Sunday 29 October 2023

 🌹 *धम्मचक्र प्रवर्तन दिन के उपलक्ष में दीक्षाभूमी नागपूर में आयोजित मोफत रोग निदान शिबिर का लंबा इतिहास...!*

    *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)

मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


      धम्म चक्र प्रवर्तन दिन के उपलक्ष में, हर साल दीक्षाभूमी नागपुर में, देश विदेश से लाखों की संख्या में, बौध्द बांधव आने का बहुत लंबा इतिहास है. १४ अक्तुबर १९५६ में, *बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर* ने, लाखो लोगों को, *"बुध्द धर्म"* में दीक्षित करने की, नागपुर यह एक *"धर्म भुमी"* है. *"कर्म भुमी"* है. वह दिन *"अशोका विजया दशमी दिन"* भी है. अखंड विशाल भारत के महान *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* के महान विजय का दिन है. बाबासाहेब आंबेडकर साहेब ने, उस दिन लाखों लोगों के जीवन में, *"मन परिवर्तन करने का / नव जीवन देने"* का वह दिन है. १४ अक्तुबर १९५६ को,  बाबासाहेब ने *"बौध्द धम्म दीक्षा"* देने के कारण, कुछ लोग १४ अक्तुबर को भी दीक्षाभूमि जाकर, अभिवादन करने जाते है. वह दिन *"अशोका विजया दशमी"* होने के कारण, कुछ लोग अशोका विजया दशमी पर, लाखों के संख्या मे, दीक्षाभूमि जाकर नमन करते है. अभिवादन करते है. दीक्षाभुमी यह विश्व का पहला पावन स्थल होगा कि, एक महामानव के नाम पर, लाखों की संख्या में लोग इकठ्ठा होते है. वह कोई भी धार्मिक देव - देवी का केंद्र नही है. वह केवल विचार केंद्र है. परीवर्तन केंद्र है. अत: उस पावन दिन, हम कुछ डॉक्टर्स / मेडिकोज स्टुडंट द्वारा *"मोफत रोग निदान शिबिर"* का आयोजन सन १९८० - ८१ को शुरु किया था. आज वह दिन मुझे याद कर गया.

      शासकिय मेडिकल कॉलेज  / इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (मेयो) में *"डॉ. आंबेडकर मेडिकोज असोशिएशन"* की स्थापना हो चुकी थी. और उस समय *डॉ. आनंद जीवने / डॉ. बी. जी. वाघमारे* यह दो नाम बहुत चर्चीत थे. लोग उनके नाम पर, मेडिकल जाकर अपना इलाज करते थे. मुझे वह दिन याद आ गये. उसके कुछ साल बाद *डॉ. कृष्णा कांबले* ने भी लोगों के मन में, अपनी जगह बनायी. आनंद जीवने जी का भंडारा रोड में, कार एक्सीडेंट ने मृत्यु हुयी. तब  हजारों की संख्या में, लोगों का सैलाब को, हमने दहन घाट पर देखा है. वही *आनंद जीवने* जी के अध्यक्षता में, पहली बार *एड. प्रकाश आंबेडकर* को सामाजिक जीवन में, परिचीत करने का बडा कार्यक्रम *धनवटे रंग मंदिर* हुआ था. और मुझे (डॉ. मिलिन्द जीवने) आनंद भाऊ ने ही, प्रकाश आंबेडकर का सत्कार करने को कहा था. मै बहुत बार मेडिकल में *डॉ.आनंद जीवने / डॉ. कृष्णा कांबले* जी को मिला करता था. आज वे दोनो भी इस दुनीया में नही रहे.

    नागपुर में शासकिय आयुर्वेद कॉलेज / श्री आयुर्वेद कॉलेज यह दो कॉलेज हुआ करते थे. आज भी है. मै श्री आयुर्वेद कॉलेज का विद्यार्थी था. वह कालखंड १९८० का होगा. उस समय हमारी युवा टीम ने - *डॉ. हरीश भिवगडे / डॉ. के. एस. उमरे / डॉ. मिलिन्द जीवने / डॉ. हर्षवर्धन मानेकर / डॉ. इंदिरा सोमकुवर / डॉ. मंगला बनसोड / डॉ. रोहिनी बोदेले / डॉ. विक्रम कांबले* तथा शासकिय आयुर्वेद कॉलेज के *डॉ. सुर्यकांत भगत / डॉ. प्रल्हाद जाधव / डॉ. नवामानव गजभिये / डॉ. माया कांबले* आदी के प्रमुख उपस्थिती में *"डॉ. आंबेडकर आयुर्वेदीक मेडिकोज असोशिएशन"* की, हमने स्थापना की थी. प्रल्हाद जाधव / नवामानव गजभिये / विक्रम कांबले आज इस दुनिया में नही रहे. आगे जाकर हमने आयुर्वेदीक असोशिएशन की महाराष्ट्र राज्य समिती की स्थापना की थी. मुझे महाराष्ट्र राज्य समिती का अध्यक्ष बनने का अवसर भी मिला. वही सन १९८० - ८१ में, श्री आयुर्वेद कॉलेज के हमारी असोशिएशन ने, *पहली बार दीक्षाभूमी चौक स्थित संत चोखामेला वस्तीगृह प्रांगन* में, मोफत रोग निदान शिबिर का सफल आयोजन किया था. *"युनिवर्सल कंपनी / बैद्यनाथ आयुर्वेद"* इस कंपनी ने हमे मेडिसिन की मदत की थी. वह सभी मेडिसिन के बक्से मेरे घर ही रखे थे. आज भी वह पुराना रिकार्ड मैने संभाले रखा है. उस समय हमारा अकेला कैंम्प चोखामेला परीसर में हुआ करता था. और मेडिकल / मेयो का कैम्प यह माताकचेरी हुआ करता था. हम ने बोया हुआ वह वृक्ष आज बडा फैला हुआ है, यह देखकर हमे बहुत खुशी हो रही हैं.

