Wednesday 28 September 2022

 *नागपुर की आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद : उभरा हुआ कडा विवाद....?*

     *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर

     अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६

      मो.न.‌ ९३७०९८४१३८


*प्रिय पुरणचंद्र मेश्राम,*

आप या गनन मलिक टीम, बुध्द धम्म को कितना समझे है, यह तो मुझे पता नही. परंतु बुध्द कहते है...

*सहस्समपि चे वाचा अनत्थ अनत्थपदसंहिता |*

*एक अत्थपदं सेय्यो यं सुत्वा उपसम्मति ||*

(अर्थात - मनुष्य बहोत से ग्रंथ का वाचन कर सकता है. परंतु वह उसे समझा ही नही गया तो, वह वाचन निष्प्रयोजन है. व्यर्थ विषयों के हजार श्लोक पढने के बदले, केवल एक ही श्लोक वह समझ गया है, उमग गया है, उस नुसार आचरण करता हो तो, उसे मोक्ष मार्ग कहना चाहिये.)

   क्या गगन मलिक, स्वयं अपने आप को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर साहेब का असली मिशन वारिस समझ रहा है ? यह अहं प्रश्न सामने आ रहा है. क्या गगन मलिक वह पात्रता रखता है ? मुझे *अनाथपिंडिक* द्वारा "जेतवन बुध्द विहार" दान देने पर, एक ब्राम्हण ने बुध्द से पुछा, आप के संघ का सेनापती कौन‌ है ? इस पर बुध्द कहते है....

*मया पवत्तितं चक्कं धम्मचक्कं अनुत्तरं |*

*सारिपुत्तो अनुवत्तेति अनजातो  तथागतं ||*

(अर्थात - मैने प्रस्थापीत किया हुआ कार्य सारिपुत्त चला रहा है. तथागत इनके पिछे पिछे आनेवाला वह शिष्य है.)

    पुरणचंद्र, आयोजित बौध्द परिषद होने के पहले, मेरे द्वारा लिखे गये या उठाये गये सभी प्रश्नों का, स्पष्ट ऊप से उत्तर दे. या उस का खंडन करे. क्या *गगन मलिक* में या उसका व्यापार सहपाठी *महाठग - नितिन गजभिये* ये महानुभाव (?) धम्म के सही सारथी होने के बुध्द गुण है ? इस का भी उत्तर दे.


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