Thursday 27 May 2021

 👌 *बहुजन हिताय - बहुजन सुखाय....!*

        *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*, नागपुर

        मो. न. ९३७०९८४१३८


ये नाराजगी रही कि, तुम कोशिश नही करतें

आसमान को छुने को, बस युं हिम्मत चाहिये

एक बार हात बढाओ, मंज़िल मिल जाएगी

संमुदर किनारा भी, वही तुम युं पार करोगे...


ये जरूरी नहीं की, हर जगह सफलता मिले

तुम्हारी कोशिश हमेशा, म़ंजिल पाने की हो

किस की वो मज़ाल, जो हमारी परिक्षा ले

बस समजलो की, वो उसके काब़िल ना थे...


सिध्दार्थ निकल पड़े थे, बुध्द की ओर जाने

काटें की उस मार को, युं ही वो कुचल गयें

भीम भी उसी राह में, संघर्ष कर निकल पडे

बहुजन हिताय बहुजन सुखाय, युं कर गये...


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