Monday 2 September 2024

 👌 *बुध्द अस्थीकलश यात्रा के नाम पर, महाठग - नितीन गजभिये की महाठगी !!! क्या भीमराव आंबेडकर भी इस महाठगी का हिस्सा है ?* (भदंत रेवत महाथेरो - श्रीलंका / भदंत डॉ. पलमोधम्मो पोर्न हा पिनियापोंग - थायलंड / भदंत देवमित्ता - श्रीलंका / भदंत हो नोऊ वु - व्हिएतनाम / भदंत वेलिवितिवे सुमनरत्ना थेरो / भदंत प्रियदर्शी - भारत / यह भंते वर्ग महाठग नितिन गजभिये से सावध हो)

*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


          *महाठग - नितीन गजभिये* इस की महाठगी भी, बडी ही कमाल की रही है. नितिन गजभिये ने अपने मिठे मिठे बोल से, बडे बडे मान्यवरों का ठगा है. वह यादी भी बहुत लंबी रही है. अभी अभी कुछ महिने पुर्व *"थायलंड"* में, विपश्यना नाम पर, २०० - २५० लोगों को, *नितीन गजभिये* ले गया था. और ठगी होने पर, बहुत कुछ लोग विपश्यना छोडकर, भारत वापस लौट आयें थे. यही नहीं कुछ भंते वर्ग को, नितीन गजभिये के *"गुंडो"* द्वारा मारपीट भी हुयी थी. उस समय थायलंड से, पिडित लोगों द्वारा *"मुझे सहकार्य"* मांगा गया था. यही नहीं *नितिन गजभिये* इस विभुती ने *"थायलंड आयोजकों"* से, भंते वर्ग तिकिट के लिये, *"चार लाख रुपये"* लेकरं, वह राशी भंते वर्ग को वह नहीं देने की भी चर्चा रही. यही नहीं थायलंड आयोजकों द्वारा भंते वर्ग को मिली भेट भी, *महाठग - नितीन गजभिये* हजम कर गया. *सौंसर* (म..प्र.) में ५ जुलै २०२४ को, *"बुद्ध की अस्थी धातु यात्रा"* का आयोजन किया गया था. उस कार्यक्रम को *"आवाम द्वारा तीव्र विरोध"* होने पर, नितीन गजभिये ने उस कार्यक्रमों को, *"स्थगित"* भी कर दिया था. और  अब *१० सितंबर २०२४"* को, *"बुध्द अस्थीध़ातु कलशयात्र", "पुना / व्हाया नागपुर होकर" सौंसर (म.प्र.) में जा रही है."* और इस कलश यात्रा का, *"आंबेडकरी समाज"* ने विरोध किया है. अब तो सवाल *"सामाजिक / धार्मिक वातावरण बिघाडने"* का रहा है. क्या महाराष्ट्र पोलिस / मध्य प्रदेश पोलिस, इस तरह के *"सामाजिक सौहार्द बिघाडनेवाले"* (?) कार्यक्रम को रोक लगायेंगी ? यह भी अहं प्रश्न है. साथ ही *महाठग - नितीन गजभिये* इस ठग पर, *"धोकादारी, सामाजिक वातावरण बिघडाने, लोगो के भावना से खेलने"* आदी अंतर्गत गुन्हा दाखल होगा ? यह भी प्रश्न है.

