Wednesday, 29 January 2025

 ‌🛕 *प्रयागराज के महाकुंभ मेला में अखंड हिंदु राष्ट्र निर्माण के लिये नये हिंदु संविधान मंजुरी की असंवैधानिक पहल ?* (आने वाले ३ फरवरी २०२५ को भारतीय संविधान पर खतरा होने पर भी, केंद्र सरकार की विवश खामोशता)

      *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


      उत्तर प्रदेश प्रयागराज में *"महाकुंभ मेला २०२५"* बडे सहोल्लास चल रहा है. महाकुंभ के दो वर्ष पहले, २९ जनवरी २०२२ को *"संत सम्मेलन"* का आयोजन, प्रयागराज में किया गया था. स्थानिक प्रशासन द्वारा *"धर्म संसद"* इस नाम के आयोजन को, अनुमती ना देने के कारण, *"संत सम्मेलन"* यह नामकरण करते हुये, *"अखंड हिंदु राष्ट्र निर्माण"* करने हेतु, २५ सदस्यीय *"अखंड हिंदु राष्ट्र संविधान निर्माण समिती"* का गठण भी किया गया था. सदर हिंदु संविधान निर्माण समिती में, १४ विद्वान (?) उत्तर भारत के / ११ विद्वान (?) दक्षिण भारत के नियुक्त किये गये थे. सदर समिती में *"सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश"* भी रहे है. हिंदु राष्ट्र संविधान निर्माण समिती के संरक्षक श्यामभवी पिठेश्वर के *आनंद स्वरूप* तथा प्रारुप समिती के अध्यक्ष *डॉ. कामेश्वर प्रसाद उपाध्याय* इनकी नियुक्ती की गयी. सदर समिती ने *"१२ महिने १२ दिन"* बडी मेहनत (?) करते हुये *"५०१ पेज का हिंदु राष्ट्र संविधान प्रारुप"* बनाया है. अब चर्चा है की प्रयाग राज *"महाकुंभ मेला २०२५"* में, इसे स्वीकृत मिलने के बाद, भारत के *"चार पीठो के शंकराचार्य"* (श्रृंगेरी पीठ, केरला - यजुर्वेद / शारदा पीठ, गुजरात - सामवेद / ज्योतीर्मठ, उत्तराखंड - अथर्ववेद / गोवर्धन पीठ, ओरीसा - ऋग्वेद) इनकी अनुमती के लिये, उनके पास वह भेजा जाएगा. उनकी अनुमती मिलने बाद, वह हिंदु राष्ट्र के संविधान प्रारुप, *"केंद्र सरकार"* को भेजकर, *"अखंड हिंदु राष्ट्र का निर्माण तथा हिंदु राष्ट्र संविधान"* को अमल के लिये भेजकर, *"सन २०३५"* से इसे लागु किया जाएगा. और आनेवाले *"३ फरवरी २०२५"* को, यह घोषणा होने की अंदरुनी चर्चा सुनने में आयी है. इस कुटील राजनीति में, हम २६ जनवरी २०२५ को *"प्रजातंत्र दिन"* मनाने के बाद, हम हमारे केवल अपने ही दिनचर्या में व्यस्त दिखाई देते है. फिर *"भारत का संविधान"* का हश्र क्या होगा ? यह भी तो प्रश्न है.

