राज्यों के आजी / माजी मुख्यमंत्री"* मतभेद भुलकर इकठ्ठा आये है. और उनकी मिटिंग भी होने जा रही है. क्या यह *"भारत का विभाजन - उत्तरी भारत / दक्षिणी भारत"* विभाजन की नांदी है ? यह प्रश्न है. भारत का *"तिसरा विभाजन - नार्थ ईस्टर्न देश"* (?) यह अलग विषय है. वही *"मागासवर्गीय जातीगत जनगणना"* का नारा बुलंद होने की भी संभावना है. *"भारत राष्ट्रवाद "* को छोडकर *"धर्भांध राष्ट्रवाद - हिंदु राष्ट्रवाद"* को परोसना / *"धर्मांध राजनीति"* का कभी कठोरवाद, तो कभी कभी नरमवाद की राजनीति करना / देश *"विकास अर्थनीति"* साथ साथ *"सामाजिक - आर्थिक समतावाद"* को स्थापित ना कराना / *"न्याय व्यवस्था"* का देश के प्रति पुर्णतः सजग ना हो जाना तथां *"संविधान "* की उचित सुरक्षा ना कराना / तमाम *"संविधानिक संघटनो"* की विश्वसार्हता का पुर्णतः खत्म हो जाना / *"मंदिर अर्थनीति"* को बढावा देकरं उसका *"राष्ट्रिकरणं"* ना कराना / देश के *"प्रामाणिक - निष्ठावान - विद्वत मान्यवरों"* को राजनीति से दुर करना तथा *"चमचा राजनीति"* को ही बढावा देना / *"संविधान संस्कृति"* से हटकर ही *"संस्कृति संविधान"* (मनुवाद) को बढावा देना / आदी आदि कारण दिखाई देते है. भारत की स्वार्थमय अनैतिक *"सत्ता राजनीति"* एकसंघ भारत को बचाने के लिये, अब तो भी *"सही सत्तानीति"* करेगी ? यह भी प्रश्न है *"प्रजातंत्र"* मरता है या *"पुंजीवाद,"* यह भी तो बडी लढाई है. अत: हमे देखना है *"कल का भारत !!!"*
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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर दिनांक १७ मार्च २०२५
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