Tuesday 22 February 2022

 🎞️ *ABP News चैनल की रूबिका लियाकत का हुंकार में मुजोर संचालन !*

    *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

मो.न. ९३७०९८४१३८ / ९२२५२२६९२२


    दिनांक २१ फरवरी २०२२. शाम ५.३० बजे *ए.बी.पी.‌ न्युज चैनल* पर, देश का ताजा समाचार देखने लगा. वहां "हुंकार" इस कार्यक्रम में,  *मिस रुबिका लियाकत* संचालन करते हुये, मुझे नज़र आयी. और *विक्रम सिंह* (पुर्व डी.आय.जी. उत्तर प्रदेश), *नुपुर शर्मा* (प्रवक्ता भाजपा), *अभय दुबे* (प्रवक्ता, कांग्रेस), *डॉ. एम.एच. खान* (प्रवक्ता, बसपा), *विजय शंकर तिवारी* (विश्व हिंदु परिषद), *डॉ. सी. पी.‌ रॉय* (राजनीतिक विश्लेशक) यह लोक चर्चा में सहभागी थे.*"देश का आतंकवाद"* विषय पर, चर्चा हो रह थी. दस मिनिट तक, वह चर्चा सुनते रहा. वक्ताओं की चर्चा तथा *रुबिका लियाकत* का वैचारिकता अभाव / मुहफ़ट भाव / मुजोर संचालन देखकर, मैने फिर *"NDTV चैनल"* से न्युज देखने लगा. और वहां सनसनी न्युज दिखाई दी. उज्जैन के एक हिंदु मंदिर मे़, संघवाद के सेनापती *डॉ. मोहन भागवत* पुजा के लिए आने के कारण, सुबह ५.०० बजे से लाईन में खडे रहे लोगों को, दर्शन करने से रोका गया‌ था. और वहां खडे लोगों में, फिर बडा आक्रोश दिखाई दिया. *"क्या पुलिसी सिक्युरिटी नेताओं के कारण, साधारण लोगों को पुजा से वंचित करे...?"* इस तरह के प्रश्न भी, लोक पुछते नज़र आये.

    ए.बी.की. की मुहफ़ट अनाउंसर *रुबिका लियाकत,* भारत के संदर्भ में *"हिंदुस्तान"* कहते हुये, चर्चा में नज़र आयी. *"भारत का संविधान"* के अनुच्छेद १ में, स्पष्ट तौर पर लिखा है कि, *"India, that is Bharat, shall be a Union of States."*  और ए.बी.पी. न्युज की *रबिका लियाकत* ने देश का नाम, अ-संवैधानिक रूप में लिया है...! *और जीसे अपना देश का, संविधानिक नाम मालुम ना हो, वो अनुउंसर देश के विकास पर, चर्चा का आयोजन कर रही है.* हमे शर्म आती है, ऐसे लोगों पर, जो देश की तोहिम करते है. उन्हे *"गद्दार"* कहना होगा. *"राष्ट्रविरोधी"* कहना होगा.‌ रही बात *"हिंदु + स्तान"* इस शब्द के प्रयोग का ...! *"हिंदु"* ये दो अक्षरी शब्द नही है. तिन अक्षरी शब्द है. अर्थात हिनदु > हिन + दु > हिन = निच, दु = प्रजा / लोक > हिनदु = हिंदु = *"निच लोक."* हिंदुस्तान = *"निच लोकों का देश."* अर्थात इस शब्द का प्रयोग कर, पुन्हा भारत देश की तोहिम. क्या रुबिका को, इस शब्द प्रयोग के लिए, माफ करना चाहिये...? सदर चर्चा हो या अन्य कई अन्य चर्चाओं मे, रुबिका का स्वभाव चरित्र, मुझे मुहफट ही दिखाई दिया. पता नही, ए.बी.पी.‌चैनल द्वारा उसके संचालन में, क्या मेरिट नज़र आया?

     अब हम *"आतंकवाद एवं भारत की सत्तावादी राजनीति, "* इस विषय पर चर्चा करेंगे.‌ आतंकवाद यह भारत में, दो तरह का हमे दिखाई देता है. एक आतंकवाद है - *"अंतर्गत"* (देश के अंदर का) आतंकवाद, और दुसरा है - *"बाह्यगत"* (विदेशी शक्ती का) आतंकवाद. अंतर्गत आतंकवाद भी, दो प्रकार के है. एक *"सत्तावादी आतंकवाद"* और दुसरा *"रुढीवादी आतंकवाद."* मुझे चैनल की वह चर्चा, किस आतंकवाद की है ? यह समज से परे थी. वही सत्तावादी दल हो या, विरोधी राजनीतिक दल हो, वे चुनावी आखाडें में, किस आतंकवाद पर बोल रहे है ? यह भी समज से परे, दिखाई देता है. क्यौ कि, भारत में *"सत्ता पाने की लढाई"* हो या, *"सत्ता संभालने की लढाई"* हो, वे सभी के सभी राजकिय दल के लोक, *"आतंकवादी सरदार"* ही तो है. कौनसी देशभक्ती, देश विकास, समाज विकास की, उन नंगों से आशा करे... ? मोहनदास गांधी ने *"हाऊस को वेश्यालय"* ही कहा था ? क्यौ ? फिर हाऊस में बैठनेवाले लोग, वे कौन लोग होंगे ? यह क्या बताना होगा. क्यौ कि, *"नैतिकता का बलात्कार,"* उन नेताओं से हमेशा होता रहा है. अर्थात *"आतंकवाद पर खुली चर्चा,"* ये केवल एक ढकोसला है. *"विश्व हिंदु परिषद"* का प्रवक्ता भी, वहा हमें नज़र आया.‌ *"धार्मिक आतंकवाद"* यह, रुढीवादी आतंकवाद का दुसरा रूप ही है. और ऐसे बिन- अकल नेता लोगों से चर्चा कर, ये *"मिडिया चैनल"* हमे क्या बताना चाहती है...? जताना चाहती है ? यह प्रश्न आप सभी के लिए...!!!


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