      अखंड भारत हिंदु राष्ट्र का नया *"संविधान,"* यह *"राम राज्य / कृष्ण राज्य / मनुस्मृती / कौटिल्य (चाणक्य) अर्थशास्त्र"* की स्थापना करने की पहल करेगा. हिंदु राष्ट्र संविधान में, *"राष्ट्राध्यक्ष"* का स्थान, यह *राजा* के समान ही होगा. राष्ट्राध्यक्ष की नियुक्ती के लिये पात्रता यह,*"धर्मशास्त्र / राज्यशास्त्र पारंगत"* बतायी गयी है. उसके साथ ही, उस काम का ५ साल का अनुभव हो. भारत के *"प्रधानमंत्री / सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश / सभी न्यायाधीश / मंत्री"* भी राष्ट्राध्यक्ष के अधिन ही कार्यरत होंगे. इसके साथ ही, उन सभी मान्यवरों को,*"गुरुकुल में शिक्षा लेना"* बहुत अनिवार्य है. गुरुकुल में *"३ - ८ साल तक"* शिक्षा लेनी होगी. जो कोई भी इंग्रजी / अन्य भाषा माध्यम की शाला होगी, उन्हे भी *"गुरुकुल में परिवर्तीत"* किया जाएगा. भारत की *"सामाजिक व्यवस्था,"* यह तो कर्म आधारीत होगी. जातीव्यवस्था को खत्म करते हुये, *"वर्ण व्यवस्था"* को लागु किया जाएगा. तथा चोरी के लिये कठोर दंड का प्रावधान होगा. आज की *"कर प्रणाली"* यह खत्म की जाएगी. तथा *"आय कर"* भी नहीं होगा. देश चलाने के लिये *आर्थिक प्रावधान"* पर, अब तक कोई खास जाणकारी, नहीं मिल पायी है. *"सैन्य वर्ग शिक्षण लेना,"* यह सभी के लिये अनिवार्य होगा. *"संसद"* का नाम बदलकर *"धर्म संसद"* यह कहा जाएगा. और सांसद भी *"धर्म सांसद"* कहलाये जाएंगे. *सांसद* बनने के लिये आयु सिमा २५ वर्ष तथा *मत देने* के लिये आयु सिमा, यह १६ वर्ष होगी. एवं  *"बगैर हिंदु वर्ग"* को *"मताधिकार"* नहीं रहेगा. *"मंत्री वर्ग"* को शस्त्र विद्या में पारंगत होना जरूरी है. उन्हे *हथीयार चलाना"* भी आना चाहिये. ता की युध्द के समय उन्हे सहभागी होना होगा.  *देश का राजा* यह सबसे आगे रहकर *"युद्ध का नेतृत्व"* करेगा. *"हिंदु मंत्रीमंडल"* यह सम्राट चंद्रगुप्त के मंत्रीमंडल समान होगा. इस तरह की जाणकारी अब मिल पायी है.

           जब मैने नये *"हिंदु राष्ट्र संविधान"* का प्रारुप को पढा, तब मैं इस विषय पर और जाणकारी लेने लगा. आधुनिक विज्ञान युग में, *"हिंदु राष्ट्र संविधान"* यह सोच प्रारूप ही मुझे, किसी *"पागल व्यक्ति"* की पागलपन की अनुभुती कह रहा था. सबसे अहं विषय यह कि, *"अखंड हिंदु भारत"* यह समज से परे विषय है ? क्या *"पाकिस्तान / बांगला देश"* यह देश भी, *"अखंड हिंदु भारत"* का भाग होंगे ? या चक्रवर्ती सम्राट अशोक का *"प्राचिन अखंड भारत"* तो *"अफगाणिस्तान (१८७६) /नेपाल (१९०४) / भुतान (१९०६) / तिब्बत (१९०७) / श्रीलंका (१९३५) / म्यानमार (१९३७) / पाकिस्तान (१९४७) / बांगला देश (१९७१)"* इन तमाम देशों को, एकसंघ जोडणे की औकात, इन तथाकथित हिंदु साधु और नेताओं में है ? यह भी प्रश्न है. दुसरा अहं विषय यह कि, *"हिंदु धर्म"* यह कितना पुराना है ? *सिंधु घाटी सभ्यता* (इ. पु. ३३०० - १९००) हो या, चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य (मौर्य वंश इ. पु. ३२२ - १८५) के *"बुध्द कालिन शिलालेख"* हो, वहां कही भी *"हिंदू"* इस शब्द का उल्लेख दिखाई नही देता. प्रच्छन्न बौध्द *शंकर* (आदि शंकराचार्य) इनका *इसवी ७८८* में जन्म हुआ है. और उसने *"चार पीठ"* - श्रृंगेरी पीठ  केरल / शारदा पीठ गुजरात / ज्योतीर्पीठ उत्तराखंड / गोवर्धन पीठ ओरीसा की स्थापना *"इसवी नववी शती"* में की थी. और कागज का शोध *"इसवी दसवी शती"* में चायना में लगा है. *"चारो वेद - ऋग्वेद / अथर्ववेद / सामवेद / यजुर्वेद"* हो या *उपनिषद* यह सभी रचना कागद पर लिखे गये है. *"रामायण / महाभारत"* भी कागज पर लिखे गये है. अत: इन सभी रचना का कालखंड यह, *"इसवी दसवी शती"* या उसके बाद का ही दिखाई देता है. और उन तमाम ग्रंथो में भी *"हिंदु"* शब्द का जिक्र नहीं है.*बुध्द* के महापरिनिर्वाण के बाद, बुध्द धर्म यह *"हिनयान / महायान"* मे विभाजीत हुआ. आगे जाकर महायान से *"वज्रयान संप्रदाय"* का जन्म हुआ. वज्रयान से *"तंत्रज्ञान संप्रदाय"* का जन्म हुआ. *वज्रयान / तंत्रयान* से *"शैव पंथ / वैष्णव पंथ / साक्त पंथ"* का उदय हुआ. और शैव / वैष्णव पंथ ने, *"महायान संप्रदाय"* के विहार / मठो पर, *"प्रच्छन्न बौध्द शंकर"* द्वारा अधिपत्य किया. यह प्राचिन इतिहास है. प्राचिन *"सतयुग / त्रेतायुग / द्वापर युग / कलीयुग"* इस का संबंध तथागत बुद्ध से ही है. इस विषय पर मैं फिर कभी चर्चा करूंगा. *मुस्लिम धर्मी"* लोग *"इसवी ६२२ से हिजरी सवंत कॅलेंडर"* मानते है. और मुस्लिम शासकों द्वारा *"हिंदु"* यह फारसी शब्द गाली - *"चोर / काला आदमी"* के रुप में प्रयोग करने का इतिहास है. *स्वामी दयानंद सरस्वती* इन्होने हिंदु शब्द का विरोध करते हुये, *"आर्य समाज"* की स्थापना की थी.

