Friday, 8 November 2024

 👌 *हे करुणा सागर है....!*

       *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर 

       मो. न. ९३७०९८४१३८


हे करुणा सागर है तु जम्बुद्विप में

गुंजे हर जगह मंत्र ये बुध्द युग में...


हे विष का प्याला है मानव मन में 

दर्द की ज्वाला भी है मानव मन में 

भीम वाला चला है शांती अहिंसा में

चलो ये गीत गाते है बुध्द की नाद में...‌


हे दीन पिडित रहे है ये भुखी मन में

फिर भी वो जीता है किसी आस में

बेकारी में मर रहा है वह इस देश में

चलो उठो क्रांती करे ये भीम याद में...


सुरज प्रकाश देता है दिन उजाले में

चॉंद की किरण है शांती की राह में

हम जीते रहे है ये निसर्ग की छाया में 

हे सुखी संसार बना बुध्द की शरण में...


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नागपुर, दिनांक ८/११/२०२४

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