❓ *कभी कभी...!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने ''शाक्य'*
मो. न. ९३७०९८४१३८
कभी कभी बहुत दुर होकर भी
हम बहुत ही पास होते है
और कभी कभी तो
हम बहुत पास होकर भी
बहुत ही दुर होते है ...
बुध्द विचार शलाका में
हम जब इसका उत्तर देखते है
उत्तर सहज मिलने का जुनुन
हमें यह आदतसी होती है
और सहजता से मिले वस्तुओं का
मुल्य भी बहुत कम आकतें होते है...
करणीयमेत्त सुत्त में
बुध्द हमे उपदेश देते है कि
नातिमञ्ञे थ कत्थति नं किञ्चि
इसका हिंदी भाषा में अनुवाद है
कभी किसी का अपमान न करे
क्यौं कि वैमनस्य - विरोध ही तो
इसी कृत्य भाव सें बढते जाता है...
सल्ल सुत्त में बुध्द कहते है
अनिमित्तमनञ्ञात, मच्यान इध जीवितं
इसका हिंदी भाषा में अनुवाद है
मनुष्य का जीवन यह अनिमित्त
और अज्ञात है
अस्सल जीवन की सही गहराई
क्या हम नाप सकते है ...?
बुध्द धम्मपालन गाथा का सार
दो लाईन में ही बताया गया है
सब्ब पापस्स अकरणं,
कुसलस्स उपसंपदा
सचित्तपरियोदपनं, एतं बुध्दान सासनं
अर्थात हिंदी भाषा में अनुवाद है
सभी पापों का न करना,
कुशल कर्मो का करना
तथा स्वयं के मन की परिशुध्दी करना
यही बुध्द की शिक्षा है
इससे बढकर दो लाईन में
धर्म का सार
और क्या हो सकता हैं. ..
बुध्द उत्तम मंगल कार्य पर
हमे विशेषत: चेताते है कि
असेवना च बालानं पण्डितानञ्च सेवना
पूजा च पूजनीयानं एतं मङ्गलमुत्मं
अर्थात मुर्ख लोगों की संगत
हमें नही करना है
विद्वानों की संगत करना है
यही उत्तम मंगल है
क्यौ कि उन्ही लोगों सें ही हमे
अकसर जादा कष्ट होता है...
कभी कभी हम से
बहुत गलतीयां भी होती है
बुध्द की क्षमा याचना गाथा है
बुध्दे ये खलितो दोसो
बुध्दो खमतु तं ममं
इसका हिंदी भाषा मे अर्थ है कि
यदि बुध्द के प्रति मुझ से
कोई दोष हुआ हो तो
बुध्द मुझे क्षमा करें....
और अपने से अपराध होने पर
क्षमा याचना गाथा भी है
ओकास वन्दामि भन्ते
द्वारतेन मया कत्तं सब्बं
अच्चयो खमथ में भन्ते
अर्थात अवकाश दिजिए भन्ते
काया वाचा मन से
जो मुझ से अपराध हुये होंगे
वह सब क्षमा किजिए भन्ते...
* * * * * * * * * * * * *
* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर, दिनांक २७/०९/२०२३
(बुध्द का विचार न पढकर,
टिका करनेवालें लोगों को समर्पित.)
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