Tuesday, 7 February 2023

 🎼 *मेरा जीवन ही....!*

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

       मो. न. ९३७०९८४१३८


मेरा जीवन ही ये मेरा गीत - संगित है

वो संगित में बुध्द है और कुछ भी नही...


ये अनमोल मिशन ही सामने पडा है

उसके बिना ना हमारा वो उध्दार नहीं

उसे चलाने को तो हमे एक होना है

वो प्रेम तराना ही हमारी मंजिल सही...


हम अलग बिखरकर हमे मिला क्या है

दु:ख के बादल और छाया कोहरा ही

सदियों से जुल्म सितम ढाये जा रहे है

फिर भी वह समझ हमे आयी कहां ही...


आगे तुम आना‌‌ एक कदम बढा जा

दुसरा भी फिर दो कदम बढा़येगा ही

अब केवल हमे हमारा अहं छोडना है

उसके बिना उध्दार जीवन रास्ता नही...


हमे भीम सुगंध का वो सहारा मिला है

साथ में बुध्द मन का बगिचा रहा ही

हम भ़वरा बने फुल कण चुसते रहे है

चले उस कण को हम मधु बनाये ही...


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