Monday 8 July 2024

 👌 *दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग राजनीति में दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के (?) स्वयंघोषित ट्रस्टी - भीमराव य. आंबेडकर से लेकर कांग्रेसी विधायक द्वय डॉ नितिन राऊत + विकास ठाकरे तक की सत्य नीति ....!!!* (क्या वे सभी महामहिम दो माह के अंदर आरोग्य विभाग तथा कृषी विभाग की जमिन आंबटीत कराकर ७/१२ नाम दर्ज करा देंगे ? एक प्रश्न)

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२



       दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग संदर्भ एल्गार के, *"श्रेय देने की राजनीति"* भी बहुत गजब की है. सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल के राष्ट्रिय अध्यक्ष *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* इनको, लोकमत के पत्रकार / चिंतक *प्रा. रणजित मेश्राम* इनका "दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग" के संदर्भ में, २२ नवंबर २०२३ को, एक फोन आया था. मेश्राम जी कह रहे थे कि, *"धम्म मित्र, क्या यह भुमिगत पार्किंग बनाना ठिक है ? इस भुमिगत बांधकाम से, दीक्षाभूमी स्मारक को कोई हानी तो नहीं होगी ?"* प्रा मेश्राम जी को मेरा उत्तर रहता है कि, "कल मैं दीक्षाभूमी जाकर ही, इस पर बयाण जाहीर करूंगा."  दुसरे दिन २३ नवंबर २०२३ को, *मैं स्वयं (डॉ. मिलिन्द जीवने)* अपनी सीआरपीसी (CRPC) टीम - इंजी. गौतम हेंदरे / शंकरराव ढेंगरे / डॉ मनिषा घोष / डॉ. भारती लांजेवार इनके साथ, दीक्षाभूमी गया था. घटना स्थल के कुछ फोटो भी खिंचे है. सदर दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग संदर्भ में, एक लेख लिखकर, समस्त मिडिया में वो प्रकाशित भी किया. उस संदर्भ में तत्काल प्रतिक्रिया नहीं हुयी. दिनांक १ जुलै २०२४ तक, *"दीक्षाभूमी स्मारक समिती"* को, उत्तर देने का समय दिया जाता है. समस्त आंबेडकरी जनता आक्रोशीत होकर, दीक्षाभूमी पहुचती है. महाराष्ट्र शासन / दीक्षाभूमी स्मारक समिती को, *"दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग को बांधकाम स्थगिती"* का निर्णय लिया जाता है.‌ उल्हासित आंबेडकरी जनता से, *"भुमिगत पार्किंग क्षेत्र पर"* हमला कर देता है...! सेंट्रिंग वगैरे को जलाया भी जाता है / पिलर आदी को तोडने का प्रयास किया जाता है. दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग बांधकाम को, आम जन - मन को, इनकी जानकारी नहीं दी जाती. आक्रमक जनता आक्रमक हो उठती है. सवाल यह है कि, *"इस घटना के असली दोषी कौन है ? स्मारक समिती / या नागपुर सुधार प्रन्यास / महाराष्ट्र सरकार.…!"*

