🔹 *ड्रगन पॅलेस टेंपल (कामठी) नागपुर में, धम्म दीक्षा दिन - १४ अक्तुबर २०२० यह पावन दिन, दिल्ली के सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम / अॅड. सुरेखा कुंभारे (माजी मंत्री) / माजी पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले इन मान्यवरों की प्रमुख उपस्थिती में धुमधाम से. वही दीक्षाभूमी में सन्नाटा...?*
(दीक्षाभूमी स्मारक समिती पदाधिकारी / नागपुर के पालक मंत्री डॉ. नितिन राऊत / एवं नागपुर प्रशासन को - *"बुध्दीभ्रम कोरोना"*...? )
* *डॉ. मिलिन्द जीवने'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल ऑफिसर
* मो.न.९३७०९८४१३८, ९८९०५८६८२२
नागपुर शहर में, *"पांच जग विख्यात / नामांकित बौध्द धरोहर"* है. एक है, प. पु. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पावन स्पर्श से बनी *"दीक्षाभूमी."* वही दुसरी बौद्ध धरोहर है, *"जय भीम"* के जनक *एल. एन. हरदास* एवं कामगार नेता / माजी सासंद *अॅड. ना. ह. कुंभारे* इनकी जन्मस्थली स्थित *"ड्रगन पॅलेस."* तिसरी एवं चवथी धरोहर है, कामठी रोड स्थित *"बुध्द भुमी एवं नागलोक."* और पाचवी धरोहर है, काटोल रोड पर *चिंचोली का डॉ. आंबेडकर संस्थान...!"* दीक्षाभूमी का निर्माण हो या, सदर पावन जगह का आवंटन हो, आज के विद्यमान ट्रस्टीयों का, वहां कुछ भी अल्प योगदान नहीं है. बस ट्रस्टीयों के बापजादों ने, अपने ना-लायक संतानो को / ना-लायक चमचों को, *"स्वयं की मालकियत"* समझ कर, उन्हे अनैतिक रूप से, वहां बिठा दिया है. दुसरे अर्थ में कहें या, हमारे गावरानी भाषा में उन्हे *"फुकट चोदु"* (FC) भी कह सकते हैं. उस FC शब्द का प्रयोग यहां करना, नैतिक दॄष्टी से सारासार गलत है. फिर भी वह शब्द प्रयोग, उन पदाधिकारीयों कें लिये जरुरी है. क्यौं कि, वे विश्वस्त बने रहने के, अब लायक नहीं रहे. *"विश्वस्त"* का अर्थ होता है - *"समाज के विश्वास योग्य व्यक्ती...!"* क्या वे पदाधिकारी, समाज के विश्र्वास पात्र रहे है...? *"दीक्षाभूमी यह हर बौध्द व्यक्ती की, चेतना भुमी है. वह आस्था भुमी है. वह उर्जा भुमी है. वह क्रांती भुमी है...!"* दीक्षाभूमी, क्या क्यां नहीं है...? *वह तो, सब कुछ है...!* उस भुमी से समस्त भारत में / समस्त विश्र्व भर में, धम्म के प्रसार - प्रचार की गुंज उठनी चाहिए थी. आंबेडकरी विचारों का, वह प्रमुख केंद्र बनना चाहिए था. बौध्द अध्ययन का, वह विख्यात केंद्र होना चाहिए था. क्या वह बन पाया है...??? - *बिलकुल नहीं...!!!* उपरोक्त उद्देश पुर्ती की आवश्यक व्यवस्था, क्या दीक्षाभूमी पर आज उपलब्ध नहीं है...??? - *बिलकुल है...!!!*
हमारे दीक्षाभूमी पर, *आंतरराष्ट्रीय बौद्ध भिख्खु प्रशिक्षण केंद्र / Buddhist Monks University / Buddhist Monks Residential Academy / Buddhist Seminary"* इस तरह का केंद्र बन सकता है. दीक्षाभूमी में, वातानुकुलीत *"Dr. Ambedkar Auditorium"* है. दीक्षाभूमी में हजारों की संख्या में, बौध्द समुदाय को बैठने के लिये स्मारक में *"Indoor Hall"* है. अच्छा भिख्खु निवास है. भिख्खु निवास को लगकर ही, और एक मिनी सभागृह है. *"क्यां नहीं है, हमारे दीक्षाभूमी पर...???"* - *सब कुछ है...!!!* पर एक कमी है, हमारे दीक्षाभूमी पर...!!! वह खास कमी है - *"उचित व्हिजन की...!"* इस लिये स्मारक समिती में, *"व्हिजनशील पदाधिकारी"* होना चाहिए...! यहां तो बिन - अकल / ना- लायक / अ-व्हिजनरी लोगों का जमावडा है. यहीं नहीं दीक्षाभुमी को, *"तिन संघवादीयों (RSS)"* द्वारा / नियंत्रण में चलाये जाने की, खुली चर्चा बौध्द जगत में हो रही है...!!!
