Saturday 28 April 2018

My Poem on the Eve of Birth Day of Buddha.... Dr. Milind Jiwane 'Shakya'

🌹 *बुध्द तुम याद आयें जग सारा !*
       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
        मो.न. ९३७०९८४१३८

विश्व शांती के ये मेरे पथदर्शी
बुध्द तुम याद आयें जग सारा....

ये सागर के लंबे गहराई में
मन भटक गया है तन वारा
उठे रे कैसे अब युध्द बेला में
हर पल दिखा रे हिंसक मारा....

आग जल रही है इस जम़ी में
लकडी नही लडकी तन सारा
बदनाम मैफिल सजी जहाँ में
मानवता का है जग अंधकारा....

अंतर्युध्द की इस महाधारा में
मानव मानव मे दुश्मनी मारा
अब ना प्रेम कोई बचा जहाँ में
कल हमे दिखेगा कलिंग वारा....

* * * * * * * * * * * * * * * * *
 (बुध्द जयंती पर सभी का मंगल हो !)

No comments:

Post a Comment