Thursday, 13 June 2024

 🇮🇳  *नरेंद्र मोदी जी अहंकार से बचे और सर्व-सहमती से देश चलाये....!* इति संघवाद नायक - डॉ मोहन भागवत

      *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


      स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक *डॉ मोहन भागवत* इनके, नागपुर मे १० जुनं २०२४ के एक बयाण ने, भारतीय राजनीति में एक बडी चर्चा का, बडा दौर चल रहा है. संघवादी भागवत कह गये थे कि, *"पिछले दस वर्षों में, देश की आर्थिक, सामरिक स्थिती कुछ सुधर गयी है. विश्व में भारत का बडा नाम हो रहा है. हमारे सामने कुछ आवाहन भी है. और उसे खत्म करने के लिये, सर्व सहमती से देश चलाना होगा. अपने किये गये कार्यों का अहंकार न रखकर, प्रतिपक्ष के मतों का भी आदर, देश के संचालन के लिये करना होगा...."* वही संघवाद से जुडा नियतकालिक *"आर्गनायझर"* में, संघ के आजिवन सदस्य *रतन शारदा* इनका एक लेख प्रकाशित हुआ. सदर लेख में भाजपा नेता तथा कार्यकर्ता इनके मनमाना कार्यो पर, खरपुस समाचार लिया गया. वही भाजपा से जुडी हुयी, माजी लोकसभा अध्यक्ष *सुमित्रा महाजन* इनका "लोकसभा अध्यक्ष" पद संदर्भ में, एक बडा बयाण भी आया है. वे कहती है कि, *"सांसदीय काम का अनुभवी, सत्ताधारी एवं विरोधक इनमे समन्वय रखनेवाला, प्रभावी वक्ता ही लोकसभा का अध्यक्ष बने. अत: सभागृह सही ढंग से चल सकता है."* मैं भी पिछले कई सालों से, बहुत से लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल देखा है. और उन लोकसभा अध्यक्ष में, *पी. ए. संगमा, शिवाजीराव पाटील निलंगेकर, जीएमसी. बालयोगी,  सोमनाथ चटर्जी, मीराकुमार....आदी.* इनका कार्यकाल बहुत अच्छा रहा है. *मीराकुमार / जीएमसी बालयोगी* तो, मागास समाज से जुडे नेता थे. *सबसे खराब कार्यकाल* भाजपा नेता *ओम बिरला* इनका रहा है. *सुमित्रा महाजन* का कार्यकाल भी, उतना ठिक नहीं रहा था. परंतु *ओम बिरला* की तुलना में वह काफी ठिक था. *सुमित्रा महाजन* इनकी उपस्थिती में, इंदौर की एक सभा में, संघवाद के नायक *डॉ. मोहन भागवत* इन्होने *"स्त्री वर्ग को उपभोग की वस्तु कहा. और विवाह यह एक करार बताया था. आदमी कमाकर लायेगा. और स्त्री आदमी को खुश करेगी."* मोहन भागवत द्वारा स्त्री वर्ग के इस बयाण पर, *सुमित्रा महाजन* खामोश थी. अत: इस विषय पर और अधिक करना टिप्पणी ठिक नहीं.

