✍️ *दीक्षाभूमी परिसर में कार - स्कुटर अंडर ग्राऊंड पार्किंग सें, दीक्षाभूमी वास्तु को, क्या भविष्य में धोका है ? अगर कुछ धोका हुआ तो, इसके जिम्मेदार कौन...?*
*डॉ. मिलिन्द जीवने ''शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
दिनांक २२ नवम्बर २०२३. मेरे अच्छे वरिष्ठ मित्र - वरिष्ठ पत्रकार रहे *प्रा. रणजीत मेश्राम* का मुझे फोन आया था. और मुझे अपनी वेदना वे कहने लगे कि, दीक्षाभूमी परिसर में इस कार - स्कुटर अंडर ग्राऊंड पार्किंग से, दीक्षाभूमी वास्तु को, क्या कोई हानी पहुंच सकती है...? मैने प्रा मेश्राम जी को कहा कि, मै वह देखने पर ही, अपना अभिप्राय दुंगा. दुसरे दिन ही, मैने *सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल* (सी.आर.पी.सी.) इस मेरे टीम के विदर्भ कार्याध्यक्ष *इंजी. गौतम हेंदरे / इंजी. विजय बागडे* को फोन कर, मेरे घर आने को कहा. विजय बागडे कुछ कारणवश आ नही पाये. साथ ही हमारे सीआरपीसी के *शंकरराव ढेंगरे, सुर्यभान शेंडे, डाॅ. मनिषा घोष, डाॅ. भारती लांजेवार* इन्हे भी मैने बुला लिया. सुर्यभान शेंडे नागपुर शहर के बाहर होने से, वे भी नही आ पाए. हम सभी साथी एकसाथ एकत्र आने पर, दीक्षाभूमी पार्किंग विषय उनके सामने रखा. तब इंजी. गौतम हेंदरे ने प्रत्यक्ष स्पॉट पर जाकर ही, हम इस पर अभिप्राय दे सकते है. यह चर्चा होने के उपरांत, हम सभी साथी मेरी कार से, दीक्षाभूमी की ओर चल निकल पडे.
दीक्षाभूमी में पहुंचने के उपरांत, उस खोदकाम जगह पर, प्लास्टिक के कपांऊंड वॉल से घिरा हुआ दिखाई दिया. हम सभी अंदर वह खोदकाम देखने चले गये. तब वहां ठेकेदार के दो कर्मचारी आकर, हमारा परिचय पुछने लगे. मैने कहा, दीक्षाभूमी के ट्रस्टी ही मेरा परिचय देंगे. बाद में वे दोनो कर्मचारी जादा बोल नही पाये. दीक्षाभूमी ट्रस्टी अध्यक्ष - *भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई, प्राचार्य सुधीर फुलझेले, विलास गजघाटे, भंते नागदिपांकर* इन ट्रस्टी से, मेरे बहुत अच्छे ही संबंध है. अत: उन सभी ट्रस्टी से, मै विनम्र अनुरोध करता हुं कि, एक बार कुछ हुशार विशेषज्ञ मान्यवरों की समिती का गठण कर, कुछ विशेष बातों पर विचार विमर्श करे. सबसे पहले हमे यह देखना होगा कि, *क्या खोदकाम कंपण से, दीक्षाभूमी के वास्तु को, कोई हानी तो नही हो रही है ?* और वह स्कुटर पार्किंग, *"उपर से जमिन से दो फीट उपर होगी."* इससे जमिन का समानीकरण ना होने से, सुंदरता में भी बाधा होगी. दुसरी बात दीक्षाभूमी परिसर मे आज जगह की कमी महसुस होने से, माताकचेरी की तथा अग्रीकल्चरल विभाग की जमिन मिलने हेतु, आंबेडकरी समाज से आंदोलन क्यौ ना खडा किया जाए ? और उन प्राप्त जगह पर, हमे प्रवासी वर्ग के रहने की, कार - स्कुटर पार्किंग, दीक्षाभूमी का एक गेट के पर्याप्त जगह प्राप्त करना, आदी की व्यवस्था करनी होगी. *"दीक्षाभूमी यह आंतरराष्ट्रिय केंद्र बने. आंतरराष्ट्रिय स्तर के कार्यक्रमों का आयोजन हो."* बहुत सारी योजनाएं, हम दीक्षाभूमी सें शुरु कर सकते है. सिर्फ ट्रस्टी का चयन, दुरदृष्टी की आवश्यकता है. इस विषय पर गहन चर्चा और कुछ अपेक्षाओं के साथ जयभीम...!
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नागपुर, दिनांक २३ नवंबर २०२३
*(यह लेख लगबग एक साल पहले, मैने लिखा हुआ था. तथा मिडिया और विभिन्न ग्रुप पर प्रकाशीत किया गया था. तब किसी ने भी इस विषय पर, गंभीरता नहीं दिखाई. और आज उस जगह बांधकाम के बाद, आवाज उठ रही है. हम इसे क्या कहे?)*
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