Sunday 25 October 2020

 😷 *दीक्षाभूमी नागपुर के दरवाजे "धम्म चक्र प्रवर्तन दिन" पर, जनता को अभिवादन करने खुले करे, इस संदर्भ में उच्च न्यायालय में नयी रिट याचिका दाखल. देरी के कारण, न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी...!* (RSS द्वारा २५ अक्तुंबर को, रेशीमबाग में कार्यक्रम. दीक्षाभूमी में उस दिन बगैर रोशनाई / दरवाजे बंद से सन्नाटा ही सन्नाटा...! वही विभागीय आयुक्त / जिलाधिकारी / मनपा आयुक्त / पोलिस आयुक्त / धर्मादाय उपायुक्त / सहा. धर्मादाय आयुक्त के खिलाफ *"अनुसूचित जाती प्रतिबंधक कानुन"* अंतर्गत सिव्हिल कोर्ट में, मुकदमा दायर करने संदर्भ में विचार...!!!)

* *डॉ. मिलिन्द जीवने* इनके द्वारा दायर की गयी याचिका की सुनवाई, *अॅड. डॉ. मोहन गवई / अॅड. संदिप ताटके* करेंगे.

      *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल ऑफिसर

मो.न. ९३७०९८४१३८, ९८९०५८६८२२



      मनमानीता एवं मुजोरी की, एक हद होती है. सीमा होती है...! जब वह हद / सीमा तुटती है, तब उसके विरोध में, एक आवाज उठती है. *"और वह आगाझ बनकर भविष्य में, एक नया संदर्भ बनाती है. नया इतिहास लिखती है...!!"* ऐसा ही एक आगाझ है, *दीक्षाभूमी का आंदोलन...!"* वह कानुनी आंदोलन, भविष्य में दीक्षाभूमी ट्रस्टीओं को एक सिख देगा. वही सरकारी प्रतिनिधी / संबंधित अधिकारी वर्ग को, प्रशासन कैसे करें...? यह अनुभव देगा. इधर २५ अक्तुबर २०२० को, *"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ - RSS"* द्वारा रेशीमबाग के डॉ. हेडगेवार सभागृह में, दशहरा मनाने की घोषणा की गयी है. और शायद दीक्षाभूमी ट्रस्टीओं के, कोई सगे संबंधी मरने से, *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* इस पावन अवसर पर, दीक्षाभूमी के दरवाजे बंद...! कोई रोशनाई नहीं / कोई सजावट नहीं...! *"बस, दीक्षाभूमी पर सन्नाटा ही सन्नाटा...!!!"* 

      उधर *"दुर्गा नवरात्री"* में सजावट एवं आनंदी आनंद है. और दीक्षाभूमी ट्रस्टीओं को कोरोना हुआ है. दुसरे अर्थ में कहा जाएं तो, *"दीक्षाभूमी प्रशासन / नागपुर प्रशासन / पालकमंत्री डॉ. नितिन राऊत इन महाशयों को, "बुध्दीभ्रम कोरोना" हो गया है...!!!"* उन महाशयों ने, मेरी मा. उच्च न्यायालय में दायर याचिका, विचारी ढंग से पढना चाहिए. मैने उस याचिका में, भारत सरकार के ही संदर्भ दिये है. मेरी अपनी बातें, वहां नहीं है...!!! सबसे बडा सवाल तो, *"आंबेडकरी / बौध्द समुदाय के, बडे निष्क्रियता का है. उन्होंने कोरोना (?) संक्रमणता के गहराई का, संशोधनात्मक / चिकित्सात्मक /वैचारिक / वैज्ञानिक ढंग से, अध्ययन ही नहीं किया...!"* अत: उन लोगों ने मेरे द्वारा दायर, रिट याचिका में दिये गये सरकारी रिपोर्ट देखना चाहिए. और  जन मन के मुहं पर लगा, *"ऑक्सिजन रोधक आवरण"* के विरोध में, आवाज उठाना चाहिए.‌ क्यौं कि वायरस का आकार, सदर मास्क से छेदों से भी, *"मायक्रो"* होता है.‌ फिर वह मास्क, फिल्टरेशन कैसे रोक सकता है...? हां, अपने शरीर के लिये आवश्यक, *"ऑक्सीजन प्रवाह का रोधक"* जरूर है...! जो शायद हमें, नये बिमारी का आवाज दे.

