Tuesday 25 June 2024

 🇮🇳 *भारतीय राजनीति की १८ वी लोकसभा बनाम अ-नैतिक भारतीय वासी (हिंदुस्तानी) राहुल गांधी - प्रधानमंत्री (?) नरेंद्र मोदी का सत्ता संघर्ष ...!!!*

     *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*' नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२



       भारतीय राजनीति को *"वेश्यालय"* की हिन उपमा देनेवाले, कांग्रेसी द्रोणाचार्य - *मोहनदास करमचंद गांधी* हो या, प्राचिन ब्राह्मण चिंतक (?) *भर्तृहरी* हो या, बीस वे महाशती के संघवादी नायक *के. सुदर्शन* हो, उन *"तिनो ही लोगों"* के कथन को, कभी झुटलाया नहीं जा सकता. हम ने भाजपा - संघ प्रणित *नरेंद्र मोदी* सरकार का *"दस साल का कार्यकाल"* देखा है.‌ वही कांग्रेस - गांधी प्रणीत तमाम *"कांग्रेस सरकारे"* भी देखी है. तमाम कांग्रेस  - भाजपा सरकारों ने, कभी भी *"भारत राष्ट्रवाद - भारतीय भावना"* जगायी ही नहीं है. ना ही आजादी के ७५ सालों में, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय / संचालनालय"* की स्थापना की है. उपर से वे महामहिम लोगं, हमारे *"भारत के देशभक्त"* बन बैठे है. कांग्रेस राजकुमार *राहुल गांधी* तो, भारतीय राजनीति का कभी हिस्सा रहा हो, यह दिखाई नहीं देता. राहुल गांधी ये "हिंदुस्तानी" *(हिंदुस्तान का अर्थ > निच लोगों का देश)* है. अर्थात राहुल गांधी, ये हमारे देश की तोहिम कर रहा है. और *"भारत का संविधान"* हाथ में पकड कर राजनीति कर रहा है. १८ वी लोकसभा के *"इंडिया गठबंधन सांसदो"* को, "भारत का संविधान"  की प्रत पकड कर, संसद भवन का *मोहनदास गांधी* का पुतला ही दिखाई दिया है. *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर* इनका पुतला, उन्हे दिखाई नहीं दिया. लेकिन राजनीति तो, *"भारतीय संविधान"* की कर रहे है. इसे हम क्या कहे ? *"प्राचिन भारत गुलामी का इतिहास"* भी बहुत भयावह है. जो *महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक* काल है, जिस ने *"अखंड विशाल विकास भारत"*  को बनाया था, उन *"सम्राट अशोक की जयंती"* कभी भी, भारत सरकार ने मनायी नहीं है, ना ही उस दिन सरकारी अवकाश होता है. लेकिन *"अशोक की राजमुद्रा"* ही तो, भारत सरकार की एक पहचान है.‌ वही आझाद भारत के *"कुछ गद्दार वंशजो की जयंती"* ही, भारत सरकार के यादी में सम्मिलीत है. यह *"अहसान फरामोश"* नहीं तो और क्या है ? अत: भारतीय राजनीति को *"वेश्यालय"* (?) इस हिन उपमा से कहने के बदले में, *"हिजडालय,"* यह हिन उपमा देना ठिक रहेगा. और भारतीय राजनीति के सत्ताधीश (?) अर्थात ये *"हिजडे"* ही होंगे. उन्हे *"सांसद या विधायक"* कहना तो, यह पुर्णतः अ-व्यवहारिक रहा है.

        भारत के राजनीति में, *"१८ वी लोकसभा"* यह *"बहुमत वाली सरकार"* ना होकर, वह *"हैंग सरकार"* है. और सत्ता प्राप्ती के लिये, किसी भी दलों को, पुर्ण बहुमत नहीं मिला. यह उन तमाम राजकिय दलों के पाप ही तो है. *"किसी भी पाप कर्म का, कभी समर्थन किया जा सकता है."* ना ही किसी भी पापों से, सहजता से मुक्ति मिल पाती है. तथागत बुद्ध इस संदर्भ में कहते हैं... *"मधुआ मञ्ञति बालो याव पापं न पच्चति |*

*यदा च पच्चति पापं अथ बालो दुक्खं निगच्छति  ||"*

(अर्थात - जब तक पाप का फल नही मिलता, तब तक अज्ञ व्यक्ति पाप को, मधु के समान समझता है. किंतु उस का फल मिलता है, तब वो दु:ख को प्राप्त होता है.)

*"पापञ्चे पुरिसो कयिरा न तं कयिरा पुनप्पुनं |*

*न तम्ही छंद कयिराथ दुक्खो पापस्स उच्चयो ||"*

(अर्थात - मनुष्य यदी पाप हो जाए तो, उसे बार बार ना करे. उस मे रत ना हो जाए. क्यौ कि पाप का संचय यह दु:खदायक होता है.)

