Thursday, 9 January 2025

 👌 *युद्ध से हटकर ...!*

      *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर 

      मो. न. ९३७०९८४१३८


युध्द से हटकर बुध्द के दामन में जाना हैं 

हिंसा से हटकर अहिंसा का दामन छुना है...


हमें युं मिली आजादी तो उसे ना खोना है

हर पर उस आजादी को हमें तो बचाना है

जीवन के किसी भी मोड़ ना धोका देना है

चेतन मन को हर पल बुध्द नाद सुनाना है...


हमें हर पल ही ये निसर्ग चमन में रहना है

निसर्ग से दोस्ती ही हमारा एक मकसद है

ना ही उन सुंदर फुलों में खंजर छुपाना है

प्रेम मैत्री बंधुता से बढ़कर कुछ भी नहीं है...


अत्त दिपो भवो ये भावों को ही युं जगाना है

धर्म अंधता अवगुणों को कोसो दुर करना है 

हे सुरज चॉंद चांदणी यह निसर्ग का सत्य है

फिर देवांध को छोडे बुध्द विचार जगाना है...


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नागपुर, दिनांक ६ जनवरी २०२५

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