     अब हम दीक्षाभूमी एवं कोरोना संदर्भ में, आज तक के कानुनी विषयों पर चर्चा करेंगे...! दीक्षाभूमी ट्रस्टी प्रशासन / विभागीय आयुक्त / जिलाधिकारी / मनपा आयुक्त / पोलिस आयुक्त इन महामहीम को, मेरे वकिल - *अॅड. डॉ. मोहन गवई* की माध्यम से, कानुनी नोटीस दिया गया. यही नहीं, *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* की टीम ने, मेरे *(डॉ. मिलिन्द जीवने)* नेतॄत्व में, निवेदन भी दिया गया. उस प्रतिनिधी मंडल में - *प्रा. वंदना जीवने / डॉ. किरण मेश्राम / दीपाली शंभरकर / ममता वरठे / सुर्यभान शेंडे / डॉ. मनिषा घोष / इंजी. माधवी जांभुलकर / प्रा. वर्षा चहांदे / प्रा. डॉ. नीता मेश्राम / डॉ. भारती लांजेवार / डॉ. साधना गेडाम / इंदुताई मेश्राम / वनिता लांजेवार / चैताली रामटेके / कल्याणी इंदोरकर / अमिता फुलकर / संध्या रंगारी / मंगला वनदुधे / ममता गोवर्धन / रमे‌श वरठे / सुरेश रंगारी / मिलिंद गाडेकर / प्रा. नितिन तागडे / प्रभाकर गेडाम* आदी पदाधिकारी वर्ग की, वहां सक्रियता थी.

     सदर निवेदन पर, उपरोक्त महोदय भावों की भुमिका *"बुध्दीभ्रम कोरोनामय"* होने से, मा. उच्च न्यायालय में याचिका *WP (ST) No. 9691/2020 यह ९ अक्तुंबर २०२० डाली गयी.* और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वय - *रवी देशपांडे / पुष्पा गणोडीवाला* इन्होने, सदर याचिका यह ट्रस्ट होने के कारण, और उपरोक्त शासकीय प्रतिनिधी का (जो पार्टी थी) कोई जिक्र ना कर, १२ अक्तुबर २०२० को उस याचिका को डिसमिस किया. यहा प्रश्न Civil Penal Code - CPC Act के कलम ९ में लिखा है कि, *"The Courts shall have jurisdiction to try suits of a civil nature excepting suits of which their cognizance is either expressly or implidedly barred."* और अलाहाबाद उच्च न्यायालय नें *"श्रीधर मिश्रा विरूद्ध जयचंद्र विद्यालंकार"* (AIR 1959 All 598) इस केस में, वह संदर्भ दिया है. साथ ही Specific Relief Act के सेक्शन ४२ का जिक्र है. मैं साधारण व्यक्ती होने के कारण, उस संदर्भ को  समजना कठिण हो सकता है. 

