Sunday 10 April 2022

 ✍️ *गगन मलिक - धम्म प्रचारक कम फिल्मी नाचा जादा एवं महाठग - नितिन गजभिये से व्यापार ठगी दोस्ताना...!*

  *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

मो. न. ९३७०९८४१३८ / ९२२५२२६९२२


   फिल्मी हिरो - *गगन मलिक* का नागपुर दीक्षाभूमी का, ७ अप्रेल २०२२ को *"धम्म देसना"* पर दिये गये उदबोधन मे कहा कि, *"आप लोगों का साथ रहा तो, मै भारत को बौध्दमय करूंगा...!"* यह सुनकर मै तो दंग ही रह गया. क्या गगन मलिक स्वयं अपने आप को, *प. पु. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समज तो नही रहा है ?* गगन ने श्रीलंका मे *"गौतम बुध्द"* पर बनी मुव्ही में, तथागत बुध्द का किरदार निभाया था. क्या गगन स्वयं अपने आप को, *"प्रति बुध्द भी समज रहा है ?"* हमारे वरिष्ठ रहे नामांकित ऐसे भिक्खु गण, जैसे कि - *भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई जी / स्मृतिशेष भदंत आनंद कौशल्यायन / स्मृतिशेष भदंत शासन रश्मी (सारनाथ)/ स्मृतिशेष भदंत डॉ. एस.‌ मेंघकर / स्मृतिशेष भदंत सदानंद महाथेरो / भदंत बनागल उपतिस्स नायका महाथेरो (श्रीलंका) / भदंत संघसेन (लद्दाख) /भदंत खेमधम्मो* तथा बाबासाहेब आंबेडकर के धम्मदीक्षा मे उपस्थित पांच भिक्खु में से एक *"स्मृतिशेष भदंत प्रज्ञानंद (लखनौ)* और ऐसे कितने सारे नाम है, जिन्होने कभी भी *"भारत बौध्दमय करने की"* ऐसे बडी बडी बातें, कभी नही की. मैं स्वयं उन सभी मान्यवर भंतेजी से जुडा हुआ हुं.‌ और अभी अभी धम्म मे प्रवेश किया हुआ फिल्मी हिरो - *गगन मलिक*, जिस ने धम्म का ना तो पुरा प्रशिक्षण भी किया है, ना ही पुरा धम्म को समझा है, वों इतनी बडी बडी बातें, वह भी नागपुर के दीक्षाभूमी के, *"सांस्कृतिक सभागृह"* में कह रहा था, और वहां बैठे हमारे कुछ प्रेक्षक, बडी टाली बजा रहे थे. क्यौ कि, हमारे माननिय वरिष्ठ सभी भिक्खु गण यह अच्छी तरह जानते है / थे कि, *"भारत को बौध्दमय करना"* यह इतना सहज ऐसा मिशन नही है. ना उसे अमल में लाना, उनके बस का काम है.‌ परंतु *गगन मलिक* यह सब कुछ कह गया है. और हम केवल ताली बजाते रह गये...!!!

     दीक्षाभूमी के पावन जगह से फिल्मी हिरो - गगन मलिक, *"वो ८४,००० हजार बुध्द की मुर्तीया"* बांटने की बातें भी कह गया. *"वह मुर्ती मोफत या कैसे ?"* यह प्रश्न अंधेरे में लटका कर रखा. पहले लग रहा कि, गगन अपने पैसों से ही वो मुर्ती बाटेंगा. फिर वह कह गया कि, *"थायलंड के कुछ दानदाता तथा थायलंड सरकार भी मदत करेगी. और वह बुध्द मुर्ती भारत लाने के लिए, विमान भी उपलब्ध करायेगी."* और सभागृह में बैठे कुछ प्रेक्षक वर्ग, यह भाषण सुनकर टाली बजा रहे थे. यहां हमे दों बातें समझना बहुत ही जरुरी है.‌ थायलंड से वे सभी बुध्द मुर्तीयां भारत लानेपर, *"ट्रांसपोर्ट खर्च"* कितना आता है. वह खर्चा कौण वहन करता है ? फिल्मी हिरो - गगन मलिक / महाठग - नितिन गजभिये इन्होने *"कस्टम ड्युटी / जी.एस.टी."* की भी बडी बातें की है.‌ *"डोनेशन मुर्तीयां / नॉट फॉर सेल"* इन सभी वस्तुओं पर, *"कस्टम ड्युटी"* लगती है क्या ? या सरकार से माफी मिल सकती है ? यह अलग विषय है. क्रिकेट खिलाड़ी *सचिन तेंडुलकर* को विदेशी कार भेंट मिली थी. तब भारत सरकार ने, उसे *"कस्टम ड्युटी माफी देने की न्युज,"* मिडिया में जोर शोर से छपी भी थी.‌ अब वो विषय की चर्चा फिर कभी....! फिर थायलंड के उन दानदाताओं से चर्चा कर, *"वह मुर्तीयां भारत में ही क्यौं ना बनायी जाएं ?"* इससे कस्टम ड्युटी / विदेशों का ट्रांसपोर्ट खर्च भी बच जाएगा. और वे थायलंड के दानदाता, सिधे भारत के मुर्ती उत्पादकों को, वे पैसा अदा करेंगे...! *"कम पैशों में बम मुर्तीयां...!!!"*

