✍️ *प्रथम - द्वितीय महायुध्द परिणाम के क्रुर हुकुमशाह से लेकर तृतीय महायुध्द की ओर !*
(भारत के संदर्भ में अस्तित्व-हिन देश हिंदुस्थानी की औलांद राहुल गांधी से लेकरं नरेंद्र मोदी तक)
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
विश्व का *"पहिला महायुध्द"* कालखंड २८ जुलै १९१४ से लेकरं ११ नोव्हेंबर १९१८ रहा है. वह युध्द *"गठबंधन सेना"* (ब्रिटन / फ्रांस / अमेरिका / रूस / इटली) विरुद्ध *"केंद्रीय शक्ती देश"* (आस्ट्रिया / हंगेरी / जर्मनी / उस्मानिया / बल्गेरिया तथा अन्य देश) इनके बिच लढा गया और वहां गठवंधन सेना की जीत हुयी थी. वही *"द्वितिय महायुध्द"* यह *मित्र राष्ट्र देश* (रशिया / चायना / अमेरिका / रुस और अन्य देश) तथा *"अक्ष राष्ट्रे"* (इटली / जर्मनी / जापान) इनके ही बिच लढा गया. और मित्र राष्ट्र की जीत हुयी थी. अब हमे यह समझना होगा कि, मित्र राष्ट्र के नेता *जोसेफ स्टेलिन / फ्रँकलिन ऐलिनो रूझवेल्ट / विन्स्टन चर्चिल / चिआंग काई शेक*'तथा अक्ष राष्ट्र के नेता *एडोल्फ हिटलर / बेनितो मुसोलिनी / हिराहितो* इनके ही बिच *"साम्राज्य विस्तार"* का वह परिपाक था. परंतु *"तृतीय महायुध्द"* यह *"पाणी समस्या"* संदर्भ में होने की चर्चा है. वही Climate change (पर्यावरण परिणाम) से, विश्व के ३० बडे शहर सन २०३० में डुबनेवाले है, यह बताया गया है. जहां भारत के संदर्भ में, *मुंबई / कोचिन / विशाखापट्टणम "* इन शहरों का उल्लेख हो रहा है. वही *सौदी अरब* देश यह समुद्र के निचे से, *"फास्ट ट्रेन लाईन"* (सौदी अरब से भारत) बिछाने की चर्चा है. और खर्च भी सौदी अरब ही करने की चर्चा है. अरब देश उन लाईन से *"तेल"* भारत को भेजेगा. और भारत यह अरब देशों को, वह *"पाणी"* की पुर्ती, उस अंडरग्राऊंड लाईन से करेगा. परंतु भारत आजादी इतिहास की ओर जब हम बढते है, तब भारत को आजादी द्वितीय महायुध्द के संदर्भ में, *"३ - ४ साल देरी से मिलना,"* इसे भी हमें समझना होगा. अब Climate Change कहानी के बाद, विश्व के क्रुर हुकुमशाह की जीवनी को भी हम चलते है.
विश्व के क्रुर हुकुमशाह के संदर्भ में कहा जाए तो, प्रथम - द्वितिय महायुध्द में, तथा उस के बाद के *"क्रुर हुकुमशाह"* में - *"एडोल्फ हिटलर* - जर्मनी (१०/०४/१८८९ - ३०/०४/१९४५) / *बेनिटो मुसोलिनी* - इटली (१९/०७/१८८३ - २८/०४/१९४५) / *व्लादिमीर इलाईच लेनिन* - रूस (२२/०४/१८७० -'२१/०१/१९२४) / *माओ जेदोंग - माओ त्से तुंग* - चायना (१९/१२/१८९३ - ९/०९/१९७६) / *इदी अमिन* - युगांडा (जन्म ? - १६/०८/२००३) / *सद्दाम हुसेन* - इराक (२८/०४/१९३७ - ३०/१२/२००६) / *यांह्या खां* - पाकिस्तान (४/०२/१९१७ - १०/०८/१९८०) / *मोहम्मद झिया उल हक* - पाकिस्तान (१२/०८/१९२४ - १७/०८/१९८८) / *होस्नी मुबारक* - अरब गणराज्य मिस्त्र (४/०५/१९२८ - २५/०२/२०२०) / *किम जोंग* - उत्तर कोरिया (८/०१/१९८४ - आज भी वे आसिन है) / *फ्रांसवा डुवलीयर* - हेती (१४/०४/१९०७ - २१/०४/१९७१) / *अयातुल्ला खुमनी* - इराण (१०/०४/१९०२ - ०३/०६/१९८९) / *नेपोलियन बोनापोर्ट* - फ्रांस (१५/०८/१७६९ - ५/०५/१८२१)" इन हुकुमशहा की लंबी लाईन में, रशिया के शक्तिशाली राष्ट्रपती *व्लादिमीर पुतिन* (प्रधानमंत्री १९९९ से २००८ तथा राष्ट्रपती ७ मई २०१२ से) / चायना के बडे शक्तिशाली राष्ट्रपती *क्षी जिनपिंग* (१४ मार्च २०१३ से) / बांगला देश की पदच्युत राष्ट्रपती *बेगम शेख हसिना* (६ जनवरी २००९ से ५ अगस्त २०२४) / भारत के प्रधानमंत्री *नरेंद्र दामोधर मोदी* (१७/०९/१९५०) - सन २०१४ से आज भी वे दप पर पदासिन है) इनका भी नाम हम जोड सकते हैं. उपरोक्त क्रुर हुकुमशहा में इदी अमिन - युगांडा / सद्दाम हुसेन - इराक / याह्या खां - पाकिस्तान / मोहम्मद झिया उल हक - पाकिस्तान / होस्नी मुबारक - अरब गणराज्य मिस्त्र / फ्रांसवा डुवलीयर - हेती / अयामुल्ला खुमानी - इराण / किम जोंग - उत्तर कोरिया (पदासिन है) / व्लादिमीर पुतिन - रुस (पदासिन है) / क्षी जिनपिंग - चायना (पदासिन है) / बेगम शेख हसिना - बांगला देश (पदच्युत) / नरेंद्र मोदी - भारत (पदासिन है) इनका कार्यकाल हम देख चुके हैं. अत: इन *"हुकुमशहा"* के संदर्भ में हम फिर कभी चर्चा करेंगे. अभी हम केवल *एडोल्फ हिटलर / बेनिटो मुसोलिनी / माओ त्से तुंग / नेपोलियन बोनापोर्ट / नरेंद्र मोदी* इन महानुभावों पर ही चर्चा करेंगे.
अब हम *एडोल्फ हिटलर* (जर्मनी का तानाशाह) के संदर्भ में चर्चा करेंगे. हिटलर यह मुलत: आस्ट्रिया देश के, बौनो एम इन इस गाव का निवासी था. उसके पिता इलोइस ये एक कस्टम अधिकारी थे. हिटलर की *"मिन काम्फ"* यह जीवनी है. सन १९१४ प्रथम महायुध्द में सैनिकी सेवा में, हिटलर का प्रवेश हुआ. सन १९२९ में जर्मनी पर आर्थिक संकट गहराये. बेरोजगारी / मुल्य वृध्दी / व्यापार - वाणिज्य पतन यह भी कारण रहे. हिटलर यह बढीया वक्ता, अच्छा व्यक्तित्व, बढीया संगठण कौशल्य के कारण, आगे जाकर वह जर्मनी का शासक बना. वो "राष्ट्रिय समाजवादी जर्मन कामगार युनियन" (NSDAP) का नेता बना. *"द्वितीय महायुध्द "* लादने के लिये, हिटलर को सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है. हिटलर की बडी क्रुरता यह रही की, *"नाझीयों द्वारा लाखो यहुदीओं को, गैस चैंबर में मौत के घाट उतार दिया."* वही हिटलर स्वयं को सर्व शक्तिमान समझने ने कारण, हिटलर की द्वितीय महायुध्द में हार हुयी. हिटलर यह जमिन के अंदर खंदको में, अपनी प्रेयसी *"ईव्हा ब्राऊन"* के साथ रहता है. और ईव्हा ब्राऊन ने भी, मरते दम तक हिटलर का साथ दिया. जब द्वितीय महायुध्द हारर्ने के बाद, इटली के हुकुमशहा *बेनिटो मुसोलिनी* इसको इटली सैनिको ने, गोली से मारकर उसका शव, चौराह पर लटका देने की खबर जब हिटलर ने सुनी, तब *हिटलर* ने अपनी प्रेमिका *ईव्हा ब्राऊन* के साथ, खंदक में ही ३० अप्रेल १९४५ को आत्महत्या की. और एक क्रुर शासक का ऐसा दु:खद अंत हुआ.
