Sunday 31 March 2024

 🇮🇳 *प्रजासत्ताक भारत को हिंदुस्तान इस अनैतिक नाम से पुकारनेवाले क्या गद्दारों के पुराने वंशज है ? एक अहम प्रश्न.* (डॉ. मोहन भागवत से लेकर राहुल गांधी तक ?)

  *डॉ. मिलिंद जीवने 'शाक्य'* नागपुर ४४००१७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु (म. प्र.)

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


       .भारत १५ अगस्त १९४७ इस दिन को, पुर्णतः आजाद हुआ था या, वह केवल *"सत्ता का हस्तांतरण"* समारोह था, यह संशोधन का बडा विषय है. परंतु भारत २६ जनवारी १९५० इस दिन को, *"प्रजासत्ताक भारत"* बना अर्थात *"संविधानिक संस्कृति"* ( *संस्कृति संविधान* को उस दिन दफनाया गया) का वह उदय दिन था. और *"भारतीय संविधान"* के कलम १ अनुसार, Name & Territory of Union - *India, that is Bharat, shall be union of State"* हो गया. अर्थात भारत केवल "एक राज्य" ना होकर, वह *"संघ राज्य"* होकर, सभी राज्य ये *"सार्वभौम"* घोषित हो गये. प्रजासत्ताक भारत बनने के बाद, जो कोई भी दलों की, भारत में सरकारे बनी, उन सभी दलों ने *"भारत राष्ट्रवाद - भारतीयत्व भावना को जगाने की बुनियाद"* कभी रखी ही नहीं. आजादी के ७५ साल गुजारने के बाद भी, किसी भी सत्ता दलों ने, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* की स्थापना नही की. *"ना ही बजेट में किसी प्रकार का, कोई प्रावधान किया गया."* प्राचिन अखंड भारत के महान *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* इनकी ना ही *"जयंती"* मनायी जाती है, *ना ही उनके जन्म दिन पर सरकारी अवकाश.‌..!* भारत में फिजुल जयंती, बडे धुमधाम से मनायी जाती है. कुछ साल पहले, मेरी राष्ट्रिय संंघटन - *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* की माध्यम से, *"चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती दिन पर सरकारी अवकाश देने को तथा वह दिन राष्ट्रिय दिन (१५ अगस्त  - २६ जनवारी समान) घोषित करने की"* मैने, भारत सरकार से मांग की थी. मुझे भारत सरकार से एक चिठ्ठी आयी थी कि, *"अभी उनके सामने इस प्रस्ताव पर, चर्चा करने का कोई विचार नहीं है."* भारत में सबसे पहले *"चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती"* मेरी संघटन द्वारा, नागपुर में मनायी है. यह कहते हुये मुझे बडा गर्व भी महसुस होता है. यही नहीं, जहां *"भारतीय संविधान"* पर चर्चा हुयी थी, उस हेरिटेज वास्तु *"संविधान सभा"* (Constituent Assembly) को, *"डॉ बाबासाहेब आंबेडकर कांस्टुट्युशन एवं लॉ अकादमी तथा रिसर्च इन्स्टिट्यूट"* बनाने की भी, मेरी संंघटन की ओर से, मैने मनमोहन सिंग सरकार को की थी. अब हम *"हिंदुस्तान"* इस अनैतिक शब्द का प्रयोग एवं विघटनकारीयों के कृत्यों पर चर्चा करेंगे.