       नरेंद्र मोदी इनकी सरकार, पुर्ण बहुमत की ना होकर *"हैंग सरकार"* है. फिर भी नरेंद्र मोदी ने, अपने बहुमत सरकार समान ही, *"मंत्रीमंडल का गठण"* किया. बिहार के जेडेयु नेता *नितेश कुमार* / आंध्र के टीडीपी नेता *चंद्राबाबू नायडू* ये दोनो, नरेंद्र मोदी के *"संकट मोचक"* बनने के बाद भी, उन दोनो को नरेंद्र मोदी ने *"झुनझुना मंत्रालय"* दे दिया. फिर भी दोनो नेता, खामोशी से यह सब कुछ देखते रह गये. उन दोनो नेताओं का, गृहमंत्री *अमित शहा* का विरोध भी, नरेंद्र मोदी के सामने थंडा पड गया. और नरेंद्र मोदी ने *"लोकसभा अध्यक्ष"* पद के लिये, पहिली बार सांसद बनी - आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्षा *डी. पुरंदेश्वरी* का नाम चलाने की चर्चा है. वैसै भाजपा सांसद *डी. पुरंदेश्वरी* यह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री / टीडीपी नेता *चंद्राबाबू नायडू* इनकी साली है. पर राजकिय दल तो अलग है. अब भविष्य में भारत की राजनीति में, उंट किस ओर करवट लेता है, वह भी देखना होगा. *मोहन भागवत* का बयाण हो या, *आर्गनायझर* का लेख हो या, *सुमित्रा महाजन* इनका उपदेश हो, क्या नरेंद्र मोदी पर इसका कुछ असर पडेगा ? यह भी तो देखना है. *नरेंद्र मोदी* ने, उसके सत्ता काल में, *"संघवाद को नज़र अंदाज करने"* का, *अटलबिहारी वाजपेयी* का भी रिकार्ड तोड डाला है. कभी एक जमानें में सशक्त रहनेवाला संघ, आज तो *"बुढ़ा शेर"* बन गया है. यही नहीं *नितेश कुमार / चंद्राबाबू नायडू* इनका मुस्लिम आरक्षण / मागासवर्गीय की जनगणना / राज्यों को विशेष पैकेज इस मांग को भी, *"नरेंद्र मोदी सरकार"* (एन.डी.ए. सरकार ?) ने, *"अपने १०० दिन कार्यक्रम"* से, बाहर का रास्ता बता दिया है. अभी अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री / शिवसेना नेता *एकनाथ शिंदे* इन्होने भी, *"मंत्रीमंडल"* से लेकरं अपना आवाज़ उठायी है. उपमुख्यमंत्री /राष्ट्रवादी नेता *अजित पवार* इन्होने भी, भाजपा से, उन की बडी नाराजी जतायी है.‌ रामविलास पासवान इनके पुत्र, अभी अभी केंद्रीय मंत्री बने *चिराग पासवान* इनके सामने तथा सभी घटक दलों के सामने भी, *"पक्ष तुट की नंगी तलवार"* लटकी खडी है. नरेंद्र मोदी - अमित शहा ये दोनो *"रंगा -बिर्ला"* भुखे शेर, सामने ही खडे है. *"कल की भारत की सत्तानीति / राजनीति"* यह बडा ही प्रश्न है. अत: *नरेंद्र मोदी सरकार की अग्नी परिक्षा* को, *"संसद के फ्लोअर टेस्ट"* पर ही हमें देखना होगा.