          ब्राम्हण धर्मी डॉ हेडगेवार इन्होने सन १९२५ में *"रॉयल सिक्रेट सर्व्हिस"* (RSS) की स्थापना की थी. आगे जाकर उसका नामकरण *"स्वयं सेवक संघ"* (RSS) किया गया. वह नामकरण *"हिंदु सेवक संघ"* क्यौं नहीं रखा गया ? क्यौ की सन १९११ के *"इंग्रज काल जनगणना"* में, वे सभी *"ब्राह्मण धर्मी"* (वैदिक धर्मी) थे. ब्राम्हण यह हिंदु नहीं थे. दुसरा अहं महत्वपूर्ण विषय यह की *विनायक दामोदर सावरकर* ये सन १९३७ - १९४३ इस कालखंड में, वे *"हिंदु महासभा"* के अध्यक्ष थे. तथा उस काल में अस्पृश्य वर्ग को *"हिंदु"* मानने से वंचित रखा गया. सन १९३७ के *"इंग्रज जनगणना"* के आधार पर, फिर जाति (१५%) / जनजाति (७.५%) / ओबीसी (२७%) कुल ४९.५% यह *"अनुसुचि (Schedule)"* बनायी गयी थी. और सर्वोच्च न्यायालय ने भी *"हिंदु धर्म"* को अधिकृत स्वीकृती नहीं दी. ब्राम्हण वर्ग यह *"हिंदु धर्मीय"* कैसे बना ? इस विषय पर हम फिर कभी चर्चा करेंगे. हमारी *सर्वोच्च न्यायालय* भी अब लोगो की माध्यम से, धर्म की ओर बढ रही है‌. पहिले की लोगो के निचे *"सत्यमेव जयते"* (सत्य की विजय होती है) ऐसा लिखा होता था. अब नये लोगो में *"यतो धर्मस्ततो जय:"* (धर्म के बाजु में विजय होता है) ऐसा लिखा गया है‌. क्या करे, धर्मांध शक्ती / देवत्व भाव का राज चल रहा है. *"खलिस्तान / गोरखा लॅंड"* यह मांग *"संविधान विरोधी"* होने से,  वह मांग करनेवाले *"देशद्रोही"* होते है. और उन पर कठोर कार्यवाही की गयी है. अब सवाल यह है कि, *"हिंदु राष्ट्र"* मांग करनेवाले क्या देशद्रोही होंगे ? क्या उन पर *"देशद्रोह का मुकदमा"* दायर किया जाएगा ??? यह हमें अब देखना है. जय भीम !!!


(टिप - ३ फरवरी २०२५ यह दिन बहुत पास है. अत: ज्यादा से ज्यादा लोगो को जाणकारी के लिये शेअर करे. यह जाणकारी ज्यादा लोगों को फारवर्ड करे.)

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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

        नागपुर दिनांक ३० जनवरी २०२५

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