🇮🇳 *भारत की राजनीति में इंडिया को नकारना, क्या भारत राष्ट्रवाद की पहल है या राजनीति का नंगापण...?* राहुल गांधी से लेकर नरेंद्र दामोधरदास मोदी तक हिंदुस्तान (अस्तित्वहिन देश) की अनैतिक राजनीति...!
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
संघवाद के सर्वेसर्वा *मोहन भागवत* का गुवाहटी (असम) का वह भाषण मैने सुना है, जहांं डॉ. भागवत कह रहे थे कि, *"इंडिया के बदले भारत शब्द का प्रयोग करे. इंडिया यह शब्द गुलामी का प्रतिक है."* वही नागपुर आने पर, पत्रकारों ने पुछे सवाल पर, वे कन्नी भी काट गये है. अपने विवादीत बयाण पर कन्नी काटनां, यह तो भारत के राजकिय नेता हो या, संघप्रमुख हो, उनकी यह फितरत ही रही है. और *UNO* के सरचिटणीस *अँटोनियो गुटेरस* के प्रवक्ता *फरहान हक* ने एक बयाण में कहा कि, *"इंडिया का नाम बदलकर भारत होता है, और भारत ये विनंती करता हो तो, उसका विचार किया जाएगा."* यह बयाण इतना सरल नही है. भारत में अशांती बिजों का, वह वृक्षरोपन है. अब यह भी अहं सवाल है कि, *"भारत की आझादी हो या संविधान संस्कृति (संस्कृति संविधान नही), इसमे संघ का क्या योगदान है ?"* "भारत राष्ट्रवाद" के प्रति, उनका असली रूख क्या रहा है ? या भारत आजादी के ७५ साल होने के बाद भी, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* ना बनाने के पिछे की, उनकी असली मंसा क्या रही है ? *चक्रवर्ती सम्राट अशोक का अखंड - विकास भारत को, गुलाम भारत / खंड - खंड भारत / अविकसित भारत"* करनेवाले, उनके सवर्णवादी वंशजों की, अखंड भारत देश से गद्दारी, क्या वे दोहरा रहे है ? भारत आझादी के पहले, *"ब्रिटन के महाराणी"* को सलाम ठोकणेवाले, वो गद्दार कौम कौन है ? *नरेन्द्र मोदी / अमित शहा* समान, अविचारविद गधों के हात में, भारत की राजसत्ता सौपने के पिछे, सही राजनीति क्या है / थी ? भारत को *"हिंसक राजनीति"* में, ढकेलने की राजनीति क्या रही है ? इन तमाम प्रश्नों के उत्तरों पर, हमे सोचना बहुत जरूरी है ? यह संशोधन का बडा विषय है.
मै पिछले ३ - ४ दिनों से, इस विषय पर लिखने का प्रयास कर रहा हुं. परंतु मेरी बडी व्यस्तता के कारण, यह संभव नही हो पाया. आखिर आज उस विषय को, मैने शब्द रुप में ढाल ही दिया है. *"भारत - इंडिया"* यह विषय, हम समझ रहे है उतना तो सरल (?) भी नही है. *"जी - २० शिखर परिषद"* का यजमान पद, भारत के पास है. *नरेंद्र मोदी* उसके प्रमुख भी है. वही *सोवियत रशिया* के अध्यक्ष *ब्लादिमीर पुतिन* और *चायना* के अध्यक्ष *शि जिनपिंग* ने, इस परिषद मे व्यक्तिशः ना आकर अपने प्रतिनिधी को भेजकर, एक प्रकार से *"जी - २० शिखर परिषद"* हवा ही निकाल दी. शायद चायना द्वारा आयोजित *"One Belt One Road (OBOR)"* परिषद में, भारत ने बहिष्कार किया था. उसका वह बदला हो. विश्व के तमाम देश प्रमुख, उस परिषद में सहभागी थे. OBOR कहे या अब का *"The Belt Road Initiative (BRI)"* इस चायना प्रोजेक्ट ने, विश्व के सभी देशों को रोड से जोडा है. भारत के करिबी देश - *श्रीलंका, नेपाल, बांगला देश, म्यानमार* आदी देश चायना के साथ जुडे है. भारत का पडोसी मित्र देश कौन ? यह प्रश्न है. और चायना ने *अमेरिका* को भी पुरा जता दिया है की, तुम्हारी दादागिरी अब चलनेवाली नही है. अमेरिकी अध्यक्ष *जो बायडन* भी कुछ नही कर सका. लाचार दिखाई देता है. वही नरेंद्र मोदी सरकार ने, अभी अभी हुये *"संसद सत्र"* को एक महिना भी नही हुआ, वही १८ - २३ सितंबर को, संसद का *"विशेष अधिवेशन"* बुलाया गया है. *"कार्यक्रम विषय पत्रिका"* का पता नही. महत्वपुर्ण विषय यह कि, नरेंद्र मोदी सरकार ने *"नये संसद भवन"* का उदघाटन, बडे थाटमाट से - धार्मिक वातावरण में किया था. परंतु एक महिने पहिले का अधिवेशन और अभी का विशेष अधिवेशन, *"पुराने संसद"* में ही होना, इसे भी हमे समझना होगा. क्या इन महारथींयों को, *"नये संसद भवन"* मे , कोई बडा दोष (?) दिखाई दे रहा है ? यह भी अहं प्रश्न है.
