Saturday, 7 September 2024

 👌 *डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अस्थीधातु यात्रा निकालने वाले एक भंते (?) को नांदेड में चाटा जडने से (इस के पहले) फिर यात्रा स्थगित गयी थी : एक समाचार ! क्या यही हश्र महाठग - नितीन गजभिये के साथ तो (?)* (भिमराव आंबेडकर / आनंदराज आंबेडकर तथा अन्य मान्यवरों को जाणकारी के लिये)

     *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२३


        कथित तौर पर - *"पावन बुध्द अस्थिधातु कलश / सारीपुत्त - मोग्गलान अस्थीधातु / डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अस्थीधातु यात्रा"* के नाम पर, बडी महाठगी आयोजन करनेवाले *महाठग - नितीन गजभिये* इसके विरोध में, महाराष्ट्र / मध्य प्रदेश में जन मन माहोल, बहुत खासा गरम दिखाई देता है. सदर *अस्थीधातु के संदर्भ में कोई खास ऐसा ऐतिहासीक प्रमाण, महाठग - नितिन गजभिये के पास नहीं है.* इस प्रकार के आयोजन से *"मिलनेवाला दान"* ही, महाठग - नितीन गजभिये का मुख्य लक्ष रहा है. इसके पहले भी मिले *"अस्थीधातु के लाखो रुपयें के दान का गभण / बुद्ध मुर्ती की अवैध तस्करी से पैसा कमाना"* आदी महाठग का व्यवसाय रहा है. वो महाठग आंबेडकरी / बौध्द समाज के *"भावना से खेल"* किया करता रहा है. लोगों को विविध गतिविधियों के नाम से, *"ठगी करता"* रहा है. मेरा इस विषय संदर्भ का लेख पढ पर, *"नांदेड शहर"* की एक घटना मुझे बतायी गयी है. जहाँ मुंबई के एक भंते ने, इसी प्रकार की *"डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अस्थीधातु यात्रा"* निकाली थी. बौध्द धर्म में इस तरह के प्रदर्शन को मनायी है. और बौध्द भंते का काम यह तो *"धर्म प्रसार / प्रचार"* करना है. लोगों को धम्म का ज्ञान देना होता है. यह पावन काम ना कर, *"अस्थीधातु यात्रा"* उस भंते द्वारा निकालने कारण, भंते को सभी जनता के सामने *"चाटा"* लगाया गया था. आखिर उस भंते (?) ने, उस अस्थीधातु यात्रा को, वही रोक दी थी. क्या यही घटना *महाठग नितिन गजभिये* के साथ हो सकती है (?).

       महाठग - नितिन गजभिये नामक यह गुंडा, पहले *"पेट्रोल पंप पर पेट्रोल देनेवाला नोकर"* था. लोगों से प्लॉट के नाम पर, महाठगी करते करते आर्थिक श्रोत जमाते गया. उसके *"मिठा बोलने"* की कला सें, जन मन फसते गया है. महाठगी से पैसा मिलने के बाद, उन शिकार लोगों को *"गाली गलोच करना / जीवे मारणे की धमकी देना"* यह भी व्यवहार होते गया. उसके कई शौक भी रहे है. बडा रंगिला किस्म का वो व्यक्ती है. उसके साथ जुडे हुये पुराने लोग, यह सभी बातें बतायेंगे. वो किसी भी व्यक्ती को, चिरकाल अपने साथ नहीं रखता है. *"हमेशा आदमी बदलना"* यह उसकी खाशीयत रही है. और महाठग की यही तो विशेषता होती है. तिन चार दिन पहले, इस संदर्भ में *"मेरा लेख आने"* पर, महाठग की हरकते बहुत बढ गयी है. उसे किसी बदनामी का डर नहीं है. वो बेशरम व्यक्ती है. ४ सितंबर २०२४ को, *"पाचपावली पोलिस स्टेशन नागपुर"* में शिकायत दर्ज करने के बाद, लोगों को *भीमराव यशवंत आंबेडकर* यह अब अस्थी के साथ ना रहकर, किसी कार्यक्रम में सहभागी होने की बात, महाठग कह रहा है. और *"आनंदराज यशवंत आंबेडकर* भी साथ होने की, फोटो वो व्हायरल कर रहा है. *आनंदराज आंबेडकर / भीमराव आंबेडकर* इन्होने स्वयं, इस संदर्भ में *"पत्र परिषद"* ना लेने के कारण, लोगों को उन आंबेडकर बंधुंओ पर, विश्वास नहीं दिखाई देता. अत: इस संदर्भ में, क्या निर्णय लिया जाए ? यह तो *आंबेडकर बंधुंओ* का निजी प्रश्न है. वही एक बात चर्चा है कि, *"श्रीलंका आर्किओलॉजी विभाग"* ने, अपने *"अस्थी संदर्भ"* के पहले दिये *"ना हरकत प्रमाणपत्र"* को स्थगिती दी है. परंतु अधिकारीक तौर पर, वह पत्र अभी भी अप्राप्त है. जय भीम !


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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

नागपुर, दिनांक ७ सितंबर २०२४

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