इटली का क्रुर हुकुमशहा - *बेनिटो मुसोलिनी* यह पहले साधारण सी मजदुरी किया करता था. बाद में मुसोलिनी ने पत्रकारिता की और *"आवांति"* का संपादक बना. इसने "राष्ट्रिय फासिस पार्टी" का नेतृत्व किया. सन १९१४ प्रथम महायुध्द में, मुसोलिनी ने समाजवादीयों की तरह यह मानने से इंकार किया कि, इटली को निष्पक्ष रहना चाहिए. उसने *"फासीवाद दर्शन"* की बुनियाद रखी. मुसोलिनी यह जर्मनी हुकुमशहा *हिटलर* का निकटतम राजनितिज्ञ रहा था. सन १९३५ में मुसोलिनी ने, अबिसिनीया पर हमला किया. आगे जाकर उस हमले ने *"द्वितीय महायुध्द"* का रुख किया. जहाँ युरोप एक तरफ खडा था, वही दुसरे तरफ *ब्रिटिश / फ्रांस "* यह देश खडे थे. पहले तो हिटलर की जीत हुयी. परंतु बाद फासीस्ट की पराजय दिखाई देती है. इस कारणवश २५ जुलै १९४३ में, मुसोलिनी को प्रधानमंत्री पद छोडना पडा. और मुसोलिनी को हिरासत में भी लिया गया. परंतु हिटलर ने मुसोलिनी को छुडा लिया. हमें मुसोलिनी में *"आवारापण / अवसरवाद"* का मिश्रण दिखाई देता है. उसकी पहिली पत्नी *इडा डेलसर* थी. उस को छोडने के बाद *राचेल गुईडी* उसकी दुसरी पत्नी बनी. कहा जाता है कि, मुसोलिनी के पिता ने एक विधवा से शादी रची थी. और उस विधवा को पहले पती से एक लडकी थी. मुसोलिनी का उस *"सावत्र बहन"* पर दिल आ गया. और उसे अपनी पत्नी बनाया. उसके बाद इटली के सैन्य अधिकारी की पत्नी *क्लारा पेटाची* यह मुसोलिनी की प्रेयसी बनी. वैसे मुसोलिनी की बहुतसी रखैल भी थी. परंतु मुसोलिनी की प्रेयसी *क्लारा पेटाची* इसने तो, *मुसोलिनी का साथ कभी नहीं छोडा.* द्वितीय महायुध्द में हार मिलने के बाद, मुसोलिनी को स्वित्झर्लंड भगाने का प्रयास में, मिस्त्र सेना ने (२६ अप्रेल १९४५ को इटली पहुंची गयी थी) २८ अप्रेल १९४५ को, *मुसोलिनी और उसकी प्रेमिका क्लारा पेटाची उन्हे गोलीओं से भुंज दिया"* और मुसोलिनी का शव चौराह पर लटका दिया. इस तरह इटली का क्रुर हुकुमशहा, बेनिटो मुसोलिनी का दु:खद अंत हुआ.
चायना के बडा सर्वेसर्वा *माओ त्से तुंग* (माओ डेझांग) इनका नाम चीनी क्रांतीकारी / राजनैतिक विचारक / साम्यवादी (कम्युनिस्ट) दल के नेता के रुप में लिया जाता है. उन्होंने *"रिपब्लिक ऑफ चायना"* (जनवादी गणतंत्र चीन) की स्थापना १९४९ में की थी. तथा उन्होंने अपने मृत्यू तक (१९७६) चायना का नेतृत्व किया. वे मार्क्सवादी - लेनिनवादी विचारधारा से जुडे रहे और *"माओवाद सिध्दांत"* की बुनियाद रखी.*"द्वितीय महायुध्द"* में माओ की भुमिका, हिटलर के विरोधी रूप में रही थी. वे कवि / दार्शनिक / दुरदर्शी / महान प्रशासक भी रहे है. उनके जीवन में चार पत्नीया आयी है. लुओ यिशिथ (१९०७ - १९१०) / यांग काईचुड (१९२० - १९३०) / हे जिझेन (१९३० - १९३७) / जांग चिंग (१९३९ - १९७६). उन का ज्योतिष पर विश्वास था. एक बौध्द लामा ने उनका मृत्यू दिन बताया था. और कहा जाता है कि उसी दिन उनका मृत्यू हुआ. माओ को यह भी विश्वास था कि, तिब्बत में ऐसी एक घाटी है, *"जहां ४०० - ५०० साल जिवित रहा जाता है."* चायना में उस उम्र का *"एक बौध्द लामा"* (४० साल का दिखाई देता था) दिखाई दिया. परंतु बहुत सारे दमनकारी प्रयोग के बाद भी, उस लामा ने उस घाटी का रहस्य उजागर नहीं किया. अत: उसे छोड दिया गया. और उसके पिछे गुप्तचर लगायें गये. परंतु वह बौध्द लामा भारत के अरुणाचल प्रदेश के *"तवांग बौध्द मठ"* आया. सन १९६२ का *"चायना भारत युध्द"* उसी बौध्द लामा को पकडने हेतु लढा गया. परंतु वह बौध्द लामा असम की ओर जाते समय, उसका घोडा घाटी में फिसल गया. और उस बौध्द लामा की मृत्यु हुयी. चीनी सैनिको ने उस मृत लामा के शरीर को चायना ले जाने के बाद, वह युध्द *"एक तरफा"* बंद घोषित किया गया. माओ त्से तुंग के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करनेवाले *क्षी जिनपिंग* ये दिखाई देते है. और चायना में दमनकारी तंत्र आज भी जारी है.