      हमें यह समझना बहुत जरुरी है कि, दिनांक १ जुलै २०२४ तक, ना ही - नागपुर के विधायक द्वय *डॉ.‌ नितीन राऊत / विकास ठाकरे* हो या, बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के *स्वयंघोषित* (वे तो संविधानिक पदाधिकारी नहीं है) राष्ट्रिय कार्याध्यक्ष *भीमराव यशवंत आंबेडकर* हो या, वंचित बहुजन आघाडी के राष्ट्रिय नेता - *एड. प्रकाश आंबेडकर* हो, ना कोई आवाज उठाता दिखा है. दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग के विरोध में, १ जुलै २०२४ को, एक लाख के आस पास, आंबेडकरी सैलाब उमडता है.‌ दीक्षाभूमी भुमिगत पार्किंग के विरोध में, वो एल्गार सफल होता है. तब गली गली के मेंढक उछलने शुरु कर देते है. *भीमराव य. आंबेडकर* तो १ जुलै २०२४ को, दीक्षाभूमी में आने की घोषणा करता है, उस दिन नहीं आता. वो ५ जुलै को दीक्षाभूमी में आकर, बडी बडी डिंगे भी ठोकता है. आगे हम भीमराव आंबेडकर के बयाण पर, कुछ चर्चा करेंगे.‌ वही नागपुर के विधायक द्वय *डॉ. नितीन राऊत / विकास ठाकरे*  इनकी, १ जुलै २०२४ के पहले खामोशी रहती है. वो *"एल्गार के सफल होने"* पर, *"विधान सभा में आवाज"* उठाते है. और ६ जुलै २०२४ को दीक्षाभूमी जाते है. *एड. प्रकाश य.‌ आंबेडकर* इनका तो, इस संदर्भ में कोई भी, अता पता ही नहीं. क्या ये सभी *उपरी महामहिम* दो माह के अंदर, *"दीक्षाभूमी के लिये आरोग्य विभाग / कृषी विभाग की जमिन आंबटीत कराकर देंगे ?"*  यह अहं प्रश्न है. *"दीक्षाभूमी स्मारक समिती सदस्यों"* की तो, वो राजकीय / वैचारिक औकात ही नहीं, वे सदर दोनो जमिन दीक्षाभूमी के लिये, दीक्षाभूमी के नाम दर्ज कर सके. बसं, दीक्षाभूमी स्मारक भुमी पर, *"शिक्षा नाद माध्यम"* से, क्या पैसा जुटाने में लगे हैं ? *कर्मचारी भरती में गोलमाल ???* दीक्षाभूमी धार्मिक समारोह से, कमाई करने का जरीया पुरा नहीं किया जा सकता.‌ समाज कल्याण विभाग द्वारा बनाया गया, *"आलिशान सभागृह"* के रख-रखाव का (Maintenance) प्रश्न भी रहा है. दीक्षाभूमी के रख-रखाव का भी प्रश्न है.‌ और अब भुमिगत पार्किंग ???

      डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा स्थापित - *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया"* (TBSI) इस "राष्ट्रिय संंघटन" के तथाकथित / स्वयंघोषित (वे तो संविधानिक पदाधिकारी नहीं है) राष्ट्रिय कार्याध्यक्ष - *भीमराव य. आंबेडकर* इन्होने तो, दिनांक ५ जुलै २०२४ को पावन दीक्षाभूमी पर कहा कि, *"दीक्षाभूमी की जागा १९६० को, भारतीय बौद्ध महासभा को दी गयी थी.‌ केवल स्तुप बनाने के लिये, स्मारक समिती का गठण किया गया था. और उस संदर्भ में उनके पास सबुत भी है."* यह अच्छी बात है कि, दीक्षाभूमी का ताबा, यह *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया"* (TBSI) इनके पास रहे. पर क्या दीक्षाभूमी की वह जगह, TBSI के *"शेड्युल वन"* पर दर्ज है ? यह प्रश्न है. *"मेरे पास TBSI के, वे समुचे दस्तवेज उपलब्ध है."* और वे कुछ दस्तावेज पीडीएफ फाईल में, मैं मिडिया पोष्ट पर डालने जा रहा हुं. उस *"TBSI शेड्युल वन"* पर, *दीक्षाभूमी के जगह* का कोई उल्लेख नहीं है. अभी तो, "*धर्मादाय कार्यालय मुंबई"* में *"शेड्युल वन"* प्रती उपलब्ध नहीं है. *किड लगने* से, वह दस्तावेज नष्ट हो गया है. उस संदर्भ का पत्र भी, मेरे पास आज उपलब्ध है. *भीमराव य. आंबेडकर* जी, आपने वो दस्तावेज *जनता के सामने,* अब तक क्यौं नहीं लाया है ? *"शेड्युल वन"* पर आज तक उसकी नोंद, क्यौं नहीं की गयी ? इसका भी उत्तर, आप को जनता को भी देना होगा. दुसरी बात यह कि, आप की मां - *मीराताई आंबेडकर* इन्होने, TBSI इस संघटन के इंग्रजी नाम का, मराठी नामकरण *"भारतीय बौद्ध महासभा"* कराकर, अवैध रुप से वह पंजीकरण किया था, उसका क्या ? बाद में‌ वह मराठी नामकरण नोंदणी, धर्मादाय कार्यालय ने रद्द की. आपकी मां द्वारा *सर्वोच्च न्यायालय* में दायर याचिका, डिसमिस होने पर भी *"चैत्यभूमी तथा बुध्द भुषण प्रिंटींग प्रेस"* का ताबा TBSI को, क्यौं नहीं हस्तांतरण किया गया था ? *क्या आप (भीमराव य.‌ आंबेडकर) TBSI इस संगठन के, संविधानिक पदाधिकारी है ?* TBSI इस राष्ट्रिय संगठन के *चंद्रबोधी पाटील हो या, राजरत्न आंबेडकर हो या, भीमराव य. आंबेडकर हो*  पदाधिकारी ना होकर भी, जो अवैध सत्तानीति चल रही है, क्या आप सभी नेता लोगों के अस्सल लक्ष, *महाराष्ट्र शासन के ट्रेझरी में जमा TBSI के १२ करोड की राशी पर है ?* इस पर भी जबाब सादर करे. *अशोक आंबेडकर / डॉ. पी. जी. ज्योतिकर* यह दोनो भी ट्रस्टी, आज जिवित नहीं है.‌ अब उनके द्वारा दायर *"चेंज रिपोर्ट"* पर, उनका *"पक्ष रखने का अधिकार"* किसके पास सुरक्षित है ? उन ट्रस्टी के नाम से, *"शपथपत्र (Affidavit) धर्मादाय कार्यालय"* में सादर करने का अधिकारी, आज कौन है ? *मीराबाई आंबेडकर / राजरत्न अ. आंबेडकर / पी. जी. ज्योतिकर / चंद्रबोधी पाटील* इन्होने, तमाम आंबेडकरी जनता से / महाराष्ट्र शासन से, लाखों की राशी ली है, *"परंतु उसका हिशोब सन २००९ से, मा. धर्मादाय कार्यालय में सादर नहीं किया गया ?"* इस कारणवश *"TBSI की मान्यता रद्द होती हो"* तो, इस के लिये जिम्मेदार कौन है ? बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर साहाब ने, TBSI का पंजीकरण *"सोसायटी एक्ट तहत करते हुये, हर तिन साल में चुनाव कराने की, व्यवस्था की हुयी थी."*  परंतु किस महारथी ने, *"सोसायटी एक्ट पंजीकरण को रद्द कर, बाम्बे ट्रस्ट एक्ट तहत पंजीकरण कराकर, चुनाव पध्दती को हटाया गया"* यह व्यवस्था की थी, उसका नाम घोषित करे. *मैने स्वयं (डॉ. मिलिंद जीवने विरूद्ध आप सभी पदाधिकारी) केस क्र. १७/२०१९* को, मा. धर्मादाय कार्यालय में एक केस दायर कर, *"बाबासाहेब डॉ आंबेडकर लिखित TBSI नियमावली Restoration"* के लिये, केस दायर की थी, इस पर भीमराव आंबेडकर जी, आप का अभिप्राय सादर करे. फिर *"दीक्षाभूमी स्मारक जगह"* को, TBSI के हस्तांतरण मांग पर हम चर्चा करेंगे. *"TBSI संघठण के संविधानिक पदाधिकारी आज कौन कौन है ?"* - मीराबाई यशवंत आंबेडकर / राजरत्न आंबेडकर / चंद्रबोधी पाटील या और कौन ???