धम्म दीक्षा दिन - १४ अक्तुबर एवं धम्म चक्र प्रवर्तन दिन - २४/२५/२६ अक्तुबर २०२० को, *"दीक्षाभूमी के समस्त गेट खुले करने के लिये"* मेरे नेतॄत्व (डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य') में, *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* का एक प्रतिनिधी मंडल - जिस में प्रा. वंदना जीवने / डॉ. किरण मेश्राम / सुर्यभान शेंडे / ममता वरठे / प्रा. वर्षा चहांदे / प्रा. नीता मेश्राम / डॉ. साधना गेडाम / अमिता फुलकर / वैशाली रामटेके / कल्याणी इंदोरकर / संध्या रंगारी / रमेश वरठे / सुरेश रंगारी आदी पदाधिकारी तब सहभागी थे. तब मैने दीक्षाभूमी स्मारक समिती के सचिव, *डॉ. सुधीर फुलझेले* के साथ हुयी मेरी चर्चा में, उपरोक्त *"व्हिजन की बातें"* कहीं थी. और उसके साथ ही, मैने एक बडी शिकायत भी कि थी.
मैने स्वयं दीक्षाभूमी स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ऑडिटरीयम में, २४ नवंबर २०१९ को *"द्वितिय अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद"* आयोजन के लिये, तथा १ मार्च २०२० को *"प्रथम अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार महिला परिषद"* आयोजन के लिये, आप को पत्र दिया था. यहीं नहीं, आप के साथ व्यक्तीगत चर्चा भी की थी. आप ने तब, इतनी सारी कंडीशन रखी की, उसे हम क्या कहे...? और दिन भर के लिये, *सभागृह का किराया रु.९०,०००/-* बताया. तब मैने कहां कि, सिव्हिल लाइन्स स्थित *"वसंतराव देशपांडे सभागृह"* का दिन भर का किराया, *रू. ३५,०००/-* है. और कॅपसिटी ९०० लोगों की है. वही दीक्षाभूमी स्थित सभागृह की कॅपसिटी, यह ४०० लोगों की है. फिर भी मैं *रू. ४०,०००/-* देता हुं. और वह चेक देने के लिये, आप लोगों से संपर्क किया. डॉ. आंबेडकर कॉलेज / स्मारक कार्यालय में भी गया. परंतु किसी ने भी, ना वह चेक लिया. ना ही सदर परिषद लेने के लिये, वह सभागृह दिया. उस घटना का जिक्र, सदर परिषद में प्रकाशित, *"समता न्याय संगर"* इस स्मारिका में किया गया है. *इतना ही नहीं, दीक्षाभूमी स्मारक समिती एवं सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल के संयुक्त तत्त्वज्ञान में भी, वह परिषद लेने की मेरी तयारी थी.