     फिल्मी हिरो - गगन मलिक / महाठग - नितिन‌ गजभिये एवं जुडी समस्त टिम की *"अंदरूनी धंदे का यह विषय है."* इसलिये उपरोक्त पैरा का मायना है. *"जो समझ गया, वो खिलाडी है. जो ना समझे, वो अनाडी है...!"* अब हम दुसरे विषय पर चर्चा करेंगे. *"क्या गगन मलिक द्वारा ८४,००० हजार बुध्द मुर्तीयां बाटनें से, सारा भारत यह बौध्दमय होगा ?"* सबसे बडा संशोधन का यह गहण विषय है. गगन को ३ फुट की बुध्द मुर्ती रु. ४०,०००/- देना होगा. ६ फुट की बुध्द मुर्ती रु. ७०,०००/- देना होगा. ९ फीट की बुध्द मुर्ती रु १ लाख देना होगा.‌ *इन सभी बुध्द मुर्ती का मुख्य वितरक एजेंट बना है, महाठग - नितिन‌ गजभिये.* महाठग - नितिन गजभिये के संदर्भ में, गगन मलिक को बहुत सारे अच्छे लोगों ने, उसके महाठगी की बातें कही है. फिर भी गगन मलिक ने, उन सारे अच्छे लोगों के बातों कों, दर किनारा कर दिया.‌ *"क्यौ...?"* यह एक बडा प्रश्न है.‌ महाठग - नितिन‌ गजभिये इसने सिहोरा गाव के प्लॉट के धंदे में, "शिवली बोधी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.‌ लि. के नाम पर, *"लोगों को ५० - ६० करोड की हेराफेरी"* की है.‌ महाराष्ट्र शासन के *"मुद्रांक विभाग"* को " पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर बहुद्देशीय शिक्षण संस्था" के माध्यम से, *"रु. १४ लाख ९० लाख"* का चुना लगाया है. *"सामाजिक न्याय विभाग"* को, उसी अहिल्याबाई होळकर संस्था के नाम पर, *"रु‌. दो करोड"* की धोकादारी की है.‌ सदर बदनाम संस्था का सर्वेसर्वा *महाठग - नितिन‌ गजभिये* है. और फिल्मी हिरो - *गगन मलिक* उस संस्था का एकमेव *"उपाध्यक्ष"* बना है. इस बडी धोकादारी पर, *"महाराष्ट्र शासन की ओर से चौकशी चल रही है...!"* और अभी अभी महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री *धनंजय मुंडे* इनके माध्यम से, *"रु. १० करोड"* मंजुर होने का विषय बडा चर्चा में है. *"बुध्द मुर्ती का घोटाला"* कितने लाख का है ? वह विषय वहां जोडा नही गया है. और जल्द ही वह जानकारी भी प्राप्त होने के आसार है...! *"फिर संबधीत विभागों‌ को, कानुनी नोटीस भेजकर मा.‌‌ उच्च न्यायालय में‌, एक याचिका दायर करने का विचार है."*

     महाठग - नितिन‌ गजभिये /  फिल्मी नाचा - गगन मलिक इनकी बदनाम संस्था *"पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर बहुद्देशीय शिक्षण संस्था"* की बदनामी बहुत होने से, तथा शासन द्वारा चौकशी होने से, *"गगन मलिक फाऊंडेशन"* नाम का, और नया जुगाड बनाया गया है. जल्द ही वहां के ट्रस्टीयों का नाम चिठ्ठा, प्राप्त किया जा रहा है. दीक्षाभूमी पर ७ अप्रेल २०२२ के *"धम्म देसना"* कार्यक्रम का आयोजन, उसी नये जुगाड द्वारा किया गया है. और मिडिया मे *"सभागृह फुल"* होने की पोष्ट डाली गयी. उसके पहले उन महाठगों ने, *"धम्म देसना"* के पुर्व *"बुध्द मुर्ती के पंजीकरण"* की एक पोष्ट डाली थी. लोगों को *"इमोशनल ब्लैक मेलिंग"* कराने का तथा कार्यक्रम में बुलाने का नया फंडा...! और दुसरा फंडा महाराष्ट्र के केंद्रिय मंत्री एवं हमारे मित्र *"डॉ. नितीन राऊत"* इनके हाथों उदघाटन तथा *भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई / भदंत ज्ञानज्योती महाथेरो / भदंत महापंथ / भदंत सत्यशील* इन मान्यवर भदंत गणों की उपस्थिति में तथा अन्य मंत्री / विधायक तथा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष *नाना पटोले / राजकुमार बडोले / अँड. सुलेखाताई कुंभारे / प्रा. जोगेंद्र कवाडे / राजेंद्र गवई / आनंदराज आंबेडकर* इन सारे नेताओं के *"प्रमुख उपस्थिती"* होने की पोष्ट, मिडिया मे प्रकाशीत की गयी. उन में से एक भी मान्यवर, उस *"धम्म देसना"* कार्यक्रम मे उपस्थित नही थे. क्यौं कि, वे सभी मान्यवर अच्छी तरह से जानते है कि, *"भविष्य में महाठग - नितीन गजभिये के साथ फोटो होना, उनके लिए परेशानियाँ का कारण"* होगा. पर उनके प्रमुख नामों का सहारा लेकर, अच्छी खासी प्रसिध्दी पायी गयी. जो उस कार्यक्रम मे कुछ लोगों के जाने का कारण रहा है.