       भारत में प्रायमरी / माध्यमिक वर्ग के छात्रों को, *"भारतीय संविधान"* की पुर्णतः जानकारी ही नहीं है. क्यौं कि, हमारे किसी भी वर्ग छात्रों को, *"भारतीय संविधान"* यह विषय पढाया ही नहीं जाता. वही दिल्ली बोर्ड के कुछ महामहिम विद्वानों (?) ने, अभ्यासक्रम से *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर* इनका चरित्र - कार्य ही हटा दिया है. इस संदर्भ की बहुत सी शिकायत, मेरे पास आयी है.‌ अर्थात उस बोर्ड के पदाधिकारी, कितने देशभक्त एवं विद्वान है ? यह भी एक संशोधन का विषय है. और *हमारे भारत की सभी केंद्र सरकारे, अहसान फरामोश दिखाई देती है.* और कांग्रेसी पितामहा मोहनदास गांधी हो या, संघवादी के.‌ सुदर्शन हो या, प्राचिन भारत के विचारविद - *भर्तृहरी* हो, इन्होने *"भारतीय राजनीति को वेश्यालय"* कहा है. और राजनीति में उन नेताओं की कृति (?), *"वेश्या"* के भांती ही दिखाई देती है. वो नेता लोग किस दलों के साथ होंगे (या सोयेंगे) ....??? अत: कांग्रेसी राजकुमार *राहुल गांधी* हो या, संघवाद प्रमुख *डॉ. मोहन भागवत* हो, उन नेताओं के द्वारा, हमारे देश का अनैतिक शब्द प्रयोग *"हिंदुस्तान"* (अस्तित्व हिन देश) का वापर होना, यह उनके *"अ-शिक्षा / अ-संस्कारो"* का परिणाम है. या उनका वेश्यापन हो...!!! यहाँ तो अहं सवाल, हमारे देश की *"वॉच डॉग - सर्वोच्च न्यायालय"* के कृतिशीलता का भी है. क्या हमारी सर्वोच्च न्यायालय ने, अपनी सही ड्युटी निभायी है ? क्या हमारे न्यायालय में, *"लायक न्यायाधीश"* बैठे है, जो सच्चे देशभक्त / इमानदार कहे जा सके ??? अब उनके पुर्वजों की ओर बढते है.

       हमें प्राचिन भारत की उज्वल - *"सिंध संस्कृति या हडप्पा संस्कृति,"* (पुर्व हडप्पा संस्कृती कालखंड इ. पु. ७५०० - ३३००, हडप्पा संस्कृति या पहिला नागरीकरण कालखंड इ. पु. ३३०० - १५००, परिपक्व हडप्पा संस्कृति इ. पु. २६०० - १९००) की ओर जाना होगा. प्राचीन भारत पर पहिला आक्रमण *"विदेशी वैदिक ब्राह्मणों"* (वैदिक सभ्यता का कालखंड १५०० - ६००) किया गया. हमारे देश की प्राचिन उज्वल सिंध संस्कृति को, *विदेशी ब्राह्मणों* द्वारा नष्ट किया गया. और इस तथ्य पर, गंगाधर तिलक से लेकरं पंडित जनार्दन भट तक सभी ब्राह्मण लोगों ने, इसे सही माना है. अर्थात *"अनैतिक वाद / भोगवाद / गद्दारी"* का बीजारोपण भी, ब्राह्मण संस्कृति ने, इस देश में किया है. संघवाद प्रमुख *डॉ मोहन भागवत* उनके ही तो वारिस है. फिर आयी *"बुध्द संस्कृति"* ने, भारत में स्वर्ण युग / शांती युग / मानवता युग / खुशहाली युग की स्थापना की.‌ *चक्रवर्ती सम्राट अशोक,* ये विश्व का सबसे बडा सम्राट बना. और *"लिपी युग की बुनीयाद"* भी, सम्राट अशोक की ही देन है. फिर चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य वंश का आखरी वारिस *सम्राट बृहद्रथ की हत्या* भी, बामनी सेनापती *पुष्यमित्र शृंग* (अपनी बहन बृहद्रथ को ब्याहकर / रिस्ता बना कर) ने, बामणी ऋषी *पतंजली*  इसके कहने पर की थी. और *अखंड भारत ये खंड खंड हो गया.* अफगाणिस्तान (१८७६) / तिब्बत ( १९०७) / नेपाल (१९०४) / भुतान ( १९०६) / श्रीलंका (१९३५) / म्यानमार (१९३७) / पाकिस्तान - बांगला देश (१९४७) ये देश, अखंड भारत से अलग हो गये. अर्थात *"ब्राह्मण शाही"* यह भारत को मिला, एक बडा कलंक है. अत: बामणी सत्ता शाही से, *"विकास भारत"* यह अपेक्षा करना, यह पुर्णतः बेमानी है.