          श्रीलंका से ९ सितंबर २०२४ को भारत आने वाला *"अस्थिकलश,"*  क्या *"भगवान बुद्ध की अस्थीधातु कलश"* है ? यह बडा प्रश्न है. क्यौं कि, *"श्रीलंका आर्किओलॉजी विभाग"* के पत्र में, *"बुध्द अस्थीधातु"* होने का, कही भी जिक्र नहीं है. केवल *"अस्थीधातु कलश"* होने का जिक्र है. और वह कलश भारत ले जाने की, अत: अनुमती दी गयी है. दुसरा प्रश्न यह कि, अगर वह *"बुध्द की अस्थीधातु"* रही हो तो, वह *"अस्थी धातु कहां से प्राप्त"* की गयी है ?  *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* इनके कालखंड में, *"८४००० हजार स्तुपों"* का निर्माण किया गया. और वहां *"बुद्ध अस्थिधातु"* रखी गयी थी. अत: यह प्रमाण देना बहुत ही जरुरी है. श्रीलंका के *"कैंडी शहर"* में, *"बुध्द धातु"* को स्मारक में रखा गया है. वह बाहर ले जाने की अनुमती नहीं है. श्रीलंका सरकार के *"सांस्कृतिक मंत्रालय"* ने, मुझे (डॉ जीवने) अक्तुबर/ नवंबर २०१४ को, *"बौध्द परिषद "* के लिये, *"बौध्द भिक्खु विश्वविद्यालय"* अनुराधापुर निमंत्रित किया था. तब श्रीलंका सरकारने VVIP समान व्यवस्था की थी. और मैने श्रीलंका में बहुत से जगह भेट दी थी. *"कैंडी के बुध्द अस्थी धातु स्थल"* पर भी ! *म्यानमार* इस देश में भी, *"बुद्ध अस्थीधातु "* को, वहां कें मंदिर में रखा गया है. उस अस्थीधातु को भी, बाहर ले जाने की अनुमती नहीं है. और *"बुद्ध अस्थीधातु"* को *"रथयात्रा से घुमाना"* तो, प्रदर्शन करने जैसी कृती है. और यहां नेता राजनीति दिखाई पडती है. इस कृती का समर्थन नहीं किया जा सकता. अगर किसी औचित्य क्षण में, *"किसी विशेष जगह रखा हो"* तो, (सभी औचित्यता पुर्ण करं) वह विशेष ऐसा विषय है.

        *महाठग - नितिन गजभिये* इस विभुती की महाठगी, यही सिमित ना होकर, उसने तो *"सारीपुत्र - मोग्यल्यायन / पु. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर इनकी अस्थीधातु"* की भी, उसी समय *"कलशयात्रा"* पुना शहर (सौंसर म.प्र. तक) से, *१० सितंबर २०२५* को, निकाला जाने का कार्यक्रम घोषित किया है. *"सारीपुत्र / मोगल्यायन"* इनकी अस्थीधातु, *"महाबोधी सासायटी ऑफ श्रीलंका "* इनके पास सुरक्षीत रखी है. *भदंत बनागल उपतिस्स नायका महाथेरो"* यह मान्यवर भंते जी, उस संस्था के अध्यक्ष है. भारत वह अस्थिया *"सांची स्तुप"* प्रबंधन के पास, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री *प. जवाहरलाल नेहरू* इनके माध्यम सें, इंग्लंड से भारत लायी गयी थी. और वह *सांची* (सांची से ही इंग्लंड ले गयी थी) में सुरक्षीत रखी है. और श्रीलंका में महाबोधी सोसायटी के पास सुरक्षित है. सांची में हर साल *नवंबर माह का आखरी रविवार"* को, जन मन के अभिवादन हेतु बाहर निकाली जाती है. *मुझे स्वयं"* भी उस अवसर पर, सहभागी रहने का अवसर मिला है. और उस पावन अवसर पर *"महाबोधी सोसायटी ऑफ श्रीलंका"* के अध्यक्ष *भदंत बनागल उपतिस्स नायका महाथेरो* इन्हे, मेरी संघटन *"अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन "* द्वारा *"शाक्यमुनी बुध्द आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार "* से सन्मानित किया था. तब *चंद्रबोधी पाटील / शंकरराव ढेंगरे* ये मेरे साथ ही थे. वह क्षण मेरे लिये बहुत ही स्मरणीय है. महाठग - *नितीन गजभिये* को, वह पावन अस्थिया मिलना,  उसके *"औकात के बाहर"* का विषय है. अत: महाठग नितिन गजभिये यहां भी ठगी कर गया है.