   श्री आयुर्वेद कॉलेज से पदवी लेने के बाद भी, पाच साल तक मै आयुर्वेद असोशिएशन का आफिसर इन चार्ज रहा था. बाद में सन २००६ से मेरी संघटन *"जीवक वेलफेयर सोसायटी"* द्वारा *"मोफत रोग निदान शिबिर"* का सफल आयोजन मै कर रहा हूं. वही पाच - छ साल पहले *"डॉ. आंबेडकर डेंटल असोशिएशन"* कुछ डॉक्टर्स की टीम, दीक्षाभूमि पर *"डेंटल शिबिर"* लेने के लिए मुझे मिली. मैने उन्हे बाजु में ही, उनका डेंटल शिबिर लगाने के लिए मदत की थी. और उनके डेंटल शिबिर का उदघाटन भी मेरे हाथो ही हुआ था. करोना काल के पहले, *संकल्प संघटन* के सर्वेसर्वा तथा महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री *डॉ. नितिन राऊत* ने, उनको अंध विद्यालय द्वारा जगह देने से मना करने पर, उन्होने हमारी संत चोखामेला की जगह छिनने का असफल प्रयास किया था. जब यह बात मुझे हमारे डॉक्टर टीम ने बतायी, तब हमे सामाजिक न्याय विभाग से बडा संघर्ष करना पडा. *आखिर आधी जगह संकल्प (भोजन दान) को और आधी जगह हमे (मेडिकल कैम्प)* देने का एक समझौता हो गया. तब से संकल्प का भोजनदान संत चोखामेला के आधे भाग में हो रहा है. लेकिन *"संकल्प के भोजन दान"* का आयोजन, संत चोखामेला में होने से, मेडिकल शिबिर तथा आजु बाजु के स्टाल को, *बडी परेशानी का सामना* करना पड रहा है. हमे आरोग्य सेवा देने की होने वाली परेशानी पर, अब हम थोडी चर्चा करते है. उसका संकल्प टीम और मनपा / पोलिस विभाग दखल ले, यह अपेक्षा करते है.

     धम्म चक्र प्रवर्तन दिन पर, *"संकल्प संघटन"* द्वारा *"भोजन दान"* का कार्यक्रम अंध विद्यालय में आयोजन किया गया था, तब उसकी सराहना की गयी थी. परंतु जब से वह भोजन दान यह चोखामेला परिसर में ट्रांसफर किया गया है, *और वहां जगह कम होने से,* लोग दीक्षाभूमी चौक रास्ते पर, खाने की थाली लेकर घुमते नज़र आते है. या रोड पर ही बैठकर खाना खा रहे है. यह भिखारवाडा सिन अन्य लोग देख रहे है. इससे रास्ता जाम हो रहा है. कुछ लोग मेडिकल कैम्प परिसर में भी, जमा होकर खाना खा रहे है. और खाने की प्लेट वही फेकने से, बडी गंदगी फैल रही है. यह सभी देखकर, कुछ मान्यवर लोगों ने तो, खाना देना बंद कर देना चाहिए, यह भावना व्यक्त की है. *"नितिन राऊत को दीक्षाभूमी में गंदगी का शिल्पकार / जनक कहा है."* इससे हम कुछ हल निकाल सकते है. *माता कचेरी परिसर* में, या *आयटीआय परिसर* में, अंदर में बहुत जगह खाली है. अगर वहां समस्त *"फुड झोन"* बनाया जाए, तथा वहां अंदर में *फुड डिस्ट्रिबुशन / तथा डायनिंग की व्यवस्था* की जाए तो, दीक्षाभुमी रास्ते पर गंदगी नही होगी. रास्ता जाम नही होगा. अत: यह सभी बातें संकल्प टीम को सोचना है. चोखामेला परिसर यह *"मेडिकल झोन"* के लिए परीचित है. अत: मध्यम मार्ग की अपेक्षा मे...!


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नागपुर, दिनांक २९ अक्तुबर २०२३

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