     बामणी गद्दारी ने भारत की प्रभुता को, छिन्न छिन्न कर डाला. फिर भारत में *मोगल (मुस्लिम शासक) आये. इंग्रज भी आये."* और अखंड विशाल भारत, फिर गुलाम बन गया. बामणी सत्ता के भोगवादी भाव से, भारत कमजोर होता गया. वह कालखंड १८५७ का रहा है. दिल्ली पर *बहाद्दूर शाह जाफर* का साम्राज्य था. कहा जाता है कि, *गयासुद्दीन गाजी* (बाद में हिंदु नामकरण - *गंगाधर नेहरू* ?) ये कश्मिर से दिल्ली आकर, सम्राट बहाद्दूर शाह जाफर के यहां *"कोतवाल"* बना. ब्रिटिशों के उत्पिडन से बचने के लिये, वे आग्रा भी भाग गये. बाद में वे, दिल्ली लाल किल्ले के नहर के पास रहने लगे. और अपना नामकरण *गंगाधर नेहरू* (नहर का नेहरु सरनेम) कर डाला. बच्चे का नामकरण *मोतीलाल नेहरू* रखा गया. यह भी आरोप होते आया है. मोतीलाल नेहरू की *टुस्सु रहमान बाई* दुसरी पत्नी थी. वकिल *मोबारक अली* का *जवाहरलाल नेहरू* ये पुत्र होने का भी, आरोप होते आया है.  सही बात तो, इसके संशोधन होने पर ही, सिध्द हो पायेगा. *इंदिरा गांधी* इन्होने, मुस्लिम नेता *फिरोज खान* इनसे शादी की थी. इसका बडा विरोध होने की बात कही जाती है.‌ फिरोज खान से मिलने के पहले, इंदिरा गांधी के संबंध *मोहम्मद युनुस* से बताये जाते है. और *संजय गांधी* ये मोहम्मद युनुस का पुत्र होने का भी, आरोप होते आया है.‌ फिरोज गांधी से *राजीव गांधी.* फिरोज खान से शादी होने के विरोध कारण, मोहनदास गांधी ने फिरोज खान को, अपना *"गांधी"* ये सरनेम देने से, वो *"फिरोज गांधी"* बन गया. जवाहरलाल नेहरू के दादा के मुस्लिम पेहराव का फोटो भी, व्हायरल हुआ है.‌अर्थात नेहरू - गांधी परिवार की वंशावली, ये हमेशा विवादों का विषय रही है.

      नेहरू - गांधी परिवार के परिवारों पर, बडे ही आरोप लगते रहे है, वैसे ही गंभीर आरोप *"राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ"* (RSS) के प्रमुख संस्थापक *केशव हेडगेवार* इन पर लगते आये है. केशव हेडगेवार के दादा *गंगाधर हेडगेवार* ये सिकंदराबाद में, *मोहम्मद मुबारक अली* इनके यहां आचारी होने का बात व्हायरल हुयी है. गंगाधर हेडगेवार का मुल नाम *"जमिल मोहम्मद अली* बताया जाता है. सन १८५७ के बंड के बाद, वे अपने पुत्र *बळीराम हेडगेवार* के साथ, यवतमाल में स्थानांतरण हुये.‌ और उन्होंने अपना मुस्लिम नाम बदलकर, हिंदु नाम रखने का आरोप होते आया है. बाद में हेडगेवार परिवार नागपुर आया. और आचारी का काम करते थे. उन्होंने *"कांग्रेस अधिवेशन"* में भी, खाना बनाने का काम करने की, चर्चा होती रही है.‌ *बळीराम हेडगेवार को ५ पत्नीयां* होने का भी आरोप लगता आया है. पहिली पत्नी - *रेवती* इनसे काशीबाई / मालती ये दो लडकियां बतायी जाती है. दुसरी मुस्लिम पत्नी - *थुस्सु रहमान बाई* ( जो मोहम्मद मुबारक अली की पहिली पत्नी थी. पहले मुस्लिम पती से ही *केशव हेडगेवार*), जो RSS का संस्थापक बना. तिसरी पत्नी - *मंजीरी* इनसे *विनायक दामोदर सावरकर* (दत्तक दिया गया), जो भारत आजादी में चर्चा का केंद्र बने. चवथी पत्नी - *हरणाबाई* इनसे *माधव गोळवलकर* (वो भी दत्तक दिया गया), जो RSS के बाद में प्रमुख बने.‌ पाचवी पत्नी - *मुस्लिम नोकरानी* इनसे *मोहम्मद अली जीना* पुत्र हुआ, जो पाकिस्तान का निर्माता बना. इस प्रकार की पोष्ट सोशल मीडिया में, व्हायरल होती रही है. महत्वपूर्ण विषय यह कि, नेहरु परिवार - हेडगेवार परिवार पर लगे गंभीर आरोपों में, कुछ साम्यता भी दिखाई देती है.‌ अत: इन आरोपों पर, संशोधन ही सिद्धता कर सकता है.

