👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २ सितंबर २०२३ को झुम पर आयोजित, "विश्व शांती शिखर सम्मेलन" इस विषय पर, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*
* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें एक प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!
* प्रश्न - १ :
* *अन्य धर्मों के बारे में सीखने की आवश्यकता के कारण पर कृपया हमें अपनी राय बताएं. इसके अलावा, क्या आप के धर्मग्रंथ में अन्य धर्मों के साथ बातचीत और उनके बारें में सीखने का कोई रिकार्ड है ? यदी हां, कृपया उन्हे भी प्रस्तुत करें.*
* उत्तर : - भारत में हो या विश्व में, विभिन्न धर्म / संप्रदाय विद्यमान है. सभी धर्म के आचार - विचार - संस्कार विधी - कार्यपध्दती आदी अलग अलग है. और यह विभिन्नता होकर भी, विभिन्न धर्म के लोग यह एक संघ देश हो, राज्य हो, शहर हो, गाव हो, वहां एकसाथ मिलकर रहते है. जिसे हम "विभिन्नता में एकता" भी कहते है.
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जब हम "विभिन्नता में एकता" की बातें करते है. एक राष्ट्र होने की बातें करते है. क्यौ की, आवाम के एकसाथ होने से ही राष्ट्र बनता है. तब हमें उन विभिन्न धर्मो को समझना बहुत जरुरी होता है. जो हमें एक सुत्र में बांधने में कारगीर होता है. हमे एकमेक को समझने में आसान भी होता है.
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अन्य धर्म में, आदमीयों के आचार - विचार - संस्कार के बारे में क्या लिखा है ? और उससे क्या प्रेम - बंधुता - मित्रता की जोपासना कर रहे है ? यह बहुत बडा प्रश्न है. धर्म की व्याख्या भी एक नही दिखाई देती. बहुत अर्थों में वह विद्यमान है. धर्म का अर्थ - धारण करना भी कहा जाता है. परंतु क्या धारण करना है ? यह भी प्रश्न है. क्या धर्म यह उच - निच भाव सीखाता है ? यह केवल एक प्रश्न ना रहते हुयें, वह एक समस्या भी बन चुकी है. धर्म के कारण भेदाभेद चरम सीमा पर, पहुचें हुये दिखाई देता है.
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भारत के संदर्भ में कहा जाए तो, बुध्द काल हो चक्रवर्ती सम्राट अशोक का युग यह स्वर्ण युग कहा जाता है. मानवता का युग कहा जाता है. स्वातंत्र - समता - बंधुता - न्याय का युग कहा जाता है. अखंड विकास भारत का युग कहा जाता है. शांती का युग कहा जाता है. बुध्द काल के, पहले वैदिक धर्म / ब्राम्हणी धर्म ने, भारत को उच्च निच भेदाभेद में उलझा रखा था. वो अशांती का युग था. ब्राम्हणी सेनापती पुष्यमित्र शृंग ने, सम्राट अशोक के नाती ब्रृहदत्त की हत्या कर, भारत में अशांती, गुलामी की निव रखी थी. जो भारत के लिए शर्मसार घटना थी.
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विशाल अखंड विकास भारत, चक्रवर्ती सम्राट अशोक के काल में, आज का भारत, पाकिस्तान, बांगला देश, नेपाल, अफगानिस्तान, तिब्बत, म्यानमार, श्रीलंका तक फैला हुआ था. आज वो खंड खंड और गुलाम - अविकसीत भारत दिखाई देता है. अशांत भारत दिखाई देता है. स्वातंत्र - समता - बंधुता - न्याय का अभाव दिखाई देता है. अत: हमे भारत का यह इतिहास समझना बहुत जरूरी है.
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भारत के संदर्भ में, हिंदु यह धर्म है या नहीं ? यह विवाद का विषय है. डॉ. आंबेडकर इन्होने हिंदु धर्म के बारें में कहा कि, "पहले से ही भारत में हिंदु धर्म था, यह विचार मुझे मंजुर नही. हिंदु धर्म तो सबसे अंत में, विचारों के उत्कांती के पश्चात, वह निर्माण हुआ है. वैदिक धर्म के प्रचार के बाद, भारत में तिन बार धार्मिक परिवर्तन दिखाई देते है. वैदिक धर्म का रुपांतर ब्राम्हण धर्म में, और ब्राम्हण धर्म का रुपांतर यह हिंदु धर्म में हुआ है." (कोलंबो, ६ जुन १९५०) भारत का सनातन धर्म, यह तो केवल ब्राम्हणी धर्म का दुसरा रुप है. और इसके बिना उसका दुसरा अस्तित्व नही है. जो प्राचिन विषमता, अशांती, अन्याय, गुलामी का बोध कराता है.
