.👌 *नया उजाला शोध में...!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो. न. ९३७०९८४१३८
ये आसमान पर बिखरे पडे
वो सफेद मोती कहे या
बर्फ की सुंदर सी सफेद चादर
या सफेद पर्बत की राणी हो
वो सुनसान सी बैठी है
या कहे सोयी हुयी है
कभी कभी अपना ही मुड आने पर
हवा की लहरी रूख से
वो दौडती जा रही थी
ना ही उसकी अपनी मंज़िल थी
बसं वो भटकती जा रही थी...
कोरीया देश या अन्य देशों के
मेरे हर हवाई सफर भ्रमण में
वो नज़ारा हर बार देखा करता हुं
कभी कभी सोचा भी करता हुं
अगर हवाई जहाज ना होता
ना मै आसमान को छु सकता था
ना ही प्रत्यक्ष अनुभुती ले पाता था
बसं अंधेरे में ही हम तिर छोड जाते
शायद किसे तो भी घाव हो जाता
हर बार अंधेरा ही होता
उजाले को कोई नाम ना होता
बुध्द के इस धरती पर
या कहे जम्बुद्विप पर
शायद वो मोम का ही प्रकाश हो
स्वयं मंद मंद मन में जल रही थी
दुसरों को प्रकाश दे रही थी
फिर भी आज हम अंधेरे मे है
बुध्द प्रकाश के
एक नया उजाला शोध मे...!!!
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इंचान सिटी कोरीया से २१/०९/२०२३
कोरीया टाईम - सुबह ४.५२
भारत टाईम - सुबह १.२१
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