       प. पु. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर इनकी *"अस्थीधातु"* भी, *"दीक्षाभूमी / चिंचोली / चैत्यभूमी"* इस जगह सुरक्षित रखी गयी है. और बाबासाहेब के कुछ खास मान्यवरों के पास भी सुरक्षीत है. और वह पावन अस्थीधातु *महाठग - नितीन गजभिये* इनको हवाले करने की, कोई भी व्यक्ती जोखिम नहीं लेगा. क्यौं कि, महाठग नितिन गजभिये इसने *"बहुत से लोगों का ठगा"* है. सिहोरा (कन्हान) इस गाव की, *"बहुत से किसानों की जमिन,"* महाठग नितिन गजभिये इसने *"Power of Attorney "* लेकरं / उस पर *"एक हजार के आसपास"* प्लॉट गिराकर, *"पाच - सात लाख रुपये"* प्रति प्लॉट बेचा है. महाठग नितिन गजभिये इसने, *"ना ही शेतजमीन मालिकों को, जमिन का मोबदला दिया है"* ना ही जिसने वह प्लॉट खरेदी किये है, *"उनको प्लॉट की रजीस्टी कराकर दी है."* वह प्लॉट का *"घपला ३०० - ४०० करोड रूपयों"* है. उसकी उस कंपनी का नाम *"शिवली बोधी इन्फ्रास्ट्रक्चरर प्रा. लि."* है. वही उसकी एन.जी.ओ. - *"अहिल्याबाई होळकर बहुद्देशीय संस्था"* इस माध्यम से, महाठग नितिन गजभिये की कंपनी की *"कुछ जमिन ट्रान्स्फर"* कर, *"महाराष्ट्र शासन"* के मुद्रांक शुल्क विभाग को, *"१४ लाख ९० हजार रुपयों"* की चपत दी है. उस प्रकरण भी चौकशी सुरु है. वही ट्रान्स्फर की गयी जमिन पर,  *"बुध्द इंटरनैशनल स्कुल"* बतायी है. परंतु वह शुरु ही नहीं की गयी. और उसी जमिन पर, महाराष्ट्र शासन से *"२ करोड राशी"* यह *"विपश्यना केंद्र"* खोलने के लिये ली है. इसकी भी शासन की जांच चल रही है. इतना ही नहीं, महाराष्ट्र शासन के *"सामाजिक न्याय विभाग"* से, और *"चार करोड रुपये का प्रस्ताव"* सादर किया है. इस सभी प्रकरण की शासन जांच चल रही है. यह इतिहास है *"महाठग - नितीन गजभिये"* इस *"मि. नटवरलाल“* का ! यह सभी शिकायतें मेरी संघटन *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* इस के पास, संपुर्ण प्रमाण के साथ आयी है.

         *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया"* तथा सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल / अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन इनके संयुक्त तत्वाधान में, अक्तुबर २०१५ को *"जागतिक बौद्ध परिषद / जागतिक बौद्ध महिला परिषद"* का आयोजन किया गया था. *"मैने स्वयं उसका प्लॅॉन"* तयार किया था. *"जागतिक बौद्ध परिषद"* का उदघाटन श्रीलंका देश के राष्ट्राध्यक्ष *मां. मैत्रीपाला सिरीसेना* इनके हाथो होना था. साथ ही मेरी संंघटन *"जीवक वेल्फेअर सोसायटी"* इस के द्वारा, मां. मैत्रीपाला सिरीसेना इन्हे *"डॉ आंबेडकर आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार "* से सन्मानित होना था. परंतु भारत सरकार ने, दीक्षाभूमी *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* समारोह के कारण, *"पोलिस सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थता"* जताई. और श्रीलंका सरकार के राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना इनका, घोषित कार्यक्रम रद्द किया. अखिर उस परिषद का उदघाटन मेरे मित्र / डॉ आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के कुलगुरू *डॉ आर. एस. कुरील* इनके हाथों किया. वही *"जागतिक बौद्ध महिला परिषद"* के उदघाटन, थायलंड की राजकुमारी *मॉम ल्युआंग राजदरबारी जयांकुरा* इनके हाथों होना था. वह नागपुर भी आयी. परंतु *महाठग नितिन गजभिये* इसने कार्यक्रम में उसे ना लाने से, जर्मनी की मेरी मित्र - *मिस. उर्सुला गोईटिंगर* इनके हाथो उदघाटन पार किया. और दोनो भी आंतरराष्ट्रीय परिषदों को सफल बनाया. १४ अक्तुबर २०१५ को श्रीलंका के उद्दोगपति  / *कपिलवस्तु बुध्द अस्थीधातु* के कस्टोडियन *बडुला विराट वर्दने* तथा कुछ मान्यवर भंते इनका *"बुध्द अस्थीधातु"* के साथ, *"नागपुर एयर पोर्ट"* पर आगमन हुआ. स्वागत केंद्रीय मंत्री *राजकुमार बडोले / खासदार रामदास आठवले / चंद्रबोधी पाटील / माजी मंत्री एड. सुलेखा कुंभारे / डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य' / शंकरराव ढेंगरे* इन्होने किया. हजारो की संख्या में जन सैलाब, एयर पोर्ट पर उपस्थित हुआ था. *"अस्थिधातु रथ"* बनाने के लिये, *"रू. ४०,०००/- महाठग - नितिन गजभिये"* को मैने दिये थे. और महाठग - नितिन गजभिये के मांगने पर ही, *शंकरराव ढेंगरे* इनके माध्यम से और *"चार लाख रुपये"* मैने नितीन गजभिये को दिये. परंतु *महाठग नितिन गजभिये* इसने, मुझे वह राशी कभी नहीं लौटाई. बुध्द अस्थिधातु यह *"बेझनबाग मैदान"* पर रखना तय हुआ था. परंतु *महाठग - नितिन गजभिये* इसका बनिया दिमाग, यहां भी दिखाई दिया. और *महाठग - नितिन गजभिये* इसने *"बुध्द अस्थीधातु"* को घुमाने का प्लॅॉन कराकर, *दानपेटी* रखकर *"लाखो रुपये हजम"* किया. मैं यह सभी करने के पक्षधर कभी नहीं रहा. और मेरी मिशन से *महाठग - नितिन गजभिये* को हटा दिया. मुझे शुध्द, इमानदार, निष्ठाधारी, नैतिकता वादी एवं सत्यवादी मिशनरी अभिप्रेत रहे है.

