🎓 *एडव्होकेट (एमेडमेंट) बील २०२५ यह ड्राफ्ट आने से वकिल वर्ग में बडी बेचैनी वही पक्षकार वर्ग में खुशी का माहोल !*
*डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
समस्त वकिल वर्ग को, उनके वकिली पेशा संदर्भ में, *"न्यायालय के नियम पालन एवं पक्षकार वर्ग से व्यवहार"* इस संदर्भ में, *"एडव्होकेट एक्ट (कानुन) १९६१"* यह पहले से ही विद्यमान है. सदर कानुन के अधिन ही, *"Bar Council of India & State Bar Council"* का गठण किया गया है. इस तरह के कानुन, *"डाक्टर"* आदी वर्ग के लिये भी, पहले से ही वह निर्धारीत किये गये है. ता कि कोई भी संबंधित पेशा वर्ग, अपने उस पेशा का दुरुपयोग ना करे. अभी अभी भारत सरकार ने, वकिल वर्ग से संबंधित पुराना *"एडहोकेट एक्ट १९६१"* इस मे *"सुधार"* करने के लिये, *"एडव्होकेट (एमेडमेंट) बील २००५"* यह लाते हुये, २८ फरवरी २०२५ तक, जन मन से उनके विचार मंगाये हुये है. सदर बील पर, लोगों द्वारा भेजे गये विचारों का अध्ययन कर, *"एडव्होकेट (एमेडमेंट) बील २०२५"* इस को, अंतिम रुप वह दिया जाएगा. और संसद के दोनो सदनो में उसे पारीत कर, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के पश्चात, वह *"एडव्होकेट एक्ट कानुन २०२५"* अस्तित्व में आयेगा. परंतु भारत सरकार पुरस्कृत उपरोक्त बील के कुछ धाराओं पर, कुछ विद्वान (?) वकील वर्ग में, बडी बेचैनी सी दिखाई दी है. अत: हम उस बेचैन करनेवाले धाराओं पर चर्चा करेंगे.
"एडव्होकेट (एमेडमेंट) बील २०२५" की *धारा 4* अंतर्गत बार कौन्सिल में *"सरकारी सदस्य नामिनीत करने"* का प्रावधान किया गया है. नये बिल में *धारा 35A* नयी जोडी गयी है. जो धारा *"Prohibition on the boycott or abstraction from court work"* से जुडी हुयी है. अर्थात बार कौन्सिल का कोई भी वकिल *"हडताल / बायकॉट"* नहीं कर पायेगा. अगर इसका उल्लंघन किया गया तो, उसे *"Misconduct"* स्वरूप माना जाएगा. और उस दोषी वकिल पर शिस्तभंग समिती की माध्यम से, *"शिस्तभंग की कारवाई"* की जाने का प्रावधान है. अगर *"हडताल आदी करना हो तो,"* न्यायालय कार्यकाल समाप्त होने के उपरांत करने का जिक्र है. *"धारा 9B"* अंतर्गत misconduct होने पर, शिस्तभंग कारवाई के बाद *"वकिली पेशा से बेदखल"* (Remove) किया जाएगा. *"धारा 26A"* अंतर्गत *"Power to remove names from rolls"* का भी प्रावधान है. अगर वकिल शिस्तभंग समिती द्वारा दोषी पाये जाने पर, दोषी वकिल को *"वकिली पेशा से बेदखल"* (Remove) करने का खास प्रावधान है. *"धारा 45B"* अंतर्गत *"Liabilities for misconduct in certain cases"* अन्वये अगर *"पक्षकार"* को, किसी वकिल द्वारा जबरण misconduct किया गया हो तो, सदर *"पिडित पक्षकार"* यह, उस दोषी वकिल की शिकायत कर सकता है. उस दोषी वकिल पर *"Bar Council"* या *"Consumer Court"* में, मुकदमा भी (Offence / Civil) दायर किया जा सकता है. *"धारा 49A"* तथा *"धारा CC"* अंतर्गत *"विदेशी वकिल"* को भारत में प्रॅक्टिस करने संदर्भ मे, नियम बनाने का सरकार को अधिकार है इस प्रकार के प्रमुख बिंदुओ पर, वकिल वर्ग बेचैन दिखाई दे रहा है. परंतु उपरोक्त प्रावधान यह *"डॉक्टर एक्ट"* में भी, हमे निहित दिखाई देता है. ता कि डॉक्टर हो या वकिल, वह *"अपने पेशे का दुरुपयोग ना करे."* इस लिये डॉक्टर और वकिल वर्ग को, *"Consumer"* श्रेणी में लाया गया है. क्यौं कि *"इन वर्गो"* ने, यह उदात्त पेशा, यह *"सेवा"* ना समझकर उसे *"व्यापार"* स्वरूप बनाया हुआ है.
७ नवंबर २०२४ को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा, Bar of Indian Lawyer vs D K Gandhi & Other केस नं *"Civil Appeal No 2646/2009 तथा 2647/2009"* मे वकिल वर्ग को *"Consumer Protection Act"* से बाहर (पॅरा ६ देखे) रखा था. परंतु अब *वकिल* यह *"कंझुमर कोर्ट"* के अधिन लाया गया है. पहले *डॉक्टर* भी कंझुमर श्रेणी में नहीं था. उसे भी डॉक्टर एक्ट में, *"कंझुमर श्रेणी"* में लाया गया है. अत: इस कानुन प्रावधान से, *"झोलाछाप डॉक्टर हो या वकिल"* इन्हे, दिन में भी तारे दिखाई देंगे. वकिली पेशा में *"पक्षकार को लुटना / तारीख पर खडा ना होना / केस ठिक से ना लढना"* आदी बातो पर नियंत्रण आ सकता है. वकिल वर्ग अपने केस के प्रति ज्यादा सिरियस रहेगा. सदर बील पर जो कोई व्यक्ती अपना सुझाव देना चाहेगा, वह व्यक्ती २८ फरवरी २०२५ के पहले निम्न इमेल पर, अपना सुझाव भेज सकता है.
ईमेल - dhruvakumar.1973@gov.in
impcell-dla@nic.in
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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर दिनांक २१ फरवरी २०२५
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