* सदर परिषद दीक्षाभूमी सभागृह में होने के लिये, भारतीय रेल मंत्रालय के माजी सचिव / दीक्षाभूमी समिती के सदस्य, मेरे अच्छे मित्र *इंजी. विजय मेश्राम* (IRRS) इन्होंने भी आप को फोन किया था. अगर आप लोग, इस तरह का कु-आचरण करोंगे तो, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनका मिशन आगे कैसे बढेगा...? अगर यहीं मानसिकता रही तो, दीक्षाभूमी यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर / बुध्द विचारों का, प्रमुख प्रसार - प्रचार केंद्र कैसे बनेगा. दीक्षाभूमी पर तो रोजाना, *'सभी के सभी सभागृह में डॉ बाबासाहेब आंबेडकर / बुध्द विचारों के कार्यक्रमों का आयोजन हो...!"* यह सारी बातें भी, मैने डॉ. फुलझेले को कहीं...!!! इससे दीक्षाभूमी को आर्थिक आय भी मिलेगी. और दीक्षाभूमी यह आंबेडकरी / बुध्द विचारों का, प्रमुख प्रसार - प्रचार केंद्र बनेगा...!!!
*"ड्रगन पॅलेस टेंपल"* यह जापनीज दुसरा महत्त्वपुर्ण बौध्द धरोहर है. और अन्य भी बौद्ध धरोहर है. यहां हम "ड्रगन पॅलेस टेंपल" में संपन्न हुयें, *"धम्म दीक्षा दिन - १४ अक्तुबर २०२०"* पर चर्चा करेंगे. सदर जापनीज टेंपल की अध्यक्षा एवं हमारी अच्छी मित्र *अॅड. सुरेखा कुंभारे* इन्होने, दिल्ली सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री *राजेंद्र पाल गौतम* एवं माजी मंत्री / नागपुर शहर के पालकमंत्री *चंद्रशेखर बावनकुले* इनकी प्रमुख उपस्थिती में, बौध्द समुदाय को आंमत्रित करते हुये / कोरोना संक्रमण (?) की सामाजिक दुरीया रखकर कार्यक्रम लिया है. और सदर कार्यक्रम की न्युज विभिन्न चॅनलों पर दिखाई दी. वर्तमान पत्र में उस कार्यक्रम को, अच्छा कव्हरेज भी मिला. *"अगर अॅड. सुरेखा कुंभारे ड्रगन पॅलेस टेंपल में, "धम्म दीक्षा दिन - १४ अक्तुबर २०२० समारोह का, सफल आयोजन कर सकती है तो, दीक्षाभूमी स्मारक समिती क्यौं नहीं...???"* यहां सवाल सदर कार्यक्रम लेने के, बडे इच्छा शक्ती का था...!!! हमारे अच्छे मित्र महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री / नागपुर के पालकमंत्री *डॉ.नितिन राऊत* साहाब को, अगर *"बुध्दीभ्रम कोरोना"* हुआ हो तो, नागपुर के प्रशासन - विभागीय आयुक्त / जिलाधिकारी / मनपा आयुक्त / पौलिस आयुक्त इनको *"बुध्दीभ्रम कोरोना"* होना तो, बहुत स्वाभाविक है. वही दीक्षाभूमी स्मारक समिती, *"संघ गुलामी"* में जखडी हो तो, *"बुध्दीभ्रम कोरोना"* यह सातवे आसमान पर, पहुंचने में, देर कैसे हो सकती है....??? साथ में, डॉ. नितिन राऊत की निष्क्रियता - जिंदाबाद....???
