Sunday 1 April 2018

My Poem .... Dr. Milind Jiwane 'Shakya'

🌾 *तु ही तो मेरी बुध्द छाया हो !*
        *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
         मो.न. ९३७०९८४१३८

अंधकार से परे तन मन की
अरे तु ही तो मेरी बुध्द छाया हो...

खिलकर मेरे बगिचे में आतें
तु परीयों की परि बन जाती हो
सुंदर से अनमोल जीवन की
बुध्द परछाई तु कहलाती हो ...

जब मै परेशान सा रहता हुँ
स्मित देकर गले से लगाती हो
हर पल शांती कोमल मन का
प्रेम ताल संगित तुम गाती हो ...

कौन है मेरा अपना या पराया
किसी राह ना ही मंज़िल मिली हो
हर दिशा बद मैफ़िल सजी है
प्रात: ही तु बुध्द याद कराती हो ...

* * * * * * * * * * * * * * * * *

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