Monday 23 October 2023

 👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २३ अक्तूबर २०२३ को झुम पर आयोजित, "विश्व शांती शिखर सम्मेलन" इस विषय पर, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*

* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें एक प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!


* प्रश्न - १ :

* *इस वर्ष के विश्व शांति शिखर सम्मेलन से शुरुवात करते हुए, एचडब्लुपीएल ने अपनी अंतरधार्मिक शिक्षण संस्कृति को और अधिक विस्तारित करने की, योजना विकसित की है.‌ आप पहले से ही अंतर्धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक शांती अकादमी (आय आर पी ए) के साथ काम करके, अंतरधार्मिक शिक्षा में लगे हुये है. इसलिये कृपया हमारे साथ साझा करे कि, कैसे इन गतिविधियों ने धर्मों में शांति स्थापित करने में, आप और आप के समुदाय पर, सकारात्मक प्रभाव डाला है ?*

* उत्तर : - एचडब्लुपीएल, कोरीया मुख्यालय स्थित आंतरराष्ट्रिय संघटन द्वारा, १८ सितंबर २०२३ से २१ सितबर २०२३ तक आयोजित, *"विश्व शांति शिखर सम्मेलन"* में, सहभागी रहनेका मुझे अवसर मिला है. मेरी साऊथ कोरीया की यह पहली ही व्हिजिट थी. इसके पहले मेरा *थायलंड / मलेशिया / सिंगापुर / श्रीलंका / नेपाल* इन देशो में, मेरा भ्रमण रहा है.‌ श्रीलंका में तो श्रीलंका सरकार ने, मुझे आंतरराष्ट्रिय परिषद के लिए, मुझे निमंत्रित किया था.‌ यह सभी अनुभव मेरे अच्छे ही रहे है.

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मेरे इस दक्षिण कोरीया भ्रमण में, विश्व शांती शिखर सम्मेलन मे सहभागी हुये, समस्त विश्व के विविध धर्म के मान्यवरों से मिलने का, मुझे अवसर मिला है.‌ उनकी संस्कृति को भी समझना तथा कोरीया की संकृति को, बहुत करिबी से समझ सका हुं. द्वितिय महायुध्द तथा कोरीया युध्द की अनुभुती भी, कोरीया स्थित *"महायुध्द के मेमोरिअल"* देखने के बाद, मै समझ सका हुं. मै स्वयं *लेखक / कवि / चिंतक* होने के कारण, तथा *"द्वितिय महायुध्द"* पर मेरा अध्ययन होने के कारण, इस विषय पर मेरे बहुत से लेख मिडिया में प्रकाशित भी है.

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मै बुध्द धर्म का फालोअर होने के कारण, और बुध्द धर्म पर मेरा अध्ययन होना, यह स्वाभाविक ही है. और मैने स्वयं भी नागपुर शहर (भारत) में, ४ जागतिक बौध्द परिषद / १ जागतिक बौध्द महिला परिषद / २ अखिल भारतीय आंबेडकरी विचारविद परिषद / १ अखिल भारतीय आंबेडकरी विचारविद महिला परिषद का सफल आयोजन करने के कारण, *"विश्व शांति शिखर सम्मेलन"* के विशेषता को, मै बहुत करिबी से जानता हुं.

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बुध्द धर्म यह विश्व का सर्वोच्च शांतीप्रिय धर्म है, इस पर युनो ने अपनी राय दी है.‌ अत: हम बुध्द धर्मीय लोग, बुध्द के उस विचारों सें बांधिल रहे है. और है भी. भारत के संविधान निर्माता *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर* इन्होंने, शोषित - पिडित समाज में जन्म लेने के कारण, उन्हे उच्च वर्णीय समुदायों से यातनाएं सहन करनी पडी थी.‌‌ फिर भी डा आंबेडकर साहाब ने, बदले के भावना से हटकर, बुध्द धम्म का स्वीकार कर, चक्रवर्ती सम्राट अशोक के बाद, भारत में शांति की बुनियाद रखी थी.‌ हम भी तो, डा आंबेडकर साहाब के फालोअर होने से, हमारा उद्देश भी शांती को कायम करना ही है.

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मै पिछले दो सालों से, एचडब्लुपीएल / वार्पो के साथ जुडा हुं.‌ मै हर माह वार्पों में, बुध्द धर्म संस्कृति पर, स्पीच देते आ रहा हुं. यही नही, कोरोना के संक्रामक काल में, सन २०२२ में, *"एचडब्लुपीएल (कोरीया) तथा मेरी संघटन सीआरपीसी (भारत)"* इन दो संघटन के संयुक्त तत्वाधान में, मेरे ही अध्यक्षता *(डॉ. मिलिन्द जीवने)* में, आनलाइन *"मिनी विश्व शांती सम्मेलन"* का सफल आयोजन हमने किया था. जीसका उदघाटन एचडब्लुपीएल के अध्यक्ष *मैन ही ली* इन्होने किया था. यही नही एचडब्लुपीएल के *दीक्षा रंजन / शालिनी चानु / एलीन बारा* इन्होने सफल संचालन / नियोजन किया था. सीआरपीसी के *वंदना जीवने* ने स्वागत तथा *डॉ. किरण मेश्राम* ने आभार प्रदर्शन किया था. 

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निश्चित ही *"विश्व शांति शिखर सम्मेलन"* दुरगामी प्रभाव, विश्व के मान्यवरों को अपनी ओर खिंचते हुये, हमें दिखाई देता है.‌ और शांती की पहल की सराहना भी होती है.‌ जो काबिले ए तारिफ है. और इस तरह के सम्मेलन विश्व के सभी देशों में होना, बहुत जरुरी है.‌ हमने प्रथम महायुध्द हो या, द्वितिय महायुध्द इस की भयानता को महसुस किया है. *"युध्द से केवल जिवीत हानी ही नही होती, बल्की वित्त हानी भी होती है."* और उसको भर पाना यह बडा कठिण आवाहन होता है. अत: *"युध्द या बुध्द"* इस संदर्भ की विषय चर्चा होती आ रही है.

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कोरीया में आयोजित विश्व शांती शिखर सम्मेलन इस विषय पर, जितनी भी प्रसंशा की जाए, वह कम ही होगी.‌ विश्व के समस्त देशों से आएं मान्यवरों की रहने की व्यवस्था, फाईव्ह स्टार होटल में करना, उनके पध्दती के भोजन की व्यवस्था करना, हर मान्यवरों के लिए एक प्रोटोकाल आफिसर नियुक्त करना, उनके लिए कार की व्यवस्था करना, मान्यवरों के आने से उनके जाने तक खयाल रखना.... आदी आदी और क्या कहे ? यह काबिल ए तारिफ कार्य रहा है.

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सबसे अंत में, मै स्वयं भी आंतरराष्ट्रिय सम्मेलन का प्रमुख आयोजक होने के कारण, तथा एकेडेमीक विषयों से जुडा होने कारण, मै कुछ सुझाव देना चाहुंगा. *एकडेमिक स्तर पर भी एक सत्र हो.‌ तथा रिझोलुशन भी सत्र हो.* इस पर निर्णय लेना यह आयोजक का ही विषय है. इसे कोई अन्य ना ले.‌ परंतु शांती के पहल की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी.


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* परिचय : -

* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

    (बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)

* मो.न.‌ ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)

* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५

* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)

* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर

* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी

* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर

* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०

* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०

* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन

* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)

* आगामी पुस्तक प्रकाशन :

* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)

* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)

* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)

* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)

* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)

* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*

* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*

* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७

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