Tuesday 27 September 2022

 👌 *नागपुर में ४ अक्तूबर को आयोजित आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद - चाटुगिरी या धम्म समर्पण...?*

   *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद नागपुर २००६ 

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* मो.न.‌ ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


   *"गगन मलिक फाऊंडेशन"* इस स्व-नाम फेम संघटन के अध्यक्ष *गगन मलिक* (वैसे गगन मलिक भी मेरा मित्र है) द्वारा, रा. तु. म. नागपुर विद्यापीठ के भुतपुर्व कुलसचिव एवं मेरे अच्छे मित्र *डॉ. पुरणचंद्र मेश्राम* इनको साथ में जोडकर, धम्मचक्र प्रवर्तन दिन के पुर्व संध्या पर ४ अक्तूबर २०२२ को, *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद"* का आयोजन किया है. सदर बौध्द परिषद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री *एकनाथ शिंदे* / उपमुख्यमंत्री *देवेंद्र फडणवीस* / केंद्रिय मंत्री एवं भाजपा नेता *नितिन गडकरी* / रिपब्लीकन नेता *प्रा. जोगेंद्र कवाडे, एड. सुलेखा कुंभारे* / कांग्रेसी नेता *विजय दर्डा, नाना पटोले* / भाजपा प्रदेश अध्यक्ष *चंद्रशेखर बावनकुले* यह राजनीतिक नेता (धार्मिक???) सदर परिषद में *"प्रमुख अतिथी"* के तौर पर, वहां हमखास शिरकत करनेवाले थे. परंतु बौध्द आक्रोश‌ को देखकर, आयोजकों ने, गिरगिट की तरह अपना रंग बदलकर सदर बौध्द परिषद को *"एकडेमिक परिषद"* के रूप मे, बाद में पेश किया. क्या कोई भी *"धर्म परिषद,"* यह क्या एकडेमिक संदर्भित होती है ??? और रा. तु. म.‌ नागपुर विद्यापीठ के उपकुलपती *डाॅ. सुभाष चौधरी* यह अबौध्द महानुभाव *"अध्यक्षता"* करनेवाले है. अब सवाल यह की, *डॉ. सुभाष चौधरी* इनकी धार्मिक विचारविद की पात्रता है क्या ? यह महत्वपुर्ण पद लेने के पुर्व, *डॉ. चौधरी इस अबौध्द ने अपनी पात्रता देखना* भी बहुत जरुरी था. ऐसे लग रहा है कि, एक गधे को उस खुटी पर बांध दिया है. अब हम इसे *"समर्पित सच्ची बौध्द धम्म आंतरराष्ट्रिय परिषद"* कहे या, *"आयोजन चाटुगिरी का राजनीतिक आखाडा"* कहे, यह विचार (?) आप प्रज्ञावान विचारवादी ही समझो तो बेहतर होगा...!

     हमारे मित्र *डॉ. पुरणचंद्र मेश्राम* इन्होने सदर आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद को, नागपुर विद्यापीठ के *"बौध्द अध्ययन विभाग"* से जोडते हुये, उस परिषद को *"एकडेमिक का स्वरुप"* तो दिया है, परंतु उस परिषद का प्रमुख आयोजन, *क्या नागपुर विद्यापीठ ने किया है ?* यह महत्वपुर्ण प्रश्न है. नागपुर विद्यापीठ के *"किस सभा मे, यह परिषद लेने का ठराव पारित"* किया है ? या नागपुर विद्यापीठ ने इस परिषद के लिए, *"कितने लाख रुपये आवंटीत"* किये है ? जब नागपुर विद्यापीठ इस परिषद का प्रमुख आयोजक ही नही है तो, *"उपकुलपती डॉ. सुभाष चौधरी इन्हे परिषद की अध्यक्षता देना, यह प्रोटोकाल बताना, यह झुट बोलने की पुरी हद पार देती है."* और बौध्द धम्म यह सत्य बोलने की शिक्षा देता है. यहां तो सभी झुट ही झुट है. तो फिर यह धम्म परिषद कैसी ??? दुसरा विषय - सदर परिषद का आयोजन *"कविवर्य सुरेश भट सभागृह"* इस नागपुर के सर्वोत्तम ऐसे वातानुकुलित / तथा *२००० लोगों की सुविधाजनक सभागृह* में, आयोजित करने की घोषणा की गयी थी. परंतु आयोजकों को *दो हजार लोगों* को लाना, यह असंभव देखकर *"बारिश / असुविधा"* होने का झुटा बहाना देकर, अब *"केवल ३०० - ४०० लोगों की व्यवस्था"* होनेवाले *"होटल सेंटर पाईंट"* में, इस परिषद का आयोजन किया गया है. कितना झुट आयोजकों द्वारा...??? और वह *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद"* का आयोजन ...!!!