मा. उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ के विद्वत न्यायामुर्ती द्वय *रवी देशपांडे / पुष्पा गणोडीवाला* इन्होने, मेरी (डॉ. मिलिन्द जीवने) "धम्म चक्र प्रवर्तन दिन" पर दीक्षाभूमी गेट खुले करने संदर्भ की याचिका - *(W.P. (ST) No. 9691/2020)* "प. पु. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिती" यह ट्रस्ट होने से, हस्तक्षेप करने से मना किया है. *अब सवाल फिर, मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा "जगन्नाथ रथ यात्रा" इस ट्रस्ट को, दिये गये अनुमती का भी है...!!!* वही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के *"जगन्नाथ रथ यात्रा / अयोध्या रामजन्म भुमी शिलाण्यास"* इस खाजगी कार्यक्रम मे, उपस्थित होने का है. अभी अभी *"शबरी माता मंदिर"* पांच दिनों तक, खुले करने का भी है ? दुसरा अहं विषय यह कि, *"क्या Civil Penal Code - CPC Act यह मा. उच्च न्यायालय को लागु है या नहीं...?"* यह मेरे साधारण से व्यक्ती का, एक साधारण सा प्रश्न है. मा. अलाहाबाद उच्च न्यायालय नें *श्रीधर मिश्रा विरूद्ध जयचंद्र विद्यालंकार* इस केस में, (AIR 1959 All 598) सिव्हिल पिनल कोड (CPC) - सेक्शन ०९ तथा Specific Relief Act के सेक्शन ४२ का जिक्र किया है. सदर जजमेंट में मा. अलाहाबाद उच्च न्यायालय, CPC Act / Section 9 का हवाला देते हुये कहता है कि, *"The Courts shall have jurisdiction to try suits of a civil nature excepting suits of which their cognizance is either expressly or implidedly barred."* वही मेरी उस याचिका में, कोरोना संदर्भ में सरकार के विभिन्न रिपोर्ट का जिक्र है. और उस कोरोना रिपोर्ट संदर्भ में, *"कोर्ट कमिशनर"* के नियुक्ती की मांग की गयी थी. अगर भारत का पिछले तिनं साल का *"मॄत्यु दर - Death Report"* में, सन २०१७ - ७.२१% / सन २०१८ - ७.२३% / सन २०१९ - ७.२७% अर्थात ७.३ रहा है. *और "कोरोना संक्रमण / कोविड - १९" काल में, सदर मॄत्यु दर ७.३% ही है."* कोई विशेष बढोत्तरी नहीं है. वही न्युमोनिया / हार्ट अॅटक / टी. बी. / हेपॅटाईटीस / कॅन्सर / अन्य रोग / अपघात आदी से मरने का प्रमाण क्या है...??? वही भारत सरकार के स्वास्थ मंत्रालय कहता है कि, कोरोना संक्रमण / कोविड - १९ का *"रिकव्हरी रेट यह ८५ - ८७%"* है. वही कोरोना संक्रमण रेट यह *"१३ - १४%"* है. अगर भारत सरकार का अहवाल इस तरह का हो तो, *"कोव्हिड व्हक्सिन"* की जरूरत क्या है...??? मेरा यह लेख लिखने का / मा. उच्च न्यायालय जाने का प्रयोजन, *"यह केवल दीक्षाभूमी के दरवाजे खोलने का ही नहीं है. तो भारत की बिघडती आर्थिक अवस्था / सामाजिक अवस्था को सुधारणा भी है....!!!"* सब से बडा सवाल है, भारतीय व्यवस्था को एवं जनता को लगे *"बुध्दीभ्रम कोरोना"* को, कैसे दुर किया जाएं...? हम सभी के मुंह पर लगा, यह *"ऑक्सीजन रोधक मास्क,"* कैसे हटें...?? जहरिला केमीकल *"सॅनिटायझर"* के जादातर वापर से, हम कैसे बंचे...??? हम रोजाना *"अच्छा आहार - विहार - व्यायाम"* करने की अच्छी आदत, कब और कैसे डाले...???? *"कोरोना डर"* भगाने के लिये, कैसे जुटे...?????
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* *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल ऑफिसर
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९८९०५८६८२२
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