     प. पु.‌ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनकी द्वारा स्थापित धार्मिक संघटन *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया"* इस संस्था के स्वयं घोषित कार्याध्यक्ष *भिमराव यशवंत आंबेडकर* उस कार्यक्रम में उपस्थित थे.‌ वैसे भिमराव आंबेडकर इनकी नैतिकता के बारे में क्या कहें ? मा. सर्वोच्च न्यायालय में केस हारने के बाद भी, *मीराताई आंबेडकर* - राष्ट्रिय अध्यक्ष एवं *भिमराव आंबेडकर* - राष्ट्रिय कार्याध्यक्ष यह पद उन्होंने कभी छोडा ही नही.‌ *"सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना अर्थात भारत के संविधान की खुली अवहेलना...!"*   जो बाबासाहेब आंबेडकर जी के संविधान की अवहेलना करनेवाला व्यक्ती, भिमराव आंबेडकर को हम *"लायक"* कैसे कह सकते है...? वैसे उन्हे किसी भी अनैतिक मंच पर जाने में, कोई शर्म कहां रही है ? *भिमराव आंबेडकर* तो पुरा बेशरम बना है.‌ इस लिए महाठग - नितीन गजभिये / फिल्मी नाचा - गगन मलिक इन के मंच पर, *भिमराव आंबेडकर* का उपस्थित होना, हमे कोई आश्चर्य नही हुआ.‌ आश्चर्य तब हुआ कि, "दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया" के स्वयं घोषित अध्यक्ष *चंद्रबोधी पाटील* ये बिन बुलाये मंच पर, *"दुसरे लाईन"* में बैठे दिखे. मैने चंद्रबोधी को कई बार *महाठग - नितीन गजभिये* से दुरी रखने की, मेरी अपनी स्पष्ट भुमिका रखी थी. क्यौ कि, महाठग - नितीन गजभिये को धम्म में जोडने वाला पहिला गुरु *चंद्रबोधी पाटील* ही है. परंतु नितिन‌ गजभिये ने, अपने गुरु का भी सन्मान नही किया.‌ उन्हे धोका दे गया. तो बाकी लोगों के बारे में क्या कहे ? तिन साल पहले, *महाठग - नितीन गजभिये* मुझे कहने लगा कि, *"थायलंड के पुरस्कार के लिए, मेरे नाम की शिफारस करता हुं."* तब मैने नितीन गजभिये को यह स्पष्ट रूप से कह दिया कि, *"नितिन, तेरी वो औकात नहीं की, तु मेरी शिफारस करे...!"* यह बात "भारतीय बौध्द महासभा" के *शंकरराव ढेंगरे* भलीभांति जानते है. मुझे दु:ख इस बात का भी होता रहा कि, *मीराताई आंबेडकर / भिमराव आंबेडकर / राजरत्न आंबेडकर / चंद्रबोधी पाटील / व्ही. एम.‌ मोखले* इन तमाम लोक, *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया "* (TBSI) के स्वयं घोषित अध्यक्ष / पदाधिकारी बताते रहते है. परंतु उनमे से किसी भी स्वयं घोषित पदाधिकारी वर्ग ने, *सन २००९* सें धर्मादाय आयुक्त मुंबई को हर साल का *"आर्थिक विवरण"* सादर ही नही किया है. उस कारणवश TBSI की मान्यता खतरें में है. वही *डाॅ. पी. जी.‌ ज्योतिकर / अशोक आंबेडकर* यह दो ट्रस्टी अब जिवित नही रहे.‌ अत: उनके द्वारा दायर सभी *"चेंज रिपोर्ट्स"* अपने आप में *"नांमजुर"* हो जाएंगे.‌ परंतु वे सभी स्वयं घोषित पदाधिकारी, समाज को गुमराह कर रहे है.‌ अब केवल *"एक की मेरी"* वो केस ( *डॉ. मिलिन्द जीवने* विरुध्द सभी के सभी स्वयंघोषित पदाधिकारी) है, जिस पर *"TBSI के जिवित होने की उम्मीद"* बनी है. अत: TBSI सभी पदाधिकारी / महाठग - नितिन‌ गजभिये / फिल्मी नाचा - गगन मलिक यह सभी लोक, धोकादारी करनेवाले एक ही थाली के चिट्टे - पिट्टे है.


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(नागपुर, दिनांक ११ अप्रेल २०२२)

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