फ्रांस के सम्राट *नेपोलियन बोनापोर्ट* (१५/०८/१७६९ से ५/०५/१८२१) इनका प्रथम - द्वितीय महायुध्द में कोई संबंध नहीं रहा. क्यौं कि, उस समय वे जिवित नहीं थे. परंतु उन्हे *"फ्रांस क्रांती के नायक"* के रुप में पहचांना जाता है. १८ मई १८०४ से ६ अप्रेल १८१४ तक, नेपोलियन के रुप में, वे फ्रांस के सम्राट रहे. वे युरोप तथा कई अन्य क्षेत्र के भी शासक रहे थे. एक ओर उन्हे, विश्व के महान सेनापती के रुप में, तो दुसरी ओर उन्हे हुकुमशहा के रुप में भी जाना जाता है. उनकी भी दो पत्नीया रही - जोसेफीन ब्युहनेस / मेरी लुईस. सन १८१२ में जब उनका रुस पर आक्रमण हुआ, रुस की थंडी, सर्दी और वातावरण से, नेपोलियन सेना को बहुत क्षती हुयी. १८ जुन १८१५ को, *"वाटरलु युध्द"* से उन का पराजय हुआ. अंग्रेज शासको ने नेपोलियन को, अन्थ महासागर के दुर *"द्विप सेंट हेलेना"* में बंदी बनाकर रखा था. और छ: वर्ष बाद वहां उनकी मृत्यू हुयी. इस प्रकार हुकुमशहा का दु:खद अंत दिखाई देता है.
*नरेंद्र मोदी* सन २०१४ से लगातार तिसरी बार, भारत के प्रधानमंत्री बने है. परंतु उनकी कार्य शैली को देखकर, रुस के राष्ट्राध्यक्ष *व्लादिमीर पुतिन* / चायना के राष्ट्राध्यक्ष *क्षी जिनपिंग* / बांगला देश की पदच्युत राष्ट्राध्यक्ष *बेगम शेख हसिना* इनकी याद आती है. वही *"विश्व शक्ती"* अमेरिका के वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष *जो बायडन* अभी कुछ दिनो के मेहमान है. २० जनवरी २०२५ को, अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष पद पर *डोनाल्ड ट्रंप* उनकी जगह लेंगे. यहाँ *"विश्व शक्ती"* बनने की बडी होड में, चायना के *क्षी जिनपिंग* भी दिखाई देते है. *"चायना की अर्थव्यवस्था"* ने अपनी स्थिती मजबुत बनायी है. वही अमेरिका उस स्थिती को सुधारने में संघर्ष कर रहा है. *भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में क्या कहे ?* कभी कभी यह डर भी लगता है कि, क्या भारत की स्थिती, *"बांगला देश / श्रीलंका"* की ओर नहीं जा रही ? भारत की राजनीति ने अपनी गरिमा खोई है. *"भारत देशभक्ती"* का कोई लवलेश ही नहीं दिखाई देता. विरोधी पक्ष नेता *राहुल गांधी* इस की वैचारिक औकात, अस्तित्व हिन देश *"हिंदुस्थानी"* दिखाई देती है. वो अभी तक *"भारतीय "* नहीं बन पाया है. अत: हमें देखना है, *"कल का भारत."*
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▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर, दिनांक २२ नवंबर २०२४
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