🔹 *दीक्षाभूमी नागपुर स्मारक समिती को धर्मादाय उपायुक्त द्वारा धम्म चक्र प्रवर्तन दिन संदर्भ में नोटिस...!!!*
(डॉ. मिलिन्द जीवने विरुद्ध प.पु. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिती नागपुर इस केस में, अॅड. संदिप ताटके ने पक्ष रखा. अॅड. डॉ. मोहन गवई भी दिनांक २० अक्तुबर को सुनवाई में उपस्थित रहेंगे) *अर्ज क्र. ३२/२०२०*
धम्म चक्र प्रवर्तन दिन पर, हर साल दीक्षाभूमी नागपुर ऐतिहासिक समारोह होता रहा है. वही प. पु. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिती, यह उस धरोहर की ट्रस्टी अर्थात विश्वस्त है. सदर जगह या समिती के कानुनन मालिक नहीं. यही नहीं सदर ऐतिहासिक समारोह समिती के आयोजन समिती में, *"स्मारक समिती के अलावा, विभागीय आयुक्त / जिलाधिकारी / मनपा आयुक्त / पोलिस आयुक्त"* यह मान्यवर सदस्य रहते है. और उन्होंने सदर आयोजन के लिये, कुछ भी पहल न करने के कारण, उन्हे मा. उच्च न्यायालय में दाखल *याचिका क्र. WP (ST) No. 9691 / 2020 में,* पार्टी बनाने की बात कही थी. Respondent No. 1 & 2 ये स्मारक समिती के पदाधिकारी है. वही Respondent No. 3 to 6 ये, सरकार के प्रतिनिधि होने का जिक्र याचिका में किया गया. इस लिए वह याचिका Article 226 / 227 अंतर्गत डाली गयी थी. परंतु मा. उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ के *न्यायमूर्ती रवी देशपांडे / पुष्पा गणोडीवाला* इन्होनें अपने जजमेंट में, Respondent No. 2, 3 to 6 के संदर्भ में कोई जिक्र नहीं किया. एवं केवल Respondent No. 1 का ही जिक्र करते हुयें, सदर Respondent यह ट्रस्टी होने के कारण, सदर याचिका में हस्तक्षेप करने से मना कर, सदर *याचिका खारिज की.* याचिकाकर्ता *डॉ. मिलिन्द जीवने* की ओर से *अॅड. डॉ. मोहन गवई* ने, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा *"जगन्नाथ रथयात्रा"* के अनुमती का संदर्भ दिया. यहीं नहीं *"अयोध्या राम जन्म भुमी शिलान्यास"* समारोह का भीं संदर्भ दिया गया था. तथा याचिकाकर्त्यां नें हमारे मुलभूत अधिकार, कलम १९ एवं २५ के उल्लंघन होने की बात कही.
मा. उच्च न्यायालय के सदर निर्णय का संदर्भ देकरं, डॉ. मिलिन्द जीवने इन्होने दिनांक १३ अक्तुंबर २०२० (आज) कों, *"धर्मादाय उपायुक्त, नागपुर"* इनके समक्ष, *"नियम ४१अ"* के अंतर्गत, एक तक्रार केस दाखल की. और मा. धर्मादाय उपायुक्त ने वह केस दर्ज करते हुये, *(अर्ज क्र. ३२/२०२०)* दीक्षाभूमी समिती को, *२० अक्तुबर को रिप्लाय के लिये नोटीस जारी* करने का आदेश किया. डॉ मिलिन्द जीवने की ओर से *अॅड. संदिप ताटके* इन्होने पैरवी की. *अॅड. मोहन गवई* अन्य केस में व्यस्त होने के कारण, उन्होंने कुछ मौखिक सुचनाएं दी. दीक्षाभूमी स्मारक समिती को उस दिन, अपना पक्ष भी रखना है. और शायद आदेश भी उसी दिन हो सकता है. सदर केस दाखल करने के लिये, *प्रविण मेश्राम* ने पुरा दिन प्रयास किया.
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