          *"चंद्रबोधी पाटील / शंकरराव ढेंगरे और मेरी"* जब भी मिटिंग हुआ करती थी, तब मैं *महाठग - नितीन गजभिये* इसे अपने साथ जोडनै को, कभी पक्षधर नहीं रहा. *नितीन गजभिये* का गुरु *चंद्रबोधी पाटील* ही है. मेरे घर पर ही, हर हप्ते ३० - ४० कार्यकर्ता वर्ग की, *"कार्यक्रम सफल बनाने,"* मिटिंग हुआ करती थी. परंतु चंद्रबोधी पाटील इनके आग्रह के खातीर ही, *"मैं महाठग नितिन गजभिये को साथ जोडने को तैयार"* हुआ. मेरी आँखें अकसर बहुत कम धोका खाती है. *"पर कभी कभी बहुत विश्वासु भी, बडा धोका कर जाते है."* मुझे संतोष है कि, *चंद्रबोधी पाटील* मेरे इस कथन को, समझ गये होगे. क्यौं कि, महाठग - नितीन गजभिये ने *"गुरू को ही बडी पटकनी दे डाली / वो बडा धोका कर गया.* फिर *महाठग - नितिन गजभिये* इसने , सिने अभिनेता *गगन मलिक* इसके साथ जुडकर, *"विदेशी बुध्द मुर्ती की तस्करी"* शुरु की. सिने अभिनेता *गगन मलिक* इन्हे नागपुर में पहिली बार, *"मेरी कार"* से ही एयर पोर्ट से लाया था. *"गगन मलिक को समाज से रुबरु"* किया था. गगन मलिक *"मेरे घर"* भी आया. तब बहुत से महिला वर्ग ने, गगन मलिक का स्वागत किया. हम सभी ने *"मेरे घर साथ भोजन का आनंद"* भी लिया. इसके बाद *गगन मलिक* को मैने, *नितीन गजभिये* से सावध रहने को कहा. परंतु *गगन मलिक* के आंखो पर, *नितीन गजभिये* का चष्मा लगा हुआ था. जब *महाठग - नितिन गजभिये* को गगन मलिक ये समझ गया, तब तक *"चिडिया उड गयी खेत"* हो गया था. *महाठग - नितिन गजभिये* इसने, "विदेशी बुद्ध मुर्ती वाटप" में *"लाखों की हेराफेरी "* की थी. बहुत से लोगों से *"आगावु पैसे"* लेकरं, उन्हे *बुद्ध मुर्ती नहीं दी गयी.* यह बहुत शिकायते भी, मेरे पास आ रही है. अत: विदेशी बौध्द भिक्खु / भारतीय बौद्ध भिक्खु / समाज परिवार, आप सभी वर्ग को आगाह किया जाता है कि, *"क्या महाठग - नितीन गजभिये इस के, मकड़ी जाल में फसें यां बचें !"* यह निर्णय आप का है.


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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

नागपुर, दिनांक २ सितंबर २०२४

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