       अत: दिनांक १३ अक्तुबर २०२० को, *मा. धर्मादाय उपायुक्त - ममता राखडे* इनके समक्ष BPT Act under Rule 41A, अंतर्गत Urgency Case फाईल किया. और मॅडम को *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन पर, दीक्षाभूमी के दरवाजे खुले करने के लिये, निर्देश देने की विनंती की...!"* और उन्हे स्मारक समिती को, कानुनी नोटिस देने की बात कही. और उसका रिप्लाय ना मिलने की बात कही. परंतु मॅडम ने कहां, हमारे पास बहुत केस होने के कारण, सदर केस रजीस्टर्ड  *(अर्ज क्र. ३२/२०२०)* करते हुये, दीक्षाभूमी समिती को नोटीस भेजी. और मौखिक में कहा कि, २० अक्तुबर २०२० को सुनवाई और आदेश दोनो ही करेगी. परंतु मॅडम २० अक्तुबर से २६ अक्तुबर तक बिमार होने से, छुट्टी पर चली गयी. फिर हम ने *सहा. धर्मादाय आयुक्त - माणिकराव सातव* इनके समक्ष *Urgency Hearing / Order* की अर्जी लगाई. अत: २० अक्तुबर को सुनवाई हुयी. और उन्होंने सदर अर्जी पर, *Written Notes of Arguments* उसी दिन शाम तक देने की बात कही. और २१ अक्तुबर को आदेश करता हुं, यह बात कही. परंतु उन्होंने आदेश उस दिन ना कर, *२२ अक्तुबर २०२० को* अपना जजमेंट देकरं, (हम वहां शाम ६.३० तक रूके रहे) उस जजमेंट में, *"Rule 41A में धर्मादाय आयुक्त को जादा अधिकार ना होने का जिक्र किया. यही नहीं कोरोना संक्रमण में, शासन आदेश का पालन करना अनिवार्य है. मनपा आयुक्त / जिलाधिकारी इन्हे इस विषय संदर्भ में, अधिकार है. उनकी अनुमती ना होने का जिक्र करते हुये, वह याचिका नामंंजुर की...!"* अब सवाल सहा. धर्मादाय आयुक्त द्वारा उठाये गये, सदर विषय का उत्तर उभी जजमेंट में, हमारे Written Notes of Arguments में लिखे गये थे. सदर केस में हमारा पक्ष, *अॅड. संदिप ताटके* ने अच्छे से रखा. वही *प्रवीण मेश्राम* ने यह कानुनी केस बनाने में, बडी मेहनत ली. महाराष्ट्र शासन द्वारा प्रकाशीत *"दशहरा / नवरात्री मनाये जाने का पत्रक"* वहा सलग्न था. मा. सर्वोच्च न्यायालयाने *"जगन्नाथ रथयात्रा"* का सायटेशन था. जिलाधिकारी / मनपा आयुक्त को, दी गयी कानुनी नोटीस थी.‌ अब सवाल यह है कि, *"सहा. धर्मादाय आयुक्त का, वह जजमेंट मेरीट पर खरा उतरता है...?"* और दीक्षाभूमी के दरवाजे खोलने के, निर्देश देने से मना किया. 

       आखिर *२३ अक्तुबर २०२० को* हम ने, मा. उच्च न्यायालय में सदर जजमेंट के विरोध में, *"नयी रीट याचिका"* दोपहर के बाद दायर की. क्यौं कि, याचिका तयार करनें में, थोडा वक्त तो लगेगा. और देरी के कारण, आज सदर याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. मेरी ओर से इस याचिका में, *अॅड. डॉ. मोहन गवई / अॅड. संदिप ताटके* पैरवी करनेवाले है. *कल २४ - २५ अक्तुबर को*, उच्च न्यायालय बंद रहेंगे. अब सवाल है कि, *एक "अर्जंट मॅटर" में सर्वोच्च न्यायालय नें, रात को बारा बजे सुनवाई की थी.* क्या उसी आधार पर, दीक्षाभूमी के लिये, कल २४ अक्तुबर को उच्च न्यायालय, नागपुर खंडपीठ खुलेगा...??? यह प्रश्न है. क्यौ कि, *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* यह *"आंतरराष्ट्रीय समारोह"* है.‌ और वह *"भारत के गौरव"* का प्रतिक है. यह अलग विषय है कि, *"दीक्षाभूमी समिती, यह गधे / बिन-अकलों का जमावडा है...!"* उन्हे *"बौध्द धम्म अस्मिता"* की ना कोई चिंता है, ना ही कोई देना देना है. *"ना ही वे, ट्रस्टी अर्थात विश्वस्त बनने के लायक है...!"* विश्वस्त का अर्थ होता है, *"समाज का विश्वास योग्य व्यक्ती...!"* उनसे वो तवायफ अच्छी है, जो अपने पेशे से वफादार रहती है. ये तो अपने दायित्व के प्रती, वफादार नहीं रहे...!