        अगर कोई महामानव मुझे यह पुछं रहा हो की, "आप किस अधिकार से इन महामानवों को, यह प्रश्न कर रहे है ?" यह तो आंबेडकरी जनता की आवाज़ है. *एड.  प्रकाश आंबेडकर* इनको चालिस साल पहले, आंबेडकरी आवाम के सामने परिचीत कराने का, धनवटे रंगमंदिर नागपुर में, *प्रा.‌ डॉ. आनंद जीवने* भाऊ इनकी अध्यक्षता में, श्याम को बडा कार्यक्रम लिया गया था. उस अवसर पर, *मुझे (डॉ मिलिन्द जीवने)* एड. प्रकाश आंबेडकर इनका स्वागत करने की जबाबदारी मिली थी. और सुबह काल में, *एड. प्रकाश आंबेडकर इनको हत्ती पर बिठाकर,* ५० - ६० हजार लोगो की उपस्थिती में बडी रैली निकाली गयी थी. और *"एड. प्रकाश आंबेडकर इनसे बहुत बहुत कुछ आशाएं भी की गयी थी."* वह घटना मुझे आज भी याद है. वही आज से १४ - १५ साल पहले, नागपुर के रवी भवन में, *"एड. प्रकाश आंबेडकर - मेरे बीच हुयी चर्चा"* को, प्रकाश आंबेडकर कभी भुलेंगे नहीं. *"जो लोग अपनी इतिहास यादों को भुलाते है, वो कभी इतिहास नहीं रचा करते."* मैं तो अपने अतित की यादों को भी, बहुत ही संभाले रखता हुं. मुझे तो *"कोरोना काल"* की वो घटना आज भी याद है. जब *"विजया दशमी"* के पावन अवसर पर, दीक्षाभूमी में *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* समारोह को, स्थगित करना पड गया था. साथ ही *"दीक्षाभूमी के दरवाजे बंद"* किये गये थे. परंतु जब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर, *"जगन्नाथ पुरी रथयात्रा"* को हरी झंडी मिली थी, तथा नागपुर के *"संघ भुमी में शस्त्र पुजन"* का कार्यक्रम घोषित हुआ था, तब *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल"* इस मेरे संघटन माध्यम से, *मेरे ही नेतृत्व* में *"दीक्षाभूमी दरवाजे खुला करने"* के लिये, आंदोलन किया गया था. तब मेरे सहपाठी - *सुर्यभान शेंडे / शंकरराव ढेंगरे / प्रा. वंदना जीवने / डॉ. किरण मेश्राम / दीपाली शंभरकर / डॉ. मनिषा घोष / प्रा. डॉ. वर्षा चहांदे / डॉ. भारती लांजेवार / ममता वरठे / चैताली रामटेके / कल्याणी इंदुरकर / इंजी. माधवी जांभुलकर / प्रा. डॉ. नीता मेश्राम / डॉ. राजेश नंदेश्वर* आदी  की उपस्थिती रही थी. तथा मा. उच्च न्यायालय नागपुर खंडपीठ में तिन याचिका - WP No. (ST) 9691/2020, WP No. 4159/2020 तथा WP No. Stamp No. WIST /10860/2020  मैने दायर की थी.‌‌ सदर याचिका में मेरी ओर से, नयी दिल्ली के नामचिन वकिल *एड. चेतन बैरवा / एड. डॉ. मोहन गवई / एड. बी. बी. रायपुरे / एड. संदिप ताटके* इन्होने, किसी भी तरह की कोई वकिल फी ना लेकरं, वह मेरी केस लढी थी. और *"सीआरपीसी"* द्वारा किये गये आंदोलन से, *"दीक्षाभूमी के दरवाजे खुल"* गये थे. वही बात *"संविधान यह साहित्य नहीं है.‌ संविधान यह कानुनी किताब ना होकर, वह केवल एक कानुनी दस्तावेज है"*  इस संदर्भ में, माजी सनदी अधिकारी - *इ. झेड. खोब्रागडे* इनके विरोध में, याचिका क्र. 3940/2019 डाली गयी थी. और इस प्रकार *"भारत का संविधान"* बचाने का प्रयास, हमारी संघटन की ओर से किया गया. *"दीक्षाभूमी स्मारक"* यह हमारी चेतना है. और वहां कार्यरत सदस्य यह *"ट्रस्टी - विश्वस्त"* है. अर्थात आंबेडकरी जन मन के *"विश्वस्त - विश्वास करने योग्य व्यक्ती"* होना, वो बहुत जरुरी है. अगर उन सदस्यों पर जन - मन का विश्वास ना हो तो, पद से दुर होना यह उनकी नैतिक जबाबदारी है. दीक्षाभूमी स्मारक समिती सदस्यों को, यह समझना जरुरी है कि, *"वे केवल दीक्षाभूमी के विश्वस्त है, मालक नहीं....!"*  अत: आंबेडकरी जनता की भावना को, उन तमाम सदस्यों को समझना जरुरी है...! तथा *"भाजपा / कांग्रेस इन राजकीय दलों"* को भी, यह समझना जरुरी है कि, अगला *"विधान सभा चुनाव"* बहुत पास है. आने वाले दो माह के अंदर, *"आरोग्य विभाग / कृषी विभाग की जमिन, दीक्षाभूमी को आंबटीत किया जाएं. नहीं तो ....???"* आंबेडकरी सैलाब कभी भी उठ खडा हो सकता है.‌ जय भीम !!!


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*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

नागपुर, दिनांक ८ जुलै २०२४

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