भारत की राजनीति भी बडी अजिबो गरिब है. सन २०१४ साल का *"लोकसभा चुनाव,"* कांग्रेस की अनीति और नरेंद्र मोदी के बडे लुभावने वादों का नजराना था. सन २०१९ का *"लोकसभा चुनाव"* नरेंद्र मोदी के "पुलवामा कांड" का परिपाक था. साथ में *"हिंदुत्व - रामजन्मभूमी - भ्रष्टाचार"* यह भाजपा नारा भी रहा था. आज वे इश्यु भाजपा को साथी नही रहे. नरेंद्र मोदी के *"गुंडा राज - धमकी राज - भांडवलशाही - भ्रष्टाचार राज"* ने, भारत के सभी रिकार्ड तोड डाले. वही नरेंद मोदी ने, तिसरी बार *"प्रधानमन्त्री बनने का बाशिंग"* बांधकर रखा है. कोई इश्यु काम का नजर ना आने से, *"जी 20 शिखर परिषद / चंद्रयान / समान नागरी संहिता"* भी तारने के स्थिती में ना होने के कारण, *"इं.डि.या. गठबंधन"* मोदी पर भारी पडने के कारण, *"भारतीय संविधान"* के आर्टिकल १ में लिखा हुआ *"India, that is Bharat shall be a Union of States"* पर, एक नया दाव खेला गया. *"देश का नाम बदलना, इतना सहज विषय नही है. और देश का नाम बदलने पर, करोडो रुपयों का खर्च भी जुडा हुआ है."* भारत आज विदेशी बैंको के कर्ज में डुबा है. महंगाई आसमान छु रही है. तब देश का नाम बदलना ??? ऐसा भी नही कि, नरेंद्र मोदी ने *"इंडिया"* इस शब्द को उछाला नही है. Skilled India / Startup India से लेकर बहोत सारे *"इंडिया"* नाम से योजना, नरेंद्र मोदी सरकार ने लागु की है. तब *"इंडिया"* शब्द अंग्रेज गुलामी का प्रतिक नही था. बस, वह शब्द आज ही अंग्रेज के गुलामी की याद कर गया. *"अखंड भारत को गुलाम बनानेवाली, यही तो गद्दार कौम की वह औलाद है."* फिर किस नाक से, भारत पर हक जता रही है. यह प्रश्न है.
तमिलनाडु राज्य के मुख्यमंत्री *एम. के. स्टँलिन* के बेटे *उदयनिधी* ने, *"सनातन धर्म का निर्मुलन"* करने का एक बयान देने पर, माजी न्यायामुर्ती और नोकरशहा-सह २६२ लोगों ने, *सरन्यायाधीश - धनंजय चंद्रचूड* को एक पत्र लिखकर, कारवाई की मांग की थी. *"जब भारत का संविधान जलाया गया / मणिपुर के महिलाओं की नग्न धिंड निकाली गयी / उत्तर प्रदेश में शोषित वर्ग के महिला पर बलात्कार हुआ था",* तब ये कमिने लोग किस बिल में छुपे हुये थे. यह अहं प्रश्न है. किसी भी धर्म के अपमान का, समर्थन नही किया जा सकता. वही *"इंडिया"* इस विवादित बयाण में, देश का वातावरण गरम होने पर, अब संघवादी नेता *मोहन भागवत* ने, *"मागासवर्ग आरक्षण की आवश्यकता"* का नया दाव खेला है. और *"इंडिया"* यह विवादीत विषय को, थंडा करने का प्रयास किया है. *"राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ"* (RSS) में बिखराव होना / तुटना, ना के बराबर है. केवल *गोवा* में वह संघटन तुट जाना, यह छोडा जाए तो, इस प्रकार का बिखराव नही दिखाई देता. यही बात *भाजपा* की है. *नरेंद्र मोदी /अमित शहा* के विरोध में, *नितिन गडकरी / योगी आदित्यनाथ / वसुंधरा राजे सिंधिया* इन नेताओं को छोडा जाए तो, बहुत सारे ऐसे नरेंद्र मोदी विरोधी नेता, नरेंद्र मोदी को पुरे सरेंडर हो गये है. *अटलबिहारी बाजपेयी* ने अपनी राजनीति में, संघवाद को कभी भी, अपने आप पर हावी नही होने दिया. *नरेंद्र मोदी* ने तो, अटलबिहारी बाजपेयी का वह रिकार्ड भी तोड डाला है. नरेंद्र मोदी का राजकिय गुरु - *लालकृष्ण अडवानी* ने, उसे *"अटल कोप"* से बचाया था. नरेंद्र मोदी ने तो अपने गुरु - लालकृष्ण अडवानी को ही पटकनी दी है. *"अत: हमे बहुत सजग रहना जरुरी है. कौन कब - क्या और कैसी पटकनी देगा ???"* और गुरु का / गॉड फादर का अपमान, कब - कैसे - कहां होगा ? यह भी समझना इतना आसान नही है...!!!
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नागपुर, दिनांक ८ सितंबर २०२३
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