    हमारे अच्छे मित्र एवं आयोजक *गगन मलिक / डॉ. पुरण मेश्राम* इन्होने प्रसिध्दी का अब नया फंडा खोला है. *डोंगरगड* (छत्तीसगढ़) मे गगन मलिक फाऊंडेशन की सयुंक्त तत्वाधान में, ६ अक्तुंबर २०२२ को *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद"* होने की न्युज बताकर, *आर्या नागार्जुन भदंत सुरई ससाई* यह सिरकत करने की पोष्ट डाली है. क्या वे आयोजक अपनी तुलना, भंतेजी से करना चाहते है ? अब यह विषय तो, *भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई जी को भी सोचने की बहुत जरुरत* है...! हम क्या कहे ? और डोंगरगड की वह आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद कम और *"बौध्द मेला"* जादा दिखाई देती है. क्यौं कि, डोंगरगड के उस कार्यक्रम मे, *"मै स्वयं प्रमुख अतिथी के रुप में"* जा चुका हुं.

    गगन मलिक फाऊंडेशन द्वारा, विदेशों से मुफ्त में आनेवाली *"मेटल (धातु) की बुध्द मुर्तीया,"*  भारत में *महाठग - नितिन गजभिये* (दलाल) इनके माध्यम से बेचने का, जो अवैध व्यापार सुरू किया है ? क्या वह भारतीय बौध्दों की गरिमा गिराने का कृत्य नही है ? मेटल के बुध्द मुर्ती की किंमत भी तय है. बुध्द मुर्ती एक से देड फिट ३००० - ५०००/- बुध्द मुर्ती तिन फिट २५,००० - ३०,०००/- बुध्द मुर्ती छ: फिट ५०,००० - ६०,०००/- और दस फिट की बुध्द मुर्ती ८०,००० - ९०,०००/- और यह मेटल की बुध्द मुर्ती बेचनेवाला अवैध व्यापारी, प्रमुख नटवरलाल उर्फ फिल्मी नाचा है - *गगन मलिक.* और इस में अन्य सहभागी लोगों की, कितनी भागिदारी है,  यह संशोधन का विषय है. और वह अवैध व्यापारी थोडी बहुत *"प्लैस्टर ऑफ पेरिस की बुध्द मुर्ती"* (मेटल की नही) मुफ्त में कुछ लोगों को बांटकर, मिडिया में बहुत वाहवा और प्रसिध्दी कर रहे है. *"यह दुनिया झुकती है, केवल झुकानेवाला चाहिये."* अब सवाल यह है कि, वह *"काला धन सफेद करने का, यह कोई षडयंत्र तो नही है...!"*

    अंत में ४ अक्तूबर २०२२ को, नागपुर के *"होटल सेंटर पाईंट"* की *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद"* यह निर्विज्ञ रुप से सफल होगी ? बुध्द परिषद के खुटी का गधा, *डॉ. सुभाष चौधरी* महानुभाव, उस परिषद में शिरकत करेगा ? क्या हमारा *भिक्खु संघ एवं सामाजिक - धार्मिक कृतीशील मान्यवर*, उस परिषद को विफल करेंगे ? क्या आयोजकों की, अब *प्रज्ञा जागकर* उस परिषद को आगे बढाकर, उचित ढंग से परिषद का आयोजन करेंगे ? इन सभी प्रश्नों के घेरों में, हम उस बौध्द परिषद को देख रहे है.


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