*"पापोपि पस्सति भद्र याव पापं न पच्चति |*

*यदा च पच्चति पापं अथ पापो पापामि पस्सति ||"*

(अर्थात - जब तक पाप का परिणाम सामने नही आता, तब तक पाप अच्छा लगता है. जब पाप का परिणाम आना शुरु हो जाता है, तब पापी को समझ मे आ जाता है कि, मैने क्या कर दिया है.)

       प्रधानमंत्री *नरेंद्र दा. मोदी* इन्होने २४ जुनं २०२४ को, *"संसद भवन"* में प्रेस को कहा कि, *"कल २५ जुन को, आपातकाल के ५० साल होने जा रहे है. और उन्होंने उस दिन को, भारत के संविधान का काला दाग माना है."*  निश्चित ही तत्कालीन प्रधानमंत्री *इंदिरा गांधी* द्वारा, २५ जुन १९७५ से २१ मार्च १९७७ इस काल में, *"भारत के संविधान अनुच्छेद ३५२"* अंतर्गत,  तत्कालीन राष्ट्रपती *फकरुद्दीन अली अहमद"* इनकी माध्यम से, "आंतरीक अशांती के कारण"  - *"आपात काल"* (Emergency) की घोषणा की थी. परंतु प्रधानमंत्री *नरेंद्र दा. मोदी* का अज्ञान कहे या मुर्खता, *"२५ जुन को ५० साल पुर्ण नहीं"* हुये है. केवल ४९ साल ही पुर्ण हुये है. अत: नरेंद्र मोदी का, यह इतिहास अज्ञान‌ कहे या और कुछ ???  वही *"नरेंद्र मोदी का कार्यकाल"* यह तो, *"अघोषित आपात काल"*  (Undeclared Emergency) ही, वह दिखाई देता था, इसे हम क्या कहे ? वही इस देश को, *"पुंजीवाद व्यवस्था"* की ओर ढकेल दिया.‌ तमाम *"सरकारी विभाग"* को, *"पुंजीवादी व्यवस्था के हाथो"* उसे बेचा गया. इंदिरा गांधी ने, भारत के *"बैकों का राष्ट्रियकरणं"* करते हुये, भारत के *"अर्थव्यवस्था का मजबुतीकरण"* किया था.‌ जब गुलाम भारत को, १५ अगस्त १९४७ को आजादी मिली थी, तब भारत की *"आर्थिक स्थिती"* बहुत ही खस्ता थी. *"द्वितीय महायुध्द"* यह उसका मुख्य कारण था.‌ *"कोरोना काल"* का भी, आप कारण नहीं बता सकते है. उन विषयों पर खुली चर्चा, हम फिर कभी करेंगे. *नरेंद्र मोदी* जी, आप के भाजपा सरकार की, एक तो भी अच्छी उपलब्धी बतायें. *"केवल भाजपा और  संघ का बडा मजबुतीकरण."* और *"पुंजीवाद व्यवस्था"* मजबुती की जबरदस्त बुनियाद...!!!

       नरेंद्र मोदी जी आप ने १८ वी लोकसभा में,  *"भाजपा सांसदीय दल"* की, अधिकृत बैठक ना बुलाकर, ना ही आप भाजपा सांसदीय दल के नेता बने हो, ना ही  *"विश्वास मत"* पारीत कर, भारत के अधिकृत *"प्रधानमंत्री"* घोषित हुये हो, ना ही *"एन.डी.ए. सांसदीय दलों"* की अधिकृत बैठक बुलायी गयी हो, केवल वह तो, *"एन.डी.ए. दलो"* की बैठक थी. इस तरह आप के *"भारतीय संविधान विरोधी"* विचारों का समर्थन किया जा सकता है ? राष्ट्रपति *द्रोपदी मुर्मु* यह तो, रबर स्टैंप राष्ट्रपती दिखाई देती है. वही *"लोकसभा अध्यक्ष"* (Speaker) पद के लिये, सर्वसम्मती का, ना अवलंबन किया गया. भारत का सबसे बेकार *"भुतपुर्व लोकसभा अध्यक्ष"* - ओमप्रकाश बिरला को ही, आप ने उम्मेदवारी चयन किया  है. संसद का सबसे सिनियर सांसद *के. सुरेश* इनको आप ने तो, *"प्रोटम स्पिकर"* नहीं बनाया.‌ *"क्या के. सुरेश मागासवर्ग के सांसद है, इसलिए नियुक्ती नहीं की गयी ?"* यह भी प्रश्न है. *"इंडिया गठबंधन"* का, मागासवर्गीय *के. सुरेश* इनको, स्पिकर पद के खडा करना, यह तुरुफ का एक्का चाल दिखाई देती है. उपर से वे *"दक्षिण भारत"* से आते है. प्रधानमंत्री जी, आप *"उत्तर भारत"* का प्रतिनिधित्व करते हो. भारत की *"उत्तर भारत - दक्षिण भारत"* की राजनीति, यह किस ओर जाएगी, यह भी हमें देखना है. एक शब्द में कहे तो, *"भारतीय राजनीति का कुछ भरोसा है."* यहां नंगे कौन होंगे, यह तो ...???


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नागपुर, दिनांक २५ जुन २०२४

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