        नेहरू - हेडगेवार परिवारों पर आरोप बताने का कारण यह कि, जब हम किसी पर आरोप लगाते है तो, उसका प्रतिफल भी दिखाई देता है. अत: हमें *"बुध्द की विचारधारा"* - प्रेम, मैत्री, बंधुता, शांती, करुणा, अहिंसा की ओर बढना होगा. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर इन्होने बताये गये *"जातीविहिन समाज"* की ओर बढना होगा. जाति संघर्ष - वर्ग संघर्ष - धर्म संघर्ष को रोकना होगा. देववाद - धर्मांधवाद को दुर करना होगा.‌ मद्रास उच्च न्यायालय (Justice S. Manikkumar & Subramanham Prasad) ने, *M. Divyanaygam vs State of Tamilnadu* (२०१९) इस केस में, *"देव / धर्म के अस्तित्व पर, हमें विचार करने का अधिकार प्रदान किया है."* हमें इन विचारों की ओर बढना है. भारत की आज की राजनीति, ये अर्थकारण से जुडी दिखाई देती है. *"राष्ट्र विकास"* यह विषय दुय्यम रहा है. वंचित आघाडी के नेता *एड. प्रकाश आंबेडकर* इन्होने, *"रिपब्लिकन विचारधारा"* से पलायन करना, बडा खेद का विषय है. और राजनीति के सौदेबाजी, ये समाज को किस ओर ले जा रही है, *"इसका अनुमान ना प्रकाश आंबेडकर समज पा रहा है, ना‌ ही बसपा प्रमुख मायावती."* यह दोनो का भी दायित्व‌ है कि, समाज को सही दिशा दे. प्रकाश आंबेडकर के कुछ लोगो को, मेरा यह कहना बुरा लगेगा. और वे कुछ आरोप भी कर सकते हैं. *प्रकाश आंबेडकर* इनको सबसे पहले, ३० - ३५ साल पहले, समाज में परिचीत करने का काम, *जीवने परिवार* ने ही किया था. और मैने स्वयं तब उनका हार पहनाकर स्वागत किया था. यही नहीं दस साल पहले, प्रकाश आंबेडकर इनके साथ मेरी मुलाखत चर्चा में, *मैने जो बातें कही थी, वे एड. प्रकाश आंबेडकर कभी नहीं भुल सकते.* बसपा सुप्रीमो मायावती को भी, आंबेडकरी समाज के साथ ही, देश के विकास के बारें में सोचना होगा. *"भारतीय संविधान"* को बचाना होगा. भाजपा / कांग्रेस से भी ज्यादा, यह दायित्व हम पर ज्यादा है. जयभीम...!


**************************

नागपुर, दिनांक ३१ मार्च २०२४

No comments:

Post a Comment