       अब हम कोरोना संक्रमण / कोविड - १९ पर चर्चा करेंगे. भारत सरकार के अनुसार, *"कोविड का Recovery Rate यह 87% है और Corona Patient Rate यह 13% है...!"*  दुसरी बात यह कि, भारत का पिछले दो साल एवं कोरोना वर्ष २०२० का *"Death Rate"* - ७.२४% (वर्ष २०१८) / ७.२७% (वर्ष २०१९) / *और ७.३० (वर्ष २०२०)* है. मजे की बात यह कि, सन २०१८ एवं २०१९ में जो मॄत्यु का प्रतिशत है, उस में *"नैसर्गिक मॄत्यु, हार्ट अॅटक, न्युमोनिया, पिलिया, अपघात"* आदी सभी सलग्न है. और सन २०२० में, यह सभी मॄत्यु गायब है. वहीं भारत सरकार का आरोग्य संघटन *Indian Council Of Medical Research (ICMR)* ने, सभी हॉस्पिटल को गाईड लाईन भेजी है कि, *"हॉस्पिटल में मॄत्यु हुये, सभी मयत को कोरोना बताना है...!"* सवाल इसी पर रूका नही है. वे कहते हैं कि, *"पेशंट की Autopsy करना भी जरूरी नहीं."* अरे भई, किसी पेशंट का Autopsy या Byopsy नहीं करोंगे तो, बिमारी का Confirm निदान कैसे होगा...? इस कारणवश कोरोना के नाम पर, मरे हुये व्यक्ती के शव का अंतसंस्कार भी, हम सन्मानपूर्वक नहीं कर सकते...? इसे हम क्या कहे...!!!

     इधर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी *"जगन्नाथ रथयात्रा"* में सहभाग ले रहे है. *मा. सर्वोच्च न्यायालयाने* सदर रथयात्रा निकालने को, अपनी अनुमती दी थी.‌ वही नरेंद्र मोदी ने *"अयोध्या रामजन्म भुमी शिलाण्यास"* में भी, अपनी उपस्थिती दर्शायी. *"शबरी माता मंदिर"* यह, पाच दिन के लिये खोला गया है. *"पंढरपूर विठ्ठल मंदिर"* भी खुल गया. *"RSS द्वारा नागपुर के रेशिमबाग बाग में, दशहरा कार्यक्रम २५ अक्तुबर २०२० को होने जा रहा है...!"* और बौध्दों की ऐतिहासिक धरोहर *"दीक्षाभूमी - अंधेरा छाया रहे. दरवाजे बंद कर, सन्नाटा जिंदा रहे...!"*  और हमारे तथाकथित आंबेडकरी मित्रवर - पालकमंत्री *डॉ. नितिन राऊत*  ये *"बुध्दीभ्रम कोरोना"* से ग्रस्त दिखाई दे रहे है. वंचित नेता *अॅड. प्रकाश आंबेडकर* इन्हे, *"पंढरपूर विठ्ठल मंदिर"* खुला करने की याद आयी. हमारी चेतना भुमी / क्रांती भुमी / मातॄ भुमी / कर्म भुमी / आदर्श भुमी - *दीक्षाभूमी की नहीं...!!!* अंत में है इतना ही कहुंगा कि, हमारा *"दीक्षाभूमी आंदोलन"* यह कानुनी लढाई, अब रूका नहीं. ना ही वह रूकनेवाला है. साथ ही प्रशासन महर्षी - विभागीय आयुक्त / जिलाधिकारी / मनपा आयुक्त / पोलिस आयुक्त / धर्मादाय उपायुक्त / धर्मादाय सहा. आयुक्त इन अधिकारीयों पर, *"अनुसूचित जाती प्रतिबंधक कानुन"* अंतर्गत, केस डालने पर विचार किया जा रहा है...!!!


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* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल ऑफिसर

मो.न. ९३७०९८४१३८, ९८९०५८६८२२

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