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भगवान बुध्द ने बुध्दगया में ज्ञानप्राप्ति होने के बाद, सारनाथ में पांच ब्राम्हण शिष्य को उपदेश किया. और उसे "धम्मचक्कपवत्तन" कहा जाता है. बुध्द ने वह उपदेश दो भागो में दिया है.
* धम्मचक्कपवत्तन सुत्त
* अनत्तलक्खण सुत्त
और अनत्तलक्खण सुत्त का प्रथम प्रवचन चार आर्यसत्य (अरियसच्च) पर है, और वह बुध्द धर्म का आधार है. दुसरा प्रवचन अनात्म लक्षण सुत्र है, जहां तिन बाते बताई है.
* अनिच्च (अनित्य) (Doctrine of impermanence) - अर्थात कोई भी चिज सनातन नही है.
* दुक्ख (Doctrine of Sufferring) - दु:ख का अस्तित्व है.
* अनत्ता (अनात्म) (Doctrine of Non-Self) - आत्मा का अस्तित्व नकारा है. वक्त के अभाव के कारण, इस पर चर्चा फिर कभी करेंगे.
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बुध्द ने उसी प्रवचन में, पवित्र मार्ग में उत्तम जीवन के पाच मापदंड बताये है. जो हमे इसी मापदंड को सभी धर्म में देखना है. वो पाच मापदंड है -
१. कोई भी प्राणी की हिंसा ना करना.
२. चोरी ना करना.
३. व्यभिचार ना करना.
४. असत्य ना बोलना.
५. मादक वस्तुओं का सेवन ना करना.
इन पाच मापदंड को, बुध्द के "पंचशील" भी कहते है.
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बुध्द ने सम्यक जीवन के लिए, "अष्टांग मार्ग" भी बताया है. जीसे हमे, विश्व के सभी धर्म कें संदर्भ में, अध्ययन करना होगा.
१. सम्यक दृष्टी २. सम्यक संकल्प ३. सम्यक वाणी ४. सम्यक कर्मांत ५. सम्यक आजिविका ६. सम्यक व्यायाम ७. सम्यक स्मृति ८. सम्यक समाधी.
वक्त के अभाव में, इस विषय पर चर्चा फिर कभी करेंगे
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बुध्द ने ऋषीपतन में रहते समय अपने साठ भिक्खू संघ को, जो अर्हत थे, उनको उपदेश देते हुये कहा कि -
*चरथ भिक्खवे चारिकं, बहुजनहिताय बहुजनसुखाय, लोकानुकंपाय अत्थाय, हिताय, सुखाय देवमनुस्सानं, देसेत्थ भिक्खवे धम्मं आदि कल्याणं मज्झेकल्याणं परियोसान कल्याणं, सात्थं सव्यंजनं केवल परिपुण्णं परिसुध्दं ब्रम्हचरियं पकासेथ."*
(अर्थात - बहुजन के हित के लिए, बहुजन के सुख के लिए, लोगों पर अनुकंपा कर, देव लोग और मनुष्यों के कल्याण के लिए, धम्मोपदेश कर भ्रमण करो. प्रारंभ में कल्याणप्रद, मध्य मे कल्याणप्रद, अंत में कल्याणप्रद इस धर्म मार्ग का अर्थ और भावसहित परिशुध्द ऐसे धर्म का, ब्रम्हचर्य रखकर प्रकाशमान करो.)
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बुध्द ने अपने इस संबोधन के माध्यम से, विश्व के तमाम धर्म के विचारविदों को, अपने धर्म का प्रवचन देकर प्रेम - मैत्री - करुणा का उपदेश दिया. विश्व शांती का संदेश दिया. जो विश्व के सभी धर्मों के प्रचारकों को समझना बहुत जरुरी है.
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* परिचय : -
* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
(बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब
* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)
* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५
* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)
* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर
* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी
* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर
* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०
* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०
* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन
* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)
* आगामी पुस्तक प्रकाशन :
* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)
* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)
* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)
* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)
* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)
* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*
* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*
* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७
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