       अब हम संघवाद प्रमुख *डॉ मोहन भागवत* इनका और एक बडा कथन, *"पिछले दस वर्षों में, नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक और सामरिक सुधार तथा विश्व में भारत का बडा नाम"* इस विषय पर चर्चा करेंगे. भागवत जी ने, *"किस तराजु"* से, भारत का आर्थिक सुधार - सामरिक सुधार एवं विश्व में भारत का बडा नाम की चर्चा करते है ? यह प्रश्न है. *मेरा भी,* भारत अंतर्गत प्रवास और विदेश प्रवास रहा है. भारत तथा विश्व के सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थिती पर, मेरा भी लक्ष रहता है. *"भारत की आर्थिक ही नहीं तो, सामाजिक हालात खस्ता है."* समस्त विश्व में, नरेंद्र मोदी सरकार के कु-साख के बारे में, और क्या कहे ? अब कोई भी, *"ग्लोबल्स तंत्र"* (एक झुट को, सौ बार वो झुट बोलो, वह सच लगने लगता है - यह तंत्र) यहा चलनेवाला नहीं है. प्राचीन भारत का *"महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक"* इनके कार्यकाल का, *"अखंड विशाल विकास भारत"* को, खंड - खंड करनेवालों *(ब्राह्मणी धर्म ऋषी पातंजली और ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग)* के, आप ही तो सही वंशज हो.‌ प्राचिन भारत की - *"सिंध संस्कृति"* को, बरबाद करनेवालों के, आप वंशज हो. चक्रवर्ती सम्राट अशोक के ८४,००० हजार स्तुप - बुध्द विहारों के, *"हिंदु मंदिरो मे परीवर्तीत"* करनेवालों के तो, आप ही वंशज हो. *"भारत के संविधान की समिक्षा"* के मांग करनेवाले, आप विदेशी हो. भारत में *"जाती आधारित / धर्म आधारीत"* भेद द्वेष फैलानेवाले, आप शुक्राचार्य हो. भारत की *"न्याय व्यवस्था"* को *"अन्यायी व्यवस्था"* करने वालों की, आप जमात हो.‌ भारत की *"बुद्ध व्यवस्था"* को खत्म करने वाले, आप खलनायक हो........ और क्या क्या कहे ? भगवान बुद्ध के महान विचार *"चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय, लोकानुकंपाय अत्थाय हिताय सुखाय देवमनुस्सानं | देसेत्थ भिक्खवे धम्मं आदि कल्याणं मज्झेकल्याणं परियोसानकल्याणं सात्थं सव्यंजनं केवल परिपुण्णं परिसुध्दं ब्रम्हचरियं पकासेथ ||"* (अर्थात - भिक्खुओ, बहुजन के हित के लिये, बहुजन के सुख के लिये, लोगो पर अनुकंपा कर, खुद के तथा देव, मनुष्यों के हित के लिये, सुख के लिये भिक्षाटन करते हुये विचरण करो. यह धम्म प्रारंभ में कल्याणप्रद, मध्य में कल्याणप्रद और अंत में कल्याणप्रद ऐसा अर्थ और भाव से परिपुर्ण है. अत: इस धम्म का ब्रम्हचर्य पालन करते हुये, उसका प्रसार करो. और उसे पुर्णतः प्रकाशित करो.) ऐसे महान मानवीय बुध्द विचारों को, आप ने नेस्तनाबूत करने का प्रयत्न किया है. अत: आप ब्राह्मण लोग, इस *"बडे पाप कर्म के लिये"* तमाम आवाम की, *"क्या आप माफी मांगोगे...?* आप की संघटना (RSS) / विश्व हिंदु परिषद / और तमाम संघटना बरखास्त कर, *"विश्व बौध्द संघ"* का गठण कर, बुध्द विचारों पर आचरण करोंगे ? तमाम बुध्द विहारो कां, जो आप ने, *"हिंदुकरण"* किया है, क्या वो पुर्ववत करोंगे ? आदी आदी बहुत सारे प्रश्न है. इस का उत्तर आप को देना होगा. तभी आप के प्रति विश्वास और प्रतिष्ठा बढेगी. बुध्द धर्म में *"क्षमा याचना"* के लिये, पाली भाषा में एक गाथा है. *"ओकास वन्दामि भन्ते. द्वारतेन मया कत्तं सब्बं अच्चयो खमचं में भन्ते."* दुतियम्पि.....! ततियम्पि......! (अर्थात - अवकाश दिजिए भन्ते.‌ काय, वाचा, मन से, जो मुझ से अपराध हुये होंगे, वह सब क्षमा किजिए भन्ते.....!!! दुसरी बार...! तिसरी बार....!) उसके उत्तर में, भन्ते भी कहते है कि, *"खमामि, खमामि, खमामि !"*  (अर्थात - क्षमा किया, क्षमा किया, क्षमा किया.) यह *"बुध्द वचन"* हमें, बहुत ही सरल दिखाई देता है. परंतु वह उतना सरल नहीं है.‌ प्रश्न यहां *"तुम्हारे कृतिशीलता का, तुम्हारी विश्वसार्हता का, तुम्हारी शब्द निष्ठा का, तुम्हारी इमानदारी का भी है."* तब ही तो आप लोग, इस अ-कृतिमयता जीवन से, पुर्णतः मुक्त हो पाओंगे. अस्सल जीवन में भी सफलता पाओंगे...!!! नहीं तो, निसर्ग हो या और कोई भी अन्य प्रकोप से, कभी बचा नहीं जा सकता.


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नागपुर